हाल-ए-दिल किस को सुनाएं
हाल-ए-दिल किस को सुनाएं आप के होते हुए
क्यूं किसी के दर पे जाएं आप के होते हुए
मैं ग़ुलाम-ए-मुस्तफ़ा हूँ ये मेरी पेहचान है
ग़म मुझे क्यूं कर सताएं आप के होते हुए
अपना जीना अपना मरना अब इसी चौखट पे है
हम कहां सरकार जाएं आप के होते हुए
केह रहा है आपका रब अन्त फ़ीहिम आप से
क्यूं इन्हें मैं दूँ सज़ाएं आप के होते हुए
सामने है ऐ अली के लाल उस्वा आप का
क्यूं किसी का खौफ़ खाएं आप के होते हुए
मैं ये कैसे मान जाऊं शाम के दरबार में
छीन ले कोई रिदाएं आप के होते हुए
ये तो हो सकता नहीं ये बात मुमकिन ही नहीं
मेरे घर आलाम आएं आप के होते हुए
कौन है अल्ताफ अपना हाल-ए-दिल जिस से कहें
ज़ख्म-ए-दिल किस को दिखाएं आप के होते हुए