वारी जाऊँ सदक़े जाऊँ मुर्शिदी अत्तार पर
वारी जाऊँ, सदक़े जाऊँ मुर्शिदी अत्तार पर
दिल भी सदक़े, जां भी वारूँ मुर्शिदी अत्तार पर
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
रहबर हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिदी अत्तार पर नूर की बरसात हो
आशिक़े सरकार पर नूर की बरसात हो
हमने इन की हस्ती को जान-ओ-दिल से माना है
क्यूंकि आ’ला हज़रत को इन से ही पेहचाना है
ये हैं इश्क़े-रिसालत का रौशन एक मीनार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
रहबर हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिदी अत्तार पर नूर की बरसात हो
आशिक़े सरकार पर नूर की बरसात हो
जिस ने सुन्नत का जल्वा घर घर में पहुँचाया
अपने ज़ोहद-ओ-तक़्वा से सारा जहां महकाया
जिस को दुनिया कहती है मिल्लत का मे’मार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
रहबर हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिदी अत्तार पर नूर की बरसात हो
आशिक़े सरकार पर नूर की बरसात हो
दावते इस्लामी यूँ ही रिफ़अत पर हर आन रहे
सारे आलम पर ज़ारी अत्तारी फ़ैज़ान रहे
या रब ! दाइम रहे सलामत इनकी हस्ती का गुलज़ार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
रहबर हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिदी अत्तार पर नूर की बरसात हो
आशिक़े सरकार पर नूर की बरसात हो
इन की रौशन सीरत से हम को भी सौग़ात मिले
इन की नीची नज़रों की हम को भी ख़ैरात मिले
रब ने इन को बक़्शा है आ’ला सीरत और क़िरदार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिद हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
रहबर हो तो ऐसा हो जैसे हैं मेरे अत्तार
मुर्शिदी अत्तार पर नूर की बरसात हो
आशिक़े सरकार पर नूर की बरसात हो