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दर पे हाज़िर हैं हम, कीजिएगा करम, हम पे हर दम (सलाम) / Dar Pe Haazir Hain Ham, Kijiyega Karam, Ham Pe Har Dam (Salaam)
दर पे हाज़िर हैं हम, कीजिएगा करम, हम पे हर दम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
सुब्ह-ए-सादिक़ ये पैग़ाम लाई, लो सवारी मुहम्मद की आई
डालियाँ झुक गईं, कलियाँ खिल गईं, बोली शबनम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
दर पे हाज़िर हैं हम, कीजिएगा करम, हम पे हर दम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
हूरें झूला झुलाने को आईं, जान-ओ-दिल से फ़िदा करने आईं
झूला दे जाती हैं, लोरियाँ गाती हैं, हूरें हर दम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
दर पे हाज़िर हैं हम, कीजिएगा करम, हम पे हर दम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
तुम ने दुनिया में जल्वे दिखा कर, रौशनी की, अँधेरों में आ कर
भूला भटका हुवा, राह-ए-हक़ पा गया, सारा आलम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
दर पे हाज़िर हैं हम, कीजिएगा करम, हम पे हर दम
अस्सलाम ! ए रसूल-ए-मुअज़्ज़म !
नात-ख़्वाँ:
हाफ़िज़ नौशाद