Bagh E Jannat Kay Hain Behre Madha Khawan E Ahlebait Lyrics In Hindi

Bagh E Jannat Kay Hain Behre Madha Khawan E Ahlebait Lyrics In Hindi

 

बाग़-ए-जन्नत के हैं बेहरे मदह़-ख़्वान-ए-अहल-ए-बैत / Baag-e-Jannat Ke Hain Behre Madh-Khwan-e-Ahl-e-Bait

बाग़-ए-जन्नत के हैं बेहरे मदह़-ख़्वान-ए-अहल-ए-बैत

तुम को मुज़्दा नार का, ए ! दुश्मनान-ए-अहल-ए-बैत

 

किस ज़बां से हो बयान-ए-इज़्ज़-ओ-शान-ए-अहल-ए-बैत

मदह़-गो-ए-मुस्तफ़ा हैं मदह-ख़्वान-ए-अहल-ए-बैत

 

उनकी पाकी का ख़ुदा-ए-पाक करता है बयान

आया-ए-तत़हीर से ज़ाहिर है शान-ए-अहल-ए-बैत

 

मुस्तफ़ा इज़्ज़त बड़ाने के लिये तअ़ज़ीम दें

है बुलंद इक़बाल तेरा दूदमान-ए-अहल-ए-बैत

 

उन के घर तो बे-इजाज़त जिब्रईल आते नहीं

क़द्र वाले जानते हैं क़द्र-ओ-शान-ए-अहल-ए-बैत

 

फूल ज़ख्मों के खिलाए हैं हवा-ए-दोस्त ने

ख़ून से सींचा गया है गुल्सितान-ए-अहल-ए-बैत

 

अहल-ए-बैत-ए-पाक से गुस्ताख़ियां बे-बाकियां

लअ़नतुल्लाहि-अ़लयकुम दुश्मनान-ए-अहल-ए-बैत

 

बे-अदब गुस्ताख़ फ़िरक़े को सुना दे ए हसन

यूं कहा करते हैं सुन्नी दास्तान-ए-अहल-ए-बैत

 

शायर:

मौलाना हसन रज़ा खान

 

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