सुन तयबा नगर के महाराजा फ़रियाद मोरे इन असुवन की
मोरे नैन दुखी हैं सुख-दाता, दे भीख इन्हें अब दर्शन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
जब रुत हो सुहानी सावन की, तब मुझ को बुला मोरे प्यारे नबी!
बागन में तोरे जुल्वा जूलूं, मैं बन के सहेली हूरन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
जब तोरी डगर मैं पाउँगी, तोरे सपनों में खो जाऊंगी
तोरा रूप रचूंगी नैनन में, सुख छैयां में बैठ खजूरन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
मिल जाए अगर दरबार तेरो, पलकन से बुहारूं द्वार तेरो
मैं मुख से मलूँ, नैनन में रचूं, जो धुल मिले तोरे आँगन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
तोरे रूप की ज्योत से दो जग में, क्या जल जल जल उजियारो है
तोरे केश बदरवा रेहमत के, क्या रचना रचूं तोरे नैनन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
इस शौक़ पे मेहर हो प्यारे नबी, मिल जाए सुनहरी झाली तेरी
तोरे गुम्बद की हरियाली हो, तब प्यास बुझे इन अखियन की
सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की