bagh-e-tasleem-o-raza-me-gul-khilte-hain-hussain

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*_मुताफर्रिक़ात_*

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*_कर्ज़दार को 3 पैसे के बदले 700 रकअत नमाज़ देनी होगी, अगर नेकियां ख़त्म हो गयी तो उसका गुनाह लेना पड़ेगा_*

 

_*📕 क्या आप जानते हैं, सफ़ह 634*_

 

*_जो अक़ायद का पूरा इल्म रखे और अपनी ज़रूरत के मसायल बग़ैर किसी की मदद के किताब से निकाल ले, वो आलिम है_*

 

_*📕 अहकामे शरियत, हिस्सा 2, सफ़ह 231*_

 

*_अदना जन्नती को जन्नत में दुनिया के जैसी 10 गुना जगह 80000 गुलाम और 72 बीवियां मिलेगी, मर्दों की उम्र 33 साल और औरतों की 18 साल और हमेशा यही उम्र रहेगी वहां ना कभी बूढ़े होंगे ना बीमार और ना ही कभी मौत आयेगी_*

 

_*📕 तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1, सफ़ह 83*_

_*📕 बहारे शरियत, हिस्सा 1, सफ़ह 46*_

_*📕 तफ़सीरे अज़ीज़ी, पारा 30*_

 

*_बैतुल मुक़द्दस की ज़मीन आसमान से सबसे ज़्यादा क़रीब है,क्योंकि हर जगह से ये ज़मीन 18 मील ऊंची है_*

 

_*📕 फतावा रज़विया, जिल्द 4, सफह 687*_

 

*_हज़रत हूद अलैहिस्सलाम के उम्मत के लोग 400, 500 गज़ लम्बे हुआ करते थे, उनके में बौना शख्स भी 300 गज़ का होता था_*

 

_*📕 जलालैन, हाशिया 14, सफ़ह 135*_

 

*_जानवर में सबसे पहले मछली को पैदा किया गया, उसका नाम ‘नून’ या ‘यम्हूत’ या ‘लेव्तिया’ है उसी की पीठ पर ज़मीन ठहरी है_*

 

_*📕 मदारेजुन नुबुवत, जिल्द 1, सफ़ह 130*_

 

*_जिस साल मेरे आक़ा तशरीफ़ लायें उस साल पूरी दुनिया में सिर्फ लड़के ही पैदा हुए कोई लड़की पैदा नहीं हुई_*

 

_*📕 मवाहिबुल लदुनिया, जिल्द 1, सफ़ह 21*_

 

*_कश्तिये नूह में जब और जानवरों के साथ शेर सवार हुआ तो मौला ने शेर को बुख़ार में मुब्तेला कर दिया, ताकि वह किसी को परेशान ना कर सके, इससे पहले ज़मीन पर ये बीमारी नहीं थी_*

 

_*📕 तफ़सीर रूहुल मआनी, पारा 12, सफ़ह 53*_

 

*_अगर किसी को जानवर ने खा लिया तो उसके पेट में ही हिसाब किताब होगा_*

 

_*📕 मिरक़ात, जिल्द 1, सफ़ह 168*_

 

*_हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के हाथ में लोहा मोम की तरह नर्म हो जाता था, आप बग़ैर आग के उसे हाथों से मोड़कर ज़िरह बना लेते_*

 

_*📕 तफ़सीरे खज़ाएनुल इर्फ़ान, पारा 22, रुकू 8*_

 

*_बुलगार, लन्दन में हर साल 40 रातें ऐसी आती हैं जिनमे इशा का वक़्त ही नहीं आता, शफ़क़ डूबते डूबते ही सुब्ह सादिक़ हो जाती है_*

 

_*📕 बहारे शरियत, हिस्सा 3, सफ़ह 21*_

 

*_पहले खाना नहीं सड़ता था बनी इसराईल को हुक्म था कि ‘मन्न व सलवा’ दूसरे दिन के लिए बचा कर ना रखें पर वो ना माने उनकी नाफ़रमानी पर खाना ख़राब होना शुरू हुआ_*

 

_*📕 तफ़सीर रूहुल बयान, जिल्द 1, सफ़ह 97*_

 

*_’क़ाफ़’ नामी पहाड़ जिसकी जड़ें तमाम ज़मीन के अन्दर फैली हैं, रब जिस जगह ज़लज़ले का हुक्म देता है तो पहाड़ अपनी उस जगह की जड़ को हिला देता है जिससे ज़मीन कांप उठती है_*

 

_*📕 फतावा रज़विया, जिल्द 12, सफ़ह 189*_

 

*_अगर मुसलमान किसी काफिर या मुनाफिक़ के मरने पर उसे मरहूम या स्वर्गवासी कहे या उसकी मग़फिरत की दुआ करे तो खुद काफिर है_*

 

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 1, सफह 55*_

 

*_जो ये अक़ीदा रखे कि हम काबे को सजदा करते हैं काफिर है कि सजदा सिर्फ खुदा को है और काबा इमारत है खुदा नहीं_*

 

_*📕 फतावा मुस्तफविया, सफह 14*_

 

*_ग़ैर मुस्लिमों के त्योहारों में शामिल होना हराम है और अगर माज़ अल्लाह उनकी कुफ्रिया बातों को पसंद करे या सिर्फ हल्का ही जाने जब तो काफ़िर है_*

 

_*📕 इरफाने शरीयत, हिस्सा 1, सफह 27*_

 

*_आखिर ज़माने में आदमी को अपना दीन संभालना ऐसा दुश्वार होगा जैसे हाथ में अंगारा लेना दुश्वार होता है_*

 

_*📕 कंज़ुल उम्माल, जिल्द 11, सफह 142*_

 

*_आखिर ज़माने में आदमी सुबह को मोमिन होगा और शाम होते होते काफिर हो जायेगा_*

 

_*📕 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, सफह 52*_

 

*_फरिश्ते ना मर्द हैं और ना औरत वो एक नूरी मखलूक़ हैं मगर वो जो सूरत चाहें इख़्तियार कर सकते हैं पर औरत की सूरत नहीं इख़्तियार करते_*

 

_*📕 तकमीलुल ईमान, सफह 9*_

 

*_जब हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम चौथे आसमान पर जिंदा हैं और हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम जन्नत में जिस्म के साथ मौजूद हैं तो फिर मेराज शरीफ में मेरे आक़ा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के जिस्मे अनवर के साथ सफर का इंकार क्यों_*

 

_*📕 मदारेजुन नुबूवत, जिल्द 2, सफह 391*_

 

*_उल्माये अहले सुन्नत ने अगर किसी को काफिर या बेदीन या गुमराह का फतवा दिया तो बेशक रब के नज़दीक भी वो वैसा ही ठहरेगा उस पर तौबा वाजिब है_*

 

_*📕 फतावा मुस्तफविया, सफह 615*_

 

*_कोई ग़ैर मुस्लिम मुसलमान होना चाहे तो उसे फौरन कल्मा पढ़ाया जाए कि जिसने भी उसे कल्मा पढ़ाने में ताख़ीर की तो खुद काफिर हो जायेगा_*

 

_*📕 फतावा मुस्तफविया, सफह 22*_

 

*_उसूले शरह 4 हैं क़ुरान हदीस इज्माअ और क़यास, जो इनमें से किसी एक का भी इंकार करे काफिर है_*

 

_*📕 फतावा मुस्तफविया, सफह 55*_

 

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