शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है / Shaah Dulha Bana Aaj Ki Raat Hai
दोनों ‘आलम हैं नूरुन-‘अला-नूर क्यूँ
कैसी रौनक़ फ़ज़ा आज की रात है
ये मसर्रत है किस की मुलाक़ात की
‘ईद का दिन है या आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
बाग़-ए-‘आलम में बाद-ए-बहारी चली
सरवर-ए-अंबिया की सवारी चली
ये सवारी सू-ए-ज़ात-ए-बारी चली
अब्र-ए-रहमत उठा आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
तूर पर रिफ़’अत-ए-ला-मकानी कहाँ !
लन-तरानी कहाँ ! म-र्रआनी कहाँ !
जिस का साया नहीं, उस का सानी कहाँ !
उस का इक मो’जिज़ा आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
ख़्वाब-ए-राहत में थे उम्म-ए-हानी के घर
आ के जिब्रील ने ये सुनाई ख़बर
चलिए, चलिए, शहंशाह-ए-वाला-गोहर !
हक़ को शौक़-ए-लिक़ा आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
‘इत्र-ए-रहमत फ़रिश्ते छिड़कते चले
जिस की ख़ुश्बू से रस्ते महकते चले
चाँद-तारे जिलो में चमकते चले
कहकशाँ ज़ेर-ए-पा आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
तूर चोटी को अपनी झुकाने लगा
चाँदनी चाँद हर-सू दिखाने लगा
‘अर्श से फ़र्श तक झगमगाने लगा
रश्क-ए-सुब्ह-ए-सफ़ा आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
जज़्ब-ए-हुस्न-ए-तलब हर क़दम साथ है
दाएँ बाएँ फ़रिश्तों की बारात है
सर पे नूरानी सेहरे की क्या बात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
शाह दूल्हा बना आज की रात है
ना’त-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी
महमूद अत्तारी
हाजी बिलाल रज़ा अत्तारी