मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानीछूटती है तो छूटे दुनिया
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
अपने गले में ग़ौस का पट्टा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस के दर पर उम्र गुज़ारी
ग़ौस के दर के हम हैं भिकारी
इस खूँटे से ख़ुद को बाँधा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
वलियों ने दी उन को सलामी
अब्दालों ने की है ग़ुलामी
ऊँचा रहेगा उन का झंडा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस का दामन कैसे छोड़ें ?
जिस्म-ओ-रूह का नाता उन से
उन से ठहरा दीन का रिश्ता
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
उन के हाथ में हाथ दिया है
ख़ुद को, उजागर ! बेच दिया है
अब न कभी छोड़ेंगे, वल्लाह !
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस-ए-पाक के चाहने वालो !
साथ ‘उबैद के मिल के कह दो
मरते दम तक इंशाअल्लाह
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानीछूटती है तो छूटे दुनिया
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
अपने गले में ग़ौस का पट्टा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस के दर पर उम्र गुज़ारी
ग़ौस के दर के हम हैं भिकारी
इस खूँटे से ख़ुद को बाँधा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
वलियों ने दी उन को सलामी
अब्दालों ने की है ग़ुलामी
ऊँचा रहेगा उन का झंडा
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस का दामन कैसे छोड़ें ?
जिस्म-ओ-रूह का नाता उन से
उन से ठहरा दीन का रिश्ता
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
उन के हाथ में हाथ दिया है
ख़ुद को, उजागर ! बेच दिया है
अब न कभी छोड़ेंगे, वल्लाह !
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
ग़ौस-ए-पाक के चाहने वालो !
साथ ‘उबैद के मिल के कह दो
मरते दम तक इंशाअल्लाह
ग़ौस का दामन न छोड़ेंगे
जीलानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी
मेरे ग़ौस पिया जीलानी, हैं महबूब-ए-सुब्हानी