karbala-me-sar-kataya-hai-ali-ke-laal-ne-lyrics
कर्बला में सर कटाया है ‘अली के लाल ने
दीन का डंका बजाया है ‘अली के लाल ने
ज़ालिमों ने हाथ माँगा जिस घड़ी शब्बीर से
उस के बदले सर कटाया है ‘अली के लाल ने
थरथराता है ज़माना मौत ही के नाम से
मौत से पंजा लड़ाया है ‘अली के लाल ने
कौन कहता है हुसैन इब्न-ए-‘अली प्यासे रहे
पानी को पानी पिलाया है ‘अली के लाल ने
जो किया था बचपना में वा’दा नाना-जान से
कर्बला में वो निभाया है ‘अली के लाल ने
हुर्र ये बोले ख़ुल्द का परवाना मुझ को मिल गया
अपने सीने से लगाया है ‘अली के लाल ने
ना’त-ख़्वाँ:
शहबाज़ रज़ा नूरी कलकत्तवी
दीन का डंका बजाया है ‘अली के लाल ने
परचम-ए-हक़ को उठाया है ‘अली के लाल ने
ख़्वाब में देखा जिसे हज़रत ख़लीलुल्लाह ने
ख़्वाब सच्चा कर दिखाया है ‘अली के लाल ने
‘अज़मत-ए-दीन-ए-मुहम्मद को बचाने के लिए
अपने घर का घर लुटाया है ‘अली के लाल ने
ना’त-ख़्वाँ:
दिलबर शाही