भर दो झोली या ख़्वाजा

भर दो झोली या ख़्वाजा

 

भर दो झोली या ख़्वाजा
तुमसे कहती है प्रजा
लाज हमारी बचा लेना
तुम हो भारत के राजा

नॉट तो बदले है कितने दुनिया को ये खलता है
क्योंकि भारत में अब भी सिक्का तेरा चलता है
कितनी सियासत आती थी, आके फिर गिर जाती थी
कोई हुआ ना तुम जैसा-तुम हो भारत के राजा

अपने सग की लाज रखो कब तक ये गुमनाम चले
गेरो के दर जाये क्यों इक दर से जब काम चले
खाकर दर के टुकड़ों को पलता है ये जमाना भी
देता है हर एक सदा – तुम हो भारत के राजा

कितने वार चलाये थे, सब के सब बेकार गए
जादू पर था नाज जिन्हें वो भी सारे हार गए
जब ये करामत जारी हुई, सर पर जूती पड़ने लगी
फिर जयपाल बोल उठा तुम हो भारत के राजा

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