हम ख्वाजा वाले है
हम ख्वाजा वाले है
जन्नत तो लिख दी है अजल से रब ने हमारे नाम
दोजख का कुछ खौफ नही है हम है उनके गुलाम
जब तक उनसे दुर रहे तो अपना बुरा था हाल
ख्वाजा की चौखट मिली तो हो गये मालामाल
जहा भी जाऐंगे हम अपनी दिखलाऐगे शान
ख्वाजा पिया के नाम पे सब कुछ कर देंगे कुरबान
ख्वाजा के दिवानो की रहती है अलग पहचान
गैरुही कफनी सर पे बंधी है सीने मे कुरआन
उनके दिवाने रहते है हर मौसम मे सजीले
ख्वाजा पिया ने रंग दिया तो हो गये रंग रंगीले
हम है गुलामे ख्वाजा पिया ये है अपना इमान
सिना ठोक के लाखो मे ये कर देंगे ऐलान
ख्वाजा की निस्बत से मिली है तैबा की सरकार
हम को यकीं है हो जाऐगा अपना बेड़ा पार
हिन्दुस्ता मे नुर की सरहद को पा लिया
ख्वाजा को जिसने पाया, मुहम्मद को पा लिया
हर इक नज़र का ख्वाजा पिया इंतिखाब है
बागे मुहम्मदी का वो ताज़ा गुलाब है
जब ज़िन्दगी मे गम की कौई शाम हो गई,
उनके करम से नूर की बरसात हो गई
उनके कदम जहा पड़े ज़र्रे ने कह दिया
ख्वाजा पिया को देख के फूलो ने कह दिया
राहे निजात हम को दिखाया है आप ने
मेरी भी ज़ात क्या है ये वलियो ने कह दिया