उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

कौन कहता है मेरी क़ब्र अँधेरी होगी
रुख़-ए-अनवर से लहद में भी उजाले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

प्यास महशर की भला हम को सताए क्यूँ-कर
उन के हाथों में जो कौसर के पियाले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

वज्द करते हुए हम पुल से गुज़र जाएँगे
क्यूँकि सरकार मेरे हम को सँभाले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

ज़हमतें हश्र की हरगिज़ न क़रीब आएँगी
हम तो सरकार की रहमत के हवाले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

काश ! रिज़वान को भी सदक़ा-ए-हस्सान मिले
फिर तो मिदहत के भी अंदाज़ निराले होंगे

उन के जल्वों की झलक से जो उजाले होंगे
वो हसीं लम्हे बड़े देखने वाले होंगे

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