KAHAN MAIN KAHAN MADH-E-ZAT-E-GIRAMI NAAT LYRICS
KAHAN MAIN KAHAN MADH-E-ZAT-E-GIRAMI NAAT LYRICS कहाँ मैं कहाँ मद्ह-ए-ज़ात-ए-गिरामी न ‘सा’दी’ न ‘रूमी’ न ‘क़ुदसी’ न ‘जामी’ पसीने-पसीने हुआ जा रहा हूँ कहाँ ये ज़बाँ और कहाँ नाम-ए-नामी सलाम उस शहंशाह-ए-हर-दो-सरा पर दरूद उस इमाम-ए-सफ़-ए-अंबिया पर पयामी तो बे-शक सभी मोहतरम हैं मगर अल्लह अल्लाह ख़ुसूसी पयामी फ़लक से ज़मीं तक है जश्न-ए-चराग़ाँ … Read more