मुसल्ला फ़ातिमा ने जिस जगह अपना बिछाया है
कहा सूरज ने आ कर ऐ अली ! आराम से पढ़िए
तुम्हारे ही लिए सरकार ने मुझ को बुलाया है
यही इस्लाम जिस को तुम बहुत आसां समझते हो
नबी के लाडलों ने कर्बला में सर कटाया है
रज़ा की बात आ जाए तो अपनी जान दे देना
मेरे महबूब मुर्शिद ने यही हम को बताया है
नातख्वां:
अंबर मुशाहिदी