तेरे सदक़े में आक़ा ! सारे जहाँ को दीन मिला

तेरे सदक़े में आक़ा ! सारे जहाँ को दीन मिला

तेरे सदक़े में, आक़ा ! सारे जहाँ को दीन मिला
बे-दीनों ने कलमा पढ़ा, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

सिम्त-ए-नबी बू-जहल गया, आक़ा से उस ने ये कहा
गर हो नबी बतलाओ ज़रा, मेरी मुट्ठी में है क्या ?
आक़ा का फ़रमान हुआ और फ़ज़्ल-ए-रहमान हुआ
मुट्ठी से कंकर बोला, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

अपनी बहन से बोले उमर, ये तो बता क्या करती थी ?
मेरे आने से पहले क्या चुपके चुपके पढ़ती थी ?
बहन ने जब क़ुरआ’न पढ़ा, सुन के कलाम-ए-पाक-ए-ख़ुदा
दिल ये उमर का बोल उठा, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

वो जो बिलाल-ए-हब्शी है, सरवर-ए-दीं का प्यारा है
दुनिया के हर आशिक़ की आँखों का वो तारा है
ज़ुल्म हुए कितने उन पर, सीने पे रखा पत्थर
फिर भी ज़बाँ पर जारी रहा, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

मेरे नबी के ग़ुलामों का रुत्बा बड़ा है, शान बड़ी
चाहे ग़ौस-ए-आज़म हों या के दाता हजवेरी
याद नहीं तुम्हें वो मंज़र ! ख़्वाजा ने जब ख़ुद चल कर
नव्वे लाख़ को पढ़वाया, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

मेरे मौला ! मेरे ख़ुदा ! तू ही ख़ालिक़-ए-अर्ज़-ओ-समा
तू ही मालिक-ए-रोज़-ए-जज़ा, मैं हु सरापा जुर्म-ओ-ख़ता
फिर भी तुझ से है ये दुआ, वक़्त-ए-नज़ाअ’ जब आए मेरा
लब पे हो बस एक सदा, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

दुनिया के इन्सान कई शिर्क-ओ-बिदअ’त करते थे
रब के थे बंदे फिर भी बुत की इ’बादत करते थे
बुत-ख़ानें हैं थर्राए, मेरे नबी हैं जब आए
कहने लगी मख़्लूक़-ए-ख़ुदा, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

गुलशन कलमा पढ़ते हैं, चिड़िया कलमा पढ़ती है
दुनिया की मख़्लूक़ सभी ज़िक्र ख़ुदा का करती है
कहते सभी हैं जिन्न-ओ-बशर, कहता शजर है, कहता हजर
कहता है पत्ता पत्ता, ला-इलाहा इल्लल्लाह

ह़स्बी रब्बी जल्लल्लाह, मा फ़ी क़ल्बी गै़रुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद स़ल्लल्लाह, ला-इलाहा इल्लल्लाह

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