मैं फिर रोता हुवा आऊं तेरे दर पर मदीने में
मैं पोहंचूं कू-ए-जानां में गिरीबां चाक सीना चाक
गिरा दे काश ! मुझ को शौक़ तड़पा कर मदीने में
मदीने जाने वालो जाओ जाओ फी-अमानिल्लाह
कभी तो अपना भी लग जाएगा बिस्तर मदीने में
सलाम-ए-शौक़ कहना हाजियो ! मेरा भी रो रो कर
तुम्हें आए नज़र जब रौज़-ए-अन्वर मदीने में
पयाम-ए-शौक़ लेते जाओ मेरा क़ाफ़िले वालो
सुनाना दास्तान-ए-ग़म मेरी रो कर मदीने में
मेरा ग़म भी तो देखो मैं पड़ा हूं दूर तयबा से
सुकूं पाएगा बस मेरा दिल-ए-मुज़्तर मदीने में
न हो मायूस दीवानो पुकारे जाओ तुम उन को
बुलाएंगे तुम्हें भी एक दिन सरवर मदीने में
बुलालो हम ग़रीबों को बुलालो या रसूलल्लाह
प-ए-शब्बीर-ओ-शब्बर फ़ातिमा हैदर मदीने में
न दौलत दे न सरवत दे, मुझे बस ये सआदत दे
तेरे क़दमों में मर जाऊं मैं रो रो कर मदीने में
मदीना इस लिये अत्तार जान-ओ-दिल से है प्यारा
के रहते हैं मेरे आक़ा मेरे सरवर मदीने में