मे काबे को देखुंगा
तेरे हरम की क्या बात मौला, तेरे करम की क्या बात मौला
ता-उम्र कर दे आना मुक़द्दर, अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर
रब मुझको बुलाएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
रमज़ान मुबारक में वो सामने काबे के
इफ़्तार कराएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
तेरे हरम की क्या बात मौला, तेरे करम की क्या बात मौला
मायूस नहीं हूँ मैं अल्लाह की रहमत से
वो हज पे बुलाएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
काबे पे पड़ी जब पहेली नज़र, क्या चीज़ है दुनिया भूल गया
यूं होशो-ख़िरत मफ़लूज हुवे, दिल ज़ौके-तमाशा भूल गया
पहुंचा जो हरम की चौखट पर, एक अब्रे-करम ने गेर लिया
बाकी न रहा फिर होश मुझे, क्या माँगा क्या-क्या भूल गया
जब पेहली नज़र मेरी उस काबे पे जाएगी
दिल झूम सा जाएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
तेरे हरम की क्या बात मौला, तेरे करम की क्या बात मौला
इन सांसों के रुकने से और मौत के आने से
वो पेहले बुलाएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
मैं काबे की चादर को हाथों से पकड़ लूंगा
दिल मेरा भर आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
तेरे हरम की क्या बात मौला, तेरे करम की क्या बात मौला
बेताबी-ए-हाल-ए-दिल परवाने से मत पूछो
जब लम्हा वो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
वो दिन भी तो आएगा, मैं क़ाबे को देखूंगा
रब मुझको बुलाएगा…
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
तेरे हरम की क्या बात मौला, तेरे करम की क्या बात मौला