Khwaja Ki Deewani Hindi Lyrics
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी लिरिक्स
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
कव्वाल: साबरी ब्रदर्
शायर: सहराई सम्भरी और मक़बूल साबरी
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मुईनुद्दीन…
मुईन…
मुईनुद्दीन…
मुईनुद्दीन, वाली ए शहे ईराक़ो हिजाज़
तेरी जनाब में महमूद से हज़ारों अयाज़
हर एक,
हर एक सम्त से, बस आ रही है ये आवाज़
मनम गरीब दयारो तुई, गरीब नवाज़
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नियाजो़ नाज़ का
नियाजो़ नाज़ का कितना हसीन मंज़र है
नियाजो़ नाज़ का कितना हसीन मंज़र है
इधर ग़रीब खड़े हैं, इधर ग़रीब नवाज़
नय्यारे बुर्जे़ शरफ, अर्श के तारे ख़्वाजा
ह़क के महबूब, मोहम्मद के दुलारे ख़्वाजा
देखले एक नज़र ख़्वाजा ए उस्मा के लिए
हमने बरसों तेरी चौखट पे गुजा़रे ख़्वाजा
ख़ुदा गवाह है अजमेर ख़ुद नहीं छोड़ा
बिछड़ के आप के दर से सुकून-ए दिल न मिला
या गरीब नवाज़
बिछड़ के आप के दर से सुकून ए दिल न मिला
न मिला, न मिला, न मिला
बिछड़ के आप के दर से सुकून ए दिल न मिला
ख़ुदा गवाह है, ख़ुदा का रसूल या ख़्वाजा
सखी नगर- नगर, सखी डगर-डगर
मैं तो इश्क़ की आग लगा के चली
मोरा खेश गयो, मोरा देश गयो
मैं तो इश्क़ की आग में पूरी जली
कलमे की भभूत भी रुख से मली
तौबा की पूरी, हाथ मली।
ये रूप-स्वरूप दिखा के चली
ये रूप स्वरूप दिखा के चली
ख़्वाजा की धुन में ये गा के चली
के में दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो,
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी, मैं तो
कोई किसी का है, कोई किसी का
मैं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
नफ़रत का ज़हर बातों में तुम घोल के देखो
नफ़रत का ज़हर बातों में तुम घोल के देखो
आ जायेंगे ख़्वाजा, मुझे कुछ बोल के देखो
नफ़रत का ज़हर बातों में तुम घोल के देखो
आ जायेंगे ख़्वाजा, मुझे कुछ बोल के देखो
ये, मीज़ाने अकी़दत तो ज़रा तोल के देखो
लिल्लाह फरिश्तो ये कफ़न खोल के देखो
मैं हूं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
ओ, दीवानी-दीवानी, दीवानी-दीवानी, दीवानी
दीवानी-दीवानी, दीवानी-दीवानी, दीवानी
हे हे, दीवानी-दीवानी, दीवानी-दीवानी, दीवानी
मैं दीवानी, मैं दीवानी, मैं दीवानी, मैं दीवानी,
दीवानी-दीवानी, दीवानी-दीवानी, दीवानी
दी-वा-नी
आ हा हा.
ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
आ… मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
ये संसार..
(समात फ़रमाएं: मैं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी)
ये संसार हर को पूजे,
संसार हर को पूजे, गुर को जगत सराहे
काशी में कोई ढूंढे, काबे में कोई चाहे
गुय्यां मैं अपने पी के,
पैय्यां पड़ूं न काहे
हर कौ़म मिल्लत-ए रा,
दीन-ए वा क़िब्ला गाहे
मन क़िब्ला रास्त कर दम
बर सम्त कज कुलाहे
पाप धुल जाएं सारे के पापान हूं मैं
भाग मेरे जगा दो अभागन हूं मैं
तू है दाता मेरा और भिखारन हूं मैं
मैं तो क्या चीज़ हूं! बादशाह ताजवर
तेरी दरगाह की जालियां थाम कर
कहते हैं ख़्वाजा कर दो करम की नज़र
तो, क्या हुआ कह दिया मैंने इतना अगर
के मैं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
दीवानी रे मैं तो, ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
दर पे ख़्वाजा के बताऊं मुझे क्या हाथ अाया
दीनो ईमान मिले और मिले महबूब-ए ख़ुदा
देखा, गुंबद के तले एक है मजमा सा लगा
एक जोगन है, खुले बाल हैं कुर्ता है फटा
मैं ने पूछा के यहां माजरा क्या है ये बता?
चीख कर रोने लगी, उसने ज़ुबां से ये कहा
कितनी अजीब बात है
कितनी अजीब बात है, बात भी कुछ अजीब है
कितनी अजीब बात है, बात भी कुछ अजीब है
जिसने दिया है दर्दे दिल वो ही मेरा तबीब है
दयरो-हरम में इम्तियाज़ शेबा ए अहले दिल नहीं
वो भी दरे हबीब है, ये भी दरे हबीब है
तो, न गरज़
न गरज़ हरम के वक़ार से
न सनम कदे की बहार से
हमें काम है दरे यार से
दरे यार फिर दरे यार है
हरम,
(हां साब, अल्लामा सिमाब अकबराबादी साब फरमाते हैं)
हरम और दयर के कतबे वो देखे जिसको फुर्सत है
यहां हद्दे नज़र तक सिर्फ़ उन्वाने मोहब्बत है
परस्तारे मोहब्बत की मुहब्बत ही शरीयत है
किसी को याद कर के आह भर लेना इबादत है
जहां वो हैं, वहां दिल है,
जहां दिल है वहां सब कुछ
मगर पहले मक़ामे दिल,
समझने की ज़ुरुरत है
तो, मेरी दीवानगी…
मेरी दीवानगी पर
आ…
मेरी दीवानगी पर
ये होश वाले बहस फरमाएं
मेरी दीवानगी पर होश वाले बहस फरमाएं
मगर पहले इन्हें दीवाना बनने की जरूरत है
(मेरी दीवानगी पर होश वाले बहस फरमाएं
मगर पहले इन्हें दीवाना बनने की जरूरत है)
(उसके बावजूद भी)
ये मुस्लिम,
मुस्लिम यही कहते हैं के मस्जिद में आ
हिन्दू यही कहते हैं के मन्दिर अच्छा
सिखों का यही दावा है के गुरुद्वारा अच्छा
ईसाई यही कहते हैं के गिरजा में आ
भई, काबा, कलीसा, गुरुद्वारा-ओ-गंगा
इन सारे बखेड़ों से मुझे मतलब क्या
मैं तो दीवानी, अहा, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी, दीवानी
ख़्वाजा की दीवानी
दीवानी, दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
नकीरो, नकीरो, नकीरो छेड़ते क्यूं हो
ये कलेजा चीर के देखो
मैं हूं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं हूं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं दीवानी रे, दीवानी रे
हे, दीवानी रे, दीवानी रे, मैं दीवानी
हे रे, दीवानी रे, मैं रे दीवानी रे, मैं दीवानी
रे मैं दीवानी, रे मैं दीवानी, रे मैं दीवानी, रे मैं दीवानी रे
मैं दीवानी रे … आ …
मैं दीवानी, मैं दीवानी, मैं दीवानी, मैं दीवानी
मैं दीवानी, रे दीवानी, रे दीवानी, रे
दीवानी… आ…
रे दीवानी … आ…
मैं दीवानी रे …. आ ..
दीवानी …. आ …
दी … आ …
दीवानी
रे दीवानी, रे दीवानी, रे दीवानी, रे दीवानी, रे दीवानी, रे दीवानी
दीवानी
रे दीवानी, रे दीवानी, दीवानी, दीवानी, दीवानी
मैं हूं दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
मैं तो दीवानी, ख़्वाजा की दीवानी
आ आ आ
आ ..
आ .. दीवानी मैं
देखो दीवानी
अय…
गा मा नी सा, नी सा रे रे सा गा, रे रे सा नी सा सा, गा मा पा पा रे रे सा
दीवानी मैं तो दीवानी.. आ…
ख़्वाजा की दीवानी मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी मैं तो
ख़्वाजा की दीवानी
दीवानी, दीवानी, दीवानी