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Mustafa e Zaate Yaktaa Aap Hain
Yak Nay Jis Ko Yak Banaaya Aap Hain
(Huzoor Taajush Shariah)
Teri Soorat Teri Seerat Zamaane Se Niraali Hai
Teri Har Har Adaa Pyaarey Daleel e Be Misaali Hai
(Huzoor Ustaad e Zaman)
Peer (Monday) Ka Din Tamaam Musalmaanaane Ahle Sunnat Ko Mubaarak Ho…
Our Beloved Aaqa, Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’aala Alaihi Wa Aalihi Wasallam Was Born On This Very Special Day… Undoubtedly, It Is Because Of Him (Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’Aala Alaihi Wa Aalihi Wa Sallam), The Entire Creation Was Created.
Jummuah Ka Din Bhi Sarkaar Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’Aala Alaihi Wa Aalihi Wasallam Hi Ke Sadqe Main Ataa Hua..
Woh Jo Na Thay To Kuch Na Tha
Woh Jo Na Ho To Kuch Na Ho
Jaan Hai Woh Jahaan Ki
Jaan Hai To Jahaan Hai
(Huzoor Aala Hazrat)
We Must Never Forget How Much Our Beloved Aaqa, Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’Aala Alaihi Wa Aalihi Wa Sallam Cried And Strived, Just To Save Us From Going To Jahannam!
Mere A’amaal Ka Badlaa To Jahannam Hi Tha
Main To Jaata, Mujhay Sarkaar Nay Jaanay Na Diya
(Huzoor Mufti e Aazam e Hind)
Let Us All Recite At Least:
3 x Surah Al Ikhlaas
1 x Surah Al Fateha
And Lots Of Durood Shareef Today And Always, And Present It In The Blessed Court Of The Most Beloved Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’Aala Alaihi Wa Aalihi Wasallam As A Token Of Appreciation. Its The Least We Can Do.
Huzoor Taajush Shariah Has Said That One Can Also Recite: Sall Allahu Alaa Muhammad
Sall Allahu Alaihi Wasallam.
I’m Sure We All Can Make An Effort.
If abu lahab Gains Benefit Every Monday, Because He Freed Thuwayba, Upon Receiving The News About The Blessed Birth Of Our Beloved Nabi, Sall’Allahu Tabaarak Wa Ta’Aala Alaihi Wa Aalihi Wa Sallam, Then Undoubtedly We, The Mu’mins Will Receive Countless Blessings In This World, In Our Graves And In The Aakhirah
Jo Na Bhoola Hum Ghareebon ko Raza
Yaad Uski Apni Aadat Kijiye!
(Huzoor Aala Hazrat)
May Allah Almighty Keep Us Steadfast Upon Maslake Aala Hazrat Until Our Last Breath…
Aameen
MASLAKE AALAHAZRAT AZEEMUL BARKAT ZINDAHBAD!
HUZOOR TAAJUSH SHARIAH ZINDAHBAD!
HUZOOR MUHADDITHE KABEER ZINDAHBAD!
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Gohar e Minhājul Aabideen Series #13
Dusri Ghaati
Tauba ka bayaan
Farman e Mustafa صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم
“Tauba karne wala Allah Azzawajal ka dost hai aur gunāh se tauba karne wala Aisa hai jese usne gunāh Kiya hi na ho.”
-Nawadir ul usool is Hakeem al tirmidhi.
🔸Tauba laazim hone ki pehli wajah:-
👉🏻Aye Ibaadat ke talabghaar! Allah Azzwajal tujhe apni ibaadat ki taufeeq ataa farmaye, Ilm ke baad tujh par do wajah se Tauba laazim hai.
Pehli wajah yeh hai ki tauba ki barkat se tumhe ibaadat ki taufeeq naseeb ho jaye kyuñki gunāhoñ ki nahusat ibaadat se mehroomi ka sabab banti aur zillat o ruswai musallat kar deti hai, gunāhoñ ki qaid bande ko Allah Azzwajal ki itā’at o ibaadat ki taraf badhne se rok deti hai, gunāhoñ ka bojh nekiyoñ me asaani aur ibaadat meñ taazgi se rukāwat banta hai aur gunāh pur asraar diloñ ko kar deta hai.
Un meñ tumheñ sakhti aur andhera hi anzar aayega, ikhlaas, safaayi aur ibaadat ka zauq o shauq aur mithaas naam ko naa hogi aur agar Allah Azzwajal ke rehmat shaamil haal na ho toh gunāh bande ko ghaseet kar kufr o bad-bakhti tak le jaate hain.
(نعوذباللہ من ذلک)
(Minhājul Aabideen, pg 47)
Question:
Can brother and sister shake hands for congratulating Eid, and also, can cousin brother and sister shake hands?
Answer:
Between brother and sister, there is no Shar’ee veil (pardah) that prevents them from shaking hands while congratulating each other on special occasions like Eid.
However, between more distant relatives like cousins (e.g., chacha zaad, mamo zaad, phuphi zaad, khala zaad), physical contact like handshaking is not permissible because they are not considered Mahram. Keep in mind that there is no such thing as cousin brother and sister in the Shariah of Islam. They cannot be regarded as brothers and sisters, they are indeed Ghair Mahram.
Mufti Abdun Nabi Hamidi
❤💠 हदीस शरीफ की रोशनी 💠❤
☪हुजूर सरवर-ए-कौनैन ﷺ ईर्शाद फरमाते हैं :-
🔮”ऐसा कोई दिन नहीं जिस मे अल्लाह तआला बंदे को अरफा (के दिन) से ज्यादा आग से आजाद करता हो ओर ( इस दिन) अल्लाह तआला बंदे के करीब होता हैं फिर फरिश्तों के सामने हज्ज करने वालों पर फक्र फरमाता हैं।”
🌻(मुस्लिम शरीफ)🌻
✍🏿संकलन :रुहानी जंत्री (जामनगर)
☪ सुबह बेदार होते वक़्त की दुआ ☪
☘ اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
🌹”अल्हम्दु लिल्लाहिल लजी अह-यना बा’अदा मा अमातना व इलैहिन नुशूर”
🔮 तर्जमा 🔮
👉🏿अल्लाह के लिए ही तमाम तारीफें हैं जिसने हमें जिंदा किया इसके बाद इसी ने मौत तारी ( दे दी ) कर दी थी और उसी की तरफ लौटना है।”
✍🏿संकलन :रुहानी जंत्री (जामनगर)
💦💚 हदीस शरीफ की रोशनी 💚💦
☪सरकार-ए-दो आलम ﷺ ईर्शाद फरमाते हैं :-
🔮”उस जात की कसम जिसके कब्जा ए कुदरत मे मेरी जान हैं बेशक का’बा को जुबान ओर दो हाथ हैं ओर उसने अल्लाह तआला के दरबार मे शिकायत की,उसने अर्ज किया : ‘ऐ परवरदिगार! मेरे पास आने वाले ओर जियारत करने वाले कम हो गये।”
🔮” तो अल्लाह तआला ने उसकी जानीब ‘वहीं’ फरमाइ,बेशक मेने ऐसे इन्शानो को वजूद बक्षने वाला हुं जिनके दिल खौफ ओ खाशियत से मामूर ओर उनकी जबीने बारगहे ईलाही मे सजदा रेज रहेंगी वोह तेरी तरफ ऐसे मुस्ताक रहेंगे जैसे कबूतर अपने अंडे की तरफ मुस्ताक रहेता हैं।”
🌻(अल-मुअजम,अल-अवस्त लिल तबरानी,हदीस नं.6245)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
🕋⭕ हदीस शरीफ की रोशनी ⭕🕋
👉🏿रुपया जमा करने वाले का अंजाम👈🏿
☪ हज़रते अली रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर नबी-ए-करीम हसल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :-
🔮”जब लोग फ़क़ीरों से दुश्मनी रखें, दुनियावी शौकत व हशमत का इज़हार करें और रुपया जमा करने पर लालची हो जायें तो अल्लाह तआला उन पर चार मुसीबतें नाज़िल फ़रमाता है”:-
📿(1)कहत साली,(2)जालिम बादशाह,(3)ख़ाइन हाकिम और(4) दुश्मनों की हैबत।”
🌻(मुकाशफतुल कुलुब,सफ़ह: 229)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
☪ सुबह बेदार होते वक़्त की दुआ ☪
☘ اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
🌹”अल्हम्दु लिल्लाहिल लजी अह-यना बा’अदा मा अमातना व इलैहिन नुशूर”
🔮 तर्जमा 🔮
👉🏿अल्लाह के लिए ही तमाम तारीफें हैं जिसने हमें जिंदा किया इसके बाद इसी ने मौत तारी ( दे दी ) कर दी थी और उसी की तरफ लौटना है।”
✍🏿संकलन :रुहानी जंत्री (जामनगर)
🕋💦 हदीस शरीफ की रोशनी 💦🕋
☪हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहो तआला अन्हो फरमाते हैं कि मेने रसुलल्लाह ﷺ को यह ईशॉद फरमाते हुए सुना :-
🔮”सबसे बड़ी नेकी यह है कि बेटा (बाप के इन्तकाल के बाद) बाप से तालूक रखने वालो के साथ अच्छा सुलक करे।”
🌻(मुस्लिम शरीफ, हदीस नं. 6513)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
🟢🛑 हदीस शरीफ की रोशनी 🛑🟢
👉🏿मफ़हूम-ए-फरमाने मुस्तफा ﷺ👈🏿
☪हज़रत अनील मुस्तौरिद رضي الله تعالا عنه से रिवायत है के हुज़ुर नबी ए करीम ﷺ ने इर्शाद फरमाया :-
🔮”जिस ने किसी मुसलमान (की ग़ीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुकमा भी खाया, तो कियामत के दिन अल्लाह تبارك و تعالا उस को एक लुकमा जहन्नम से खिलाएगा, और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज़्ज़ती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहेनने को मिला, तो कियामत के दिन अल्लाह تبارك و تعالا उसको उसी कदर जहन्नम से पेहनाएगा।”
🌻(अबु दाउद, हदीस नं. 4881)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
☪ सुबह बेदार होते वक़्त की दुआ ☪
☘ اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
🌹”अल्हम्दु लिल्लाहिल लजी अह-यना बा’अदा मा अमातना व इलैहिन नुशूर”
🔮 तर्जमा 🔮
👉🏿अल्लाह के लिए ही तमाम तारीफें हैं जिसने हमें जिंदा किया इसके बाद इसी ने मौत तारी ( दे दी ) कर दी थी और उसी की तरफ लौटना है।”
✍🏿संकलन :रुहानी जंत्री (जामनगर)
🌈💚 हदीस शरीफ की रोशनी 💚🌈
👉🏿 हुजूर ﷺ की पांच नसीहतें👈🏿
☪हजरत अबू हुरैराह रदियल्लाहो अन्हो से रिवायत है कि हुजर नबी-ए-करीम ﷺ ने फरमाया कि कोई ऐसा शख्स है जो इन बातों पर खुद अमल करें या कम अज़ कम उन लोगों को ही बता दे जो इन पर अमल करें?
🔰 मैंने अर्ज़ किया:-” या रसूलल्लाह ! मैं हाजिर हूं।”
💠 आप ﷺ ने मेरा हाथ पकड़ा और यह बातें ईशॉद फरमाईं :-
💧(1)” हराम बातों से दूर रहना बड़े इबादत गुज़ार बंदों में शुमार होगा।”
💧(2) “अल्लाह ताला ने जो तुम्हारी तकदीर में लिख दिया है उस पर राज़ी रहना बड़े बे नियाज़ बंदों में शुमार होंगे।”
💧(3)”अपने पड़ोसी से अच्छा सुलूक करना मोमिन बन जाओगे।”
💧(4)”जो बात अपने लिए चाहते हो वही दूसरों के लिए पसंद करना कामिल मुसलमान बन जाओगे।”
💧(5)”बहुत क़हक़हे ना लगाना क्योंकि ज्यादा हंसना दिल को मुर्दा बना देता है।”
🌻(अनमोल जवाहिरात- सफा नं. 87 बा हवाला मुसनद अहमद, तिरमिज़ी)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
☪ सुबह बेदार होते वक़्त की दुआ ☪
☘ اَلْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَحْيَانَا بَعْدَ مَا أَمَاتَنَا وَإِلَيْهِ النُّشُورُ
🌹”अल्हम्दु लिल्लाहिल लजी अह-यना बा’अदा मा अमातना व इलैहिन नुशूर”
🔮 तर्जमा 🔮
👉🏿अल्लाह के लिए ही तमाम तारीफें हैं जिसने हमें जिंदा किया इसके बाद इसी ने मौत तारी ( दे दी ) कर दी थी और उसी की तरफ लौटना है।”
✍🏿संकलन :रुहानी जंत्री (जामनगर)
🌱🌸 हदीस शरीफ की रोशनी 🌸🌱
👉🏿ऐसी मजलिस हसरत का बाईस होगी👈🏿
☪हुज़ूर नबी-ए-करीम صلی اللہ علیہ والہ وسلم ने फ़रमाया :-
🔮”हर वो मजलिस जिसमें लोग जमा हों और वो अल्लाह का ज़िक्र न करें और नबी ﷺ पर दुरूद न पढ़ें तो क़यामत के दिन ऐसी मजलिस उन लोगों के लिए हसरत का बाइस [वजह] होगी। (यानी वो लोग हसरत करेंगे फुलां मजलिस में हमने अल्लाह का ज़िक्र क्यों नहीं किया? नबी ए पाक ﷺ पर दुरूद क्यों नहीं पढ़ा)
🌻(मुसनद-ए-अहमद,हदीस नं. 9965)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
🕋🔰 हदीस शरीफ की रोशनी 🔰🕋
👉🏿वज़ू कर के सोने की फ़ज़िलत👈🏿
☪ हुजर नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलयहे वसल्लम) ने फरमाया :-
🔮”जो शख़्स रात को वुज़ू कर के सोए तो एक फ़रिशता उसके पास रात गुज़ारता है जब वो शख़्स उठता है तो वो फ़रिश्ता कहता है : ‘ऐ अल्लाह! अपने फ़ुलां बन्दे की मग़फ़िरत फ़रमा क्यूंके वो वुज़ू करके सोया है।”
🌻(सही इब्ने हब्बान,हदीस नं. 1064)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
💠🖤 हदीस शरीफ की रोशनी 🖤💠
👉🏿 दुनियां की मुहब्बत का अंजाम 👈🏿
☪ हुजर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है का फरमान हैं :-
🔮”क़ियामत के दिन ऐसे लोग आएंगे जिन के आ’माले हसना तहामा (एक बड़ा सफ़ेद पहाड़) के पहाड़ों के बराबर होंगे मगर उन्हें जहन्नम की तरफ ले जायेंगे।”
🔰 सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हु ने पूछा:”या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क्या वो लोग नमाज़ रोज़ा अदा करने वाले होंगे?”
💦सरकार ने फ़रमाया : -“हाँ ! वो लोग रोज़ादार और रात का एक हिस्सा इतबाद में गुज़रने वाले होगे मगर वोह दुनिया के दिलदादह (यानी दुनियां की मोहब्बत में ज़िन्दगी गुज़ारने वाले ) होंगे।”
🌻(मुकाशफतुल कुलुब, सफ़ह: 215)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
🕋🟢 हदीस शरीफ की रोशनी 🟢🕋
☪ हुजर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलयहे वसल्लम ईशॉद फ़रमाते हैं :-
🔮”अल्लाह तआला उस नमाज़ की तरफ़ नहीं देखता जिस में इन्सान का दिल उस के बदन के साथ शामिले इबादत नहीं होता।”
🌻(मुकाशफतुल कुलुब, सफ़ह: 100)🌻
✍🏿संकलन : रुहानी जंत्री (जामनगर)
Indeed, Allāh showers His blessings upon the Prophet, and His angels pray for him. O believers! Invoke Allāh’s blessings upon him, and salute him with worthy greetings of peace.
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَـٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِىِّ ۚ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ صَلُّوا۟ عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا۟ تَسْلِيمًا
inna-llaha wamalāikatuhu yuṣallūna ʿalā-nabiy, yā ayyuhā -lladhīna āmanū ṣallū ʿalayhi wasallimū taslīmā
[Sūrah al-ʾAḥzāb, Verse 56]
Recite below ⬇⬇⬇
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ
وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا صَلَّيْتَ
عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ
وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا بَارَكْتَ
عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
Allāhumma ṣalli ʿalā Muḥammad wa ʿalā āli Muḥammad, kamā ṣallayta ʿalā Ibrāhīm wa ʿalā āli Ibrāhīm innaka ḥamīdun majīd
Allāhumma bārik ʿalā Muḥammad wa ʿalā āli Muḥammad, kamā bārakta ʿalā Ibrāhīm wa ʿalā āli Ibrāhīm innaka ḥamīdun majīd
O Allah, send prayers on Muhammad
and the people of Muhammad, as You sent prayers on Abraham and the people of Abraham. You are the Praiseworthy, the Glorious.
O Allah, bless Muhammad and the people of Muhammad, as you blessed Abraham and the people of Abraham. You are the Praiseworthy, the Glorious.