Apne Dar Pe Jo Bulaa O To Bahot Achcha Ho Lyrics
APNE DAR PE JO BULAA-O TO BAHOT ACH’CHA HO NAAT LYRICS
Apne Dar Pe Jo Bulaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Meri Bigri Jo Banaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Qaid e Shaitaañ Se Churha-o To Bahot Ach’cha Ho
Mujh Ko Apna Jo Banaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Gardish e Daur Ne Paamaal Kiya Mujh Ko Huzoor
Apne Qadmoñ Me Sulaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Yuñ To Kehlaata Hun Banda Me Tumhara Lekin
Apna Keh Ke Jo Bulaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Gham e Payham Se Ye Basti Meri Weeran Huwi
Dil Me Ab Khud Ko Basaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Kaif Us Baadah e Gulnaar Se Milta Hi Nahiñ
Apni Aankhoñ Se Pilaa-o To Bahot Ach’cha Ho
Tum To Murdoñ Ko Jila Dete Ho Mere Aaqa
Mere Dil Ko Bhi Jila-o To Bahot Ach’cha Ho
Ro Chuka Yoon To Main Auron Ke Liye Khoob Magar
Apni Ulfat Me Rulaao To Bahut Ach’cha Ho
Yoon Na Akhtar Ko Phiraao Mere Maula Dar Dar
Apni Chaukhat Pe Bithaao To Bahut Ach’cha Ho
अपने दर पे जो बुलाओ तो बहुत अच्छा हो
मेरी बिगड़ी जो बनाओ तो बहुत अच्छा हो
क़ैद-ए-शैताँ से छुड़ाओ तो बहुत अच्छा हो
मुझ को अपना जो बनाओ तो बहुत अच्छा हो
गर्दिश-ए-दौर ने पामाल किया मुझ को, हुज़ूर !
अपने क़दमों में सुलाओ तो बहुत अच्छा हो
यूँ तो कहलाता हूँ बंदा मैं तुम्हारा लेकिन
अपना कह के जो बुलाओ तो बहुत अच्छा हो
ग़म-ए-पैहम से ये बस्ती मेरी वीरान हुई
दिल में अब ख़ुद को बसाओ तो बहुत अच्छा हो
कैफ़ इस बादा-ए-गुलनार से मिलता ही नहीं
अपनी आँखों से पिलाओ तो बहुत अच्छा हो
तुम तो मुर्दों को जिला देते हो, मेरे आक़ा !
मेरे दिल को भी जिलाओ तो बहुत अच्छा हो
जिस ने शर्मिंदा किया मेहर-ओ-मह-ओ-अंजुम को
इक झलक फिर वो दिखाओ तो बहुत अच्छा हो
रो चुका यूँ तो मैं औरों के लिए ख़ूब मगर
अपनी उल्फ़त में रुलाओ तो बहुत अच्छा हो
यूँ न अख़्तर को फिराओ, मेरे मौला ! दर दर
अपनी चौखट पे बिठाओ तो बहुत अच्छा हो
शायर:
मुफ़्ती अख़्तर रज़ा ख़ान
ना’त-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी
क़ारी रिज़वान ख़ान
साबिर रज़ा अज़हरी सुरत