रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
आक़ा ! आक़ा ! आक़ा ! आक़ा !
आक़ा ! आक़ा ! आक़ा ! आक़ा !
आक़ा ! आक़ा ! आक़ा ! आक़ा !
मुद्दत से मेरे दिल में है अरमान-ए-मदीना
रौज़े पे बुला लीजिए, सुल्तान-ए-मदीना !
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
कब मुझ को बुलाएँगे सुल्तान मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
रोते हैं तड़पते हैं, कहते हैं ये दीवाने
किस रोज़ बनेंगे हम मेहमान मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
ए काश ! मदीने में सरकार जो बुलवा लें
हो जाएँ दिल-ओ-जाँ से क़ुर्बान मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
अब ताब नहीं मुझ में दूरी की शह-ए-बतहा
हो जाए बहम एक दिन सामान मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
रहते हैं सदा उन के दिल कैफ़-ए-हुज़ूरी में
पढ़ते हैं क़सीदे जो हर-आन मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
मेरे लिए सब, आसिफ़ ! ता’ज़ीम के लाइक़ हैं
वो संग-ओ-शजर हों या इंसान मदीने के
रहते हैं मेरे दिल में अरमान मदीने के
आक़ा ! आक़ा ! आक़ा ! आक़ा !