आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
सुब्हानल्लाह ! सुब्हानल्लाह !
सुब्हानल्लाह ! सुब्हानल्लाह !
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
चुम के तेरे ना’लैन ज़मीन एह केहंदी सी
सोहणिया ! तेरी चाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
होर वी ‘आशिक़ ने पर, मेरेया महबूबा !
तेरे यार बिलाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
तेरी आल नूँ मन्नन वाले जन्नती ने
आक़ा ! तेरी आल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
हुस्न दे जल्वे वंडण वालेया, लज-पाला !
तेरे हुस्न-ओ-जमाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
ओह्दे ज़िक्र च जो, फ़ारूक़ी ! ख़र्च होवे
उस पैसे, उस माल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने
मेरे नबी लज-पाल दियाँ क्या बाताँ ने
आमिना पाक दे लाल दियाँ क्या बाताँ ने