Madine Ko Jaaen Yeh Jee Chahta Hai Lyrics

Madine Ko Jaaen Yeh Jee Chahta Hai Lyrics

 

Madine Ko Jaaye Ye Jee Chahta Hai
Muqaddar Banaaye Ye Jee Chahta Hai
Madine Ke Aaqa Do Aalam Ke Maula
Tere Paas Aaye Ye Jee Chahta Hai

Jahaan Dono Aalam Hai Mehwe Tamanna
Waha Sar Jhukaaye Ye Jee Chahta Hai

Dilon Se Jo Nikle Dayare Nabi Me
Sune Woh Sadaye Ye Jee Chahta Hai

Aaqa Ki Baate Aaqa Ki Seerat
Sune Aur Sunaaye Ye Jee Chahta Hai

Dare Paak Ke Saamne Dil Ko Thaame
Kare Hum Duaye Ye Jee Chahta Hai

Pahunch Jaaye Behzaad Jab Hum Madine
Wahi Maut Aaye Ye Jee Chahta Hai

मदीने को जायें ये जी चाहता है
मुक़द्दर बनायें ये जी चाहता है

मदीने के आक़ा, दो अलम के मौला
तेरे पास आयें ये जी चाहता है
मदीने को जायें ये जी चाहता है

जहाँ दोनों आलम हैं मह्व-ए-तमन्ना
वहाँ सर झुकायें ये जी चाहता है
मदीने को जायें ये जी चाहता है

मुहम्मद की बातें, मुहम्मद की सीरत
सुने और सुनयें ये जी चाहता है
मदीने को जायें ये जी चाहता है

 

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

 

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है
मुक़द्दर बनाएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

मदीने के आक़ा ! दो ‘आलम के मौला !
तेरे पास आएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

जहाँ दोनों ‘आलम हैं महव-ए-तमन्ना
वहाँ सर झुकाएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

मुहम्मद की बातें, मुहम्मद की सीरत
सुनें और सुनाएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

दिलों से जो निकलें दयार-ए-नबी में
सुनें वो सदाएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

पहुँच जाएँ, बहज़ाद ! जब हम मदीने
तो ख़ुद को न पाएँ ये जी चाहता है

मदीने को जाएँ ये जी चाहता है

शायर:
बहज़ाद लखनवी

ना’त-ख़्वाँ:
ज़ुल्फ़िक़ार अली हुसैनी

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