मुनव्वर मेरी आँखों को Naat Lyrics
मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे शम्सोद्दोहा कर दें
ग़मों की धुप में वो साया-ए-ज़ुल्फ़े दोता कर दें
जहाँ बानी अता कर दें, भरी जन्नत हिबाह कर दें
नबी मुख्तारे कुल हैं जिसको जो चाहे अता कर दें
फज़ा में उड़ने वाले यूं न इतराएं निदा कर दें
वो जब चाहें जिसे चाहें उसे फ़रमांरवा कर दें
जहाँ में उनकी चलती है वो दम में क्या से क्या कर दें
ज़मीं को आसमां कर दें, सुरैया को सरा कर दें
नबी से जो है बेग़ाना उसे दिल से जुदा कर दें
पिदर, मादर, बिरादर, जानो-माल उन पर फ़िदा कर दें
मुझे क्या फिक्र हो अख़्तर मेरे यावर हैं वो यावर
बलाओं को मेरी जो खुद गिरफ्तारे-बला कर दें