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Shab e Barat Lyrics

Shab e Barat Lyrics

shab e barat lyrics

नएरंग हैं अजूबा-ए-कुदरत शबे बरात
अल्लाह वालों के लिए रह़मत शबे बरात
शाबान की है पन्दरह तारीख की ये शब
क़ुर्बान हर तरहां से जिस पर की फ़ज़्ले रब
दर-अस्ल है ये रह़मतों बख्शिश का ख़ास दर
जिसके कमाल-ए-फ़ज़्ल से बाक़िफ़ हर बशर
फ़ज़्ले ख़ुदा का होता है इस रात में नुज़ूल
हर अहले दीं की होती है इसमे दुआ क़ुबूल
बे शक़ तमाम रातों में अफ़ज़ल ये रात है
क़ुर्बान इसकी शान पे कुल कायनात है
त्योहार है ये मज़हब-ए-इस्लाम का बड़ा
इसमें न्याज़ हल्वे पे होती है जा-बजा
पहुंचाया इसमें जाता है मुर्दों को भी सबाब
ऊपर से उनके टलता है इसके सबब अजाब
जिनके दिलों में होता है ख़ौफ़े ख़ुदा नसीम
क़ब्रों पे जाके फ़ातिहा पढ़ते हैं अहले दीन

बन्दों को ह़क़ ये ह़क़ से दिलाने के वास्ते
बन्दों को ह़क़ ये ह़क़ से दिलाने के वास्ते
आई ये रात सारे ज़माने के वास्ते

Jago Shabe Barat Lyrics

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

Jago Shabe Barat Lyrics

अल्लाह अल्लाह
अल्लाह करम अल्लाह

अल्लाह अल्लाह
अल्लाह करम अल्लाह

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

इस शब में जिसने मांगा वोही उसको मिल गया
अल्लाह ने मुरादों से दामन को भर दिया
ख़ाली ना कोई जाएगा इस शब बरात में
महशर में भी वोह होगा मोहम्मद के साथ में
ईमान ताज़ा होता है इस शब बरात को
बख़्शी है वोह मौला ने ये ताक़त इस रात को
बंदों पे अपने उनकी इनायत की रात है

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

सुन ले सदा मजबूरों की ऐ मालिक-ए-जहां
भर देना मांगते हैं मुरादों से झोलियां
रह जाए ना मायूस कोई आज सवाली
दामन किसी का जाए ना मौला मेरे खाली
ये रात क्या है आज ज़माने को बता दे
सदके़ में मोहम्मद के कोई जल्वा दिखा दे
बंदों को तोहफ़ा बख़्शा है बंदा नवाज़ ने

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

Paai Shabe barat ye Kismat Baat Hai Lyrics Hindi And English.

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

पाई शबे बरात ये किस्मत की बात है
जागूँगा सारी रात ये इबादत की रात है
पाई शबे बरात ये क़िस्मत की बात है

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

मर्ज़ ए गुनाह से तौबा करुंगा मैं
फ़रमान ए मुस्तफ़ा है शफ़अ़त की रात है

जागूँगा सारी रात ये इबादत की रात है
पाई शबे बरात ये किस्मत की बात है

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

होगी क़बूल सारे तलबगारों की फ़रियाद
बस दिल से पुकारो ये समाअ़त की रात है

जागूँगा सारी रात ये इबादत की रात है
पाई शबे बरात ये किस्मत की बात है

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

सजदे करुंगा अश्क ए नदामत बहाऊंगा
सब कुछ मिलेगा मुझको इनायत की रात है

जागूँगा सारी रात ये इबादत की रात है
पाई शबे बरात ये किस्मत की बात है

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

सारा जगाना छोड़ के मस्जिद चलो नादिम
रह़मत ही रह़मतें हैं ये बरकत की रात है

जागूँगा सारी रात ये इबादत की रात है
पाई शबे बरात ये किस्मत की बात है

शबे बरात- शबे बरात
शबे बरात- शबे बरात

Voice: Rao Ali Hassnain

Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai Lyrics
Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai
Jagunga Saari Raat Ye Ibadat Ki Baat Hai
Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Marz-e-Gunah Se Tauba Karunga Main
Farman-e-Mustafa Hai Shafa’at Ki Raat Hai

Jagunga Saari Raat Ye Ibadat Ki Baat Hai
Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Hogi Qabool Saare Talabgaron Ki Fariyad
Bas Dil Se Pukaro Ye Sama’at Ki Raat Hai

Jagunga Saari Raat Ye Ibadat Ki Baat Hai
Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Sajde Karunga Ashk-e-Nadamat Bahaunga
Sab Kuchh Milega Mujhko Inyat Ki Raat Hai

Jagunga Saari Raat Ye Ibadat Ki Baat Hai
Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Sara Jagana Chhor Ke Masjid Chalo Nadim
Rahmat He Rahmatein Hain Ye Barkat Ki Raat Hai

Jagunga Saari Raat Ye Ibadat Ki Baat Hai
Paai Shabe Barat Ye Qismat Ki Baat Hai

Shabe Barat- Shabe Barat
Shabe Barat- Shabe Barat

Jashan ka manzar tha naat lyrics | Talha Qadri

Jashan ka manzar tha naat lyrics Hindi

जश्न का मन्ज़र था माहौल सुहाना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Jashan ka manzar tha maahol suhana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

फ़र्श पे नग़मे थे आक़ा की रिसालत के
अर्श पे चर्चे थे आक़ा की अज़मत के
Farsh pe naghme the aaqa ki risalat ke
Arsh pe charche the aaqa ki azmat ke

हूरों के लब पर खुशियों का तराना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Huron ke labon par khushiyon ka tarana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

रुत बदल जाए रात सवर जाए
हुक्म ख़ुदा का हुआ वक़्त ठहर जाए
Rut badal jaye raat sawar jaaye
Hukm khud ka hua waqt thahar jaye

रुक गया फ़ौरन जो गर्दिश में ज़माना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Ruk gaya fouran jo gardish me zamana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

मस्जिद ए अक़्सा में क्या मन्ज़र थे प्यारे
पीछे क़तारों में हाज़िर थे नबी सारे
Masjid e aqsa me kya manzar the pyare
Peechhe qataron me hazir the nabi sarey

आगे मुसल्ले पर सुल्तान ए ज़माना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Aage musalle par sultan e zamana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

मन्ज़िल ए सिदरा पर जिब्रील ने अर्ज़ किया
शाहे दो आलम मैं आगे नहीं चल सकता
Manzil e sidra par jibreel ne arz kiya
Shaahe do aalam main aage nahin chal sakta

ये ही हद मेरी, यही मेरा ठिकाना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Ye hi had meri, yehi mera thikana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

नूर में फारूक़ी डूबा ये जहां होगा
वक़्त वो क्या होगा, कैसा वो समा होगा
Noot me farooqi dooba ye jahan hoga
Waqt wo kya hoga kaisa wo sama hoga

मसनद-ए-अर्श पे जब हसनैन का नाना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Masnad e aarsh pe jab hasnain ka nana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

जश्न का मन्ज़र था माहौल सुहाना था
अर्श ना क्यूँ सजता सरकार ने आना था
Jashan ka manzar tha maahol suhana tha
Arsh na kyun sajta sarkar ne aana tha

Naat Khwan: Talha Qadri

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

Jago Shabe Barat Lyrics

अल्लाह अल्लाह
अल्लाह करम अल्लाह

अल्लाह अल्लाह
अल्लाह करम अल्लाह

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

इस शब में जिसने मांगा वोही उसको मिल गया
अल्लाह ने मुरादों से दामन को भर दिया
ख़ाली ना कोई जाएगा इस शब बरात में
महशर में भी वोह होगा मोहम्मद के साथ में
ईमान ताज़ा होता है इस शब बरात को
बख़्शी है वोह मौला ने ये ताक़त इस रात को
बंदों पे अपने उनकी इनायत की रात है

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

सुन ले सदा मजबूरों की ऐ मालिक-ए-जहां
भर देना मांगते हैं मुरादों से झोलियां
रह जाए ना मायूस कोई आज सवाली
दामन किसी का जाए ना मौला मेरे खाली
ये रात क्या है आज ज़माने को बता दे
सदके़ में मोहम्मद के कोई जल्वा दिखा दे
बंदों को तोहफ़ा बख़्शा है बंदा नवाज़ ने

जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है
सजदे में सर झुकाओ शफ़ाअ़त की रात है
जागो शब-ए-बरात इबादत की रात है

Recited by: Rao Ali Hasnain

Ik shabe taar hai naat lyrics | इक शबे तार है

Ik shabe taar hai naat lyrics-इक शबे तार है

ik shab e taar hai naat hindi
Ik Shabe Taar Hai Lyrics
Ik shabe taar hai
Ik shabe taar hai

Aur ek ghaar hai, Aur us ghaar me
Ek sachha hai aur ek sachhaai hai

Ik mohabbat hai aur ek hubdaar hai
Be-panaah pyaar hai, Be-panaah pyaar hai

Jispe shahid hai aur noorani farman bhi
Rab ka Qur’aan bhi, Rab ka Qur’aan bhi

Zaanu-e-yaar par yaar filghaar par
Doulat e do jahan, Doulat e do jahan
Jalwa paira hui, Jalwa paira hui
Faiz farma.n hui, Faiz farma.n hui

Be-panaah pyaar hai …

Mere sarkar ka apne allah se
Be-panaah pyaar hai

Mere siddiq ka apne mahboob se
Be-panaah pyaar hai

Lekin us ghaar ke kone khudre me maujood
Ik saanp se
Ye taqarrub ka manzar na dekha gaya
Shokh ne das liya, saanp ke zahar se
Japt siddiq-e-akbar ka toota magar
Sanp ko kya khabar, Sanp ko kya khabar

Iski tar aankh se unke rukhsaar tak
Nukrayi aab ka, mahram-e-khaab tak
Jo safar ho gaya motbar ho gaya

Naat Khwan: Khalid Hasnain Khalid

इक शबे तार है Lyrics In Hindi
इक शबे तार है
इक शबे तार है

और एक ग़ार है और उस ग़ार में
एक सच्चा है और एक सच्चाई है

इक मोहब्बत है और एक हुबदार है
बेपनाह प्यार है, बेपनाह प्यार है

जिस पे शाहिद है और नूरानी फरमान भी
रब का कुरआन भी, रब का कुरआन भी

ज़ानू-ए-यार पर यार फिलगार पर
दौलत ए दो जहां, दौलत ए दो जहां
जल्वा पैरा हुई, जल्वा पैरा हुई
फ़ैज़ फ़रमां हुई, फ़ैज़ फ़रमां हुई

बेपनाह प्यार है …

मेरे सरकार का अपने अल्लाह से
बेपनाह प्यार है

मेरे सिद्दीक़ का अपने महबूब से
बेपनाह प्यार है

लेकिन उस ग़ार के कोने खुदरे में मौजूद इक सांप से
ये तक़र्रुब का मंज़र ना देखा गया
शोक ने डस लिया सांप के ज़हर से
जप्त सिद्दीक़-ए-अकबर का टूटा मगर
सांप को क्या खबर, सांप को क्या खबर

इसकी तर आंख से उनके रुखसार तक
नुकरई आब का, मैहरम-ए-ख्वाब तक
जो सफ़र हो गया, मोतबर हो गया

Khalid Hasnain Khalild Best Naat Lyrics

Gunawan Utay Paen Parday Lyrics | Umair Zubair

Gunawan Utay Paen Parday Lyrics

Mere Mola….
Mere Mola….
Mere Mola….
Mola….

Aj Bakhshish Di Hai Raat Aayi
Hatth Bandh Ke Sadawañ Karniya Ne
Aj Rab Deyañ Bandeya Farooqi
Ro Ro Ke Duawañ Karniya Ne.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paeñ Parday.
Sada Kar Daen Bhala Mola
Gunawañ Utay Paeñ Parday.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paen Parday

Jado Name Ne Khulna Ay
Jado Amlañ Ne Tulna Ay
Kar Deewiñ Ata Mola
Gunawa Utay Paen Parday.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paen Parday

Ae Nijaat Da Mauqa Ay
Shab Raat Da Mauqa Ay
Karniyañ Dua Mola
Gunawañ Utay Paen Parday.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paen Parday

Keda Kinna Gunahgaar Ay
Keda Kinna Siyahkaar Ay
Tenu Sab Dai Pata Mola
Gunawañ Utay Paen Parday.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paen Parday

Ae Sada Ay Farooqi Di
Ae Dua Ay Farooqi Di
Bakhsh Daeñ Har Khata Mola
Gunawañ Utay Paen Parday.

Din Hashr Diyañ Mola
Gunawañ Utay Paen Parday

Recited by: Umair Zubair

Noori mahfil pe chadar tani noor ki lyrics

Noori mahfil pe chadar tani noor ki lyrics
नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की

Aaj ki raat hai
Aaj ki raat .. hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai,
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Maang lo maang lo chashme tar maang lo
Dard e dil aur husne nazar maang lo

Kamli wale ki nagri mein ghar maang lo
Maangne ka maza aaj ki raat hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai,
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Farsh par dhoom hai arsh par dhoom hai
Bad naseebi hai uski jo mahroom hai

Phir ye aayegi shab kis ko maaloom hai
Aam lutfe khuda aaj ki raat hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai,
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Abre rahmat hain mahfil pe chhaye huye
Aasma.n se malaik hain aaye huye

Khud muhammadﷺ hain tashreef laaye huye
Kis kadar ja.n fiza aaj ki raat hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai,
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Momino aaj ganje sakha loot lo
Loot lo ae mareezo shifa loot lo

Aasiyon rahmat e mustafa loot lo
Baab e rahmat khula aaj ki raat hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai’
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Waqt laaye khuda sab madine chalen
Lootne rahmaton ke khazine chalen

Sab ke taiba ki jaanib safeene chale
Meri saaim dua aaj ki raat hai

Noori mahfil pe chadar tani noor ki
Noor faila hua aaj ki raat hai,
Chandani mein hain doobe huye do jahan
Koun jalwa numa aaj ki raat hai !!

Aaj ki raat hai
Aaj ki raat .. hai

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की हिन्दी में
आज की रात है
आज की .. रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

मांग लो मांग लो चश्मे तर मांग लो
दर्दे दिल और हुस्ने नज़र मांग लो

कमली वाले की नगरी में घर मांग लो
मांगने का मज़ा आज की रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

फ़र्श पर धूम है अर्श पर धूम है
बदनसीबी है उसकी जो महरूम है

फिर ये आएगी शब किसको मालूम है
आम लुत्फ़े से ख़ुदा आज की रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

अब्रे रह़मत हैं महफ़िल पे छाए हुए
आसमा से मलाइक हैं आए हुए

खुद मुह़म्मदﷺ हैं तशरीफ़ लाए हुए
किस कदर जां फ़िज़ा आज की रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

मोमिनो आज गंजे सखा लूट लो
लूट लो ऐ मरीज़ों शिफ़ा लूट लो

आसियों रहमत ए मुस्तफ़ा लूट लो
बाब-ए-रह़मत खुला आज की रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

वक़्त लाये ख़ुदा सब मदीने चलें
लूटने रहमतों के खज़ीने चलें

सबके तैयबा की जानिब सफ़ीने चले
मेरी साइम दुआ आज की रात है

नूरी महफ़िल पे चादर तनी नूर की
नूर फ़ैला हुआ आज की रात है,
चांदनी में हैं डूबे हुए दो जहां
कौन जल्वानुमा आज की रात है !!

आज की रात है
आज की .. रात है

Voice: Laiba Fatima

Noori Mahfil Pe Chadar tani Lyrics In Hindi

Shabe Barat Ka Ejaz Hindi Lyrics | Tasleem Arif

Shabe Barat Ka Ejaz Lyrics

शबे बरात का एजाज़

नएरंग हैं अजूबा-ए-कुदरत शबे बरात
अल्लाह वालों के लिए रह़मत शबे बरात
शाबान की है पन्दरह तारीख की ये शब
क़ुर्बान हर तरहां से जिस पर की फ़ज़्ले रब
दर-अस्ल है ये रह़मतों बख्शिश का ख़ास दर
जिसके कमाल-ए-फ़ज़्ल से बाक़िफ़ हर बशर
फ़ज़्ले ख़ुदा का होता है इस रात में नुज़ूल
हर अहले दीं की होती है इसमे दुआ क़ुबूल
बे शक़ तमाम रातों में अफ़ज़ल ये रात है
क़ुर्बान इसकी शान पे कुल कायनात है
त्योहार है ये मज़हब-ए-इस्लाम का बड़ा
इसमें न्याज़ हल्वे पे होती है जा-बजा
पहुंचाया इसमें जाता है मुर्दों को भी सबाब
ऊपर से उनके टलता है इसके सबब अजाब
जिनके दिलों में होता है ख़ौफ़े ख़ुदा नसीम
क़ब्रों पे जाके फ़ातिहा पढ़ते हैं अहले दीन

बन्दों को ह़क़ ये ह़क़ से दिलाने के वास्ते
बन्दों को ह़क़ ये ह़क़ से दिलाने के वास्ते
आई ये रात सारे ज़माने के वास्ते

होती है मस्जिदों में सजावट से रौशनी
महकाई उनमें जाती हैं खुशबूएं इत्र की
उनमें नमाज़ी करते इबादत हैं रात भर
जन्नत में आलीशान बनाते हैं अपना घर
इस शब में बख़्शे जाएंगे उनके गुनाह सब
होता रहेगा उन पे हमेशा ही फज़्ले रब
जो भी करेगा इसका मुसलमान एहतराम
उसका नसीब चमकेगा बिगड़े बनेंगे काम
जितने भी हैं फरिश्ते वो आकर ज़मीन पर
बन्दों के साथ करते इबादत हैं रात भर
सजते हैं सब ही कूचा-ओ-बाज़ार शहर में
जश्न-ए-शब-ए-बारात बड़ा है ये दहर में
फज़्ल-ओ-करम की होती है इस रात में बा-ख़ैर
खुश वक़्त लूटने में ना करते हैं इसके देर

इस रात में जो जागेगा जन्नत में जाएगा
इस रात में जो जागेगा जन्नत में जाएगा
हूरों के साथ जश्न-ए-मसर्रत मनायेगा

अपना ख़ुदा-ए-पाक बड़ा मेहरबान है
उसका बड़ा है रुत़्बा बड़ी उसकी शान है
इस शब में बैठता है ख़ुदा अपने तख़्त पर
दर सब ही अपने रहमत-ओ-बख्शिश के खोलकर
खुश हो के अपने बंदों से कहता है ! मोमिनों
आओ मेरे खज़ाना-ए-रह़मत को लूट लो
तुम जो भी मुझसे मांगोगे दूंगा तुम्हें ज़रूर

तौबा से बख्श दूंगा तुम्हारे सभी कुसूर
मांगोगे माल-ओ-ज़र तो वो दूंगा बसद खुशी
चमकाऊंगा तुम्हारी हर इक तरहां ज़िन्दगी
है ये शबे बरात मेरी बख्शिशों की रात
इस रात पर निसार है ! कुल मेरी इस कायनात
इस रात में जो तौबा करेगा गुनाहगार
मैं उसको बख्श दूंगा खुशी से ब-सद वक़ार

गर हो नज़र तुम्हारी बहिश्ती उसूल पर
गर हो नज़र तुम्हारी बहिश्ती उसूल पर
भेजो दुरुद तुम मेरे प्यारे रसूल पर

गर तुमको सब्र-ओ-शुक्र की हालत में पाऊंगा
मैंने जो तुमसे वादा किया है! निभाऊंगा
जो इस शबे बरात में सोएगा बदनसीब
दोनों जहां की नेमतें खोएगा बदनसीब
इस शब में जो भी जागेगा सहरी वो खाएगा
रोज़ा ज़रूर रक्खेगा इनआम पाएगा
ऐ मोमिनो ये ग़ौर से सुनना है ! खास बात
रोज़े बिना अधूरी रहेगी शबे बरात
रोज़ा ये लाज़मी है बड़ा इसका है सबाब
इसमें मेरी अत़ाओं की बरकत है बे-हिसाब
रोज़ा ये और रोज़ों से अफ़ज़ल है विल-यकीन
इसको बड़े ही शौक से रखते हैं अहले दीन
परवाना-ए-बहिश्त है रोज़ा ये शानदार
रखने से इसके होता बहुत खुश है किर्दगार

ये रात जागने की है बिस्तर को छोड़ दो
ये रात जागने की है बिस्तर को छोड़ दो
आंखों से अपनी नींद के रिश्ते को तोड़ दो

है साल भर की रातों में अफ़ज़ल ये एक रात
कुदरत का है हदिया मुकम्मल ये एक रात
पर्चे इसी में कटते हैं मौत-ओ-हयात के
बन्दों को दर्ज़े मिलते हैं आला सिफ़ात के
होता है पूरे साल का इस रात में हिसाब
तूफ़ां के हादसात बबाओं का ऐ जनाब
ह़क़ ने बनाये रह़मत-ओ-बख्शिश के दिन तमाम
लेकिन शबे बरात को बख़्शा बड़ा मक़ाम
अल्लाह इसमें करता है ऐलान बार-बार
क्या चाहिए तुझे मेरे बंदे मुझे पुकार
तू जो भी मुझसे मांगेगा दूंगा तुझे ज़रूर
गफ़लत ना इसमें करना जो रखता है कुछ शऊर
ऐ मेरे बंदे ग़ौर से सुन ले ये मेरी बात
तेरे ही वास्ते ये सजाई है कायनात

भेजेगा जो सलाम शहीदों के नाम पर
भेजेगा जो सलाम शहीदों के नाम पर
मैं उसका नाम लिखूंगा कौसर के जाम पर

हर एक शैय है सिर्फ तुम्हारे लिए बनी
दरअस्ल इम्तहां है तुम्हारी ये ज़िन्दगी
फ़र्श-ए-ज़मीं तुम्हारे लिए है बिछा दिया
इसको चमन बना के गुलों से सजा दिया
इस पर उगा के सब्ज़ियों, आनाज, फूल, फल
दरिया बहाए झीलों में खिलवा दिए कवल
इक साल की ये रातों में रौशन है एक रात
मेरी अताओं का बड़ा मख़ज़न है एक रात
पुरनूर चांद तारे है इसमें सजा दिए
खुश करने को तुम्हारे ये सामां बना दिए
शहरद से भी तुम्हारी ज़्यादा हूँ मैं करीब
समझे जो मुझको दूर वो काफ़िर है बदनसीब
कहते हैं जिसको हश्र वो दिन है बहुत करीब
ढायेगा जो के वज़्में जहां पर सितम अजीब

दिन वो गज़ब में आएगा चिंघारता हुआ
दिन वो गज़ब में आएगा चिंघारता हुआ
मलऊन काफ़िरों का जिगर फ़ाड़ता हुआ

जब सूर मेरे हुकुम से फ़ूकेंगे इस्राफ़ील
पैदा निज़ाम-ए-दहर में होने लगेगी ढील
फट जाएगा धमाके से फौरन वो आसमान
होगा मुसीबतों में गिरफ़्तार कुल जहान
सूरज भी आएगा सबा नेज़े पे वो उतर
गर्मी से उसकी भागेगा बचने को हर बशर
पुरशाने हाल होगा किसी का नहीं वहां
हर सिम्त नफ़्सी नफ़्सी का होगा अजब समा
उस दिन किसी का कोई ना होगा जहान में
नक्शा पलट ही जाएगा सब एक आन में
तूफ़ां ये जब उठेगा कयामत का चार सू
इक हश्र खेज़ आएगा भूचाल कू बतू
घबरा के लोग चीखेंगे चिल्लाएंगे सभी
इमदाद को ना आएगा उनकी वहां कोई

फट जाएगी ज़मीन उखड़ जाएंगे पहाड़
फट जाएगी ज़मीन उखड़ जाएंगे पहाड़
कहरो गज़ब की होगी हर सिम्त मार धाड़

बन्दे जो नेक होंगे वहां पर वफ़ा शुआर
महशर में ये अज़ाब ना गुज़रेगा उन पे बार
उनको हर इक बला से बचायेंगी नेकियाँ
खुल्द-ए-बरीं की राह दिखायेंगी नेकियाँ
किस तरहां दिन ये होगा कयामत का शोला बार
हो जायेंगे ये खत्म के जितने हैं जानदार
पिस जायेगा ये हश्र की चक्की में कुल जहां
बाक़ी ना ज़िन्दगी की रहेगी कोई निशां

इन्सान, जिन्न, फ़रिश्ते ये मर जायेंगे सभी
उस दिन सिवा ख़ुदा के बचेगा कोई नहीं
बाक़ी बचेगी वो सिर्फ़ ख़ुदा की एक ज़ात
वो क़ादिर-ए-बक़ा है बड़ी मज़हरे सिफ़ात
सब होंगे ज़िन्दा हुक़्में ख़ुदा से वो फिर जनाब
आमाले नेक-ओ-बद का किया जायेगा हिसाब

जो नेक लोग होंगे वो जन्नत में जायेंगे
जो नेक लोग होंगे वो जन्नत में जायेंगे
बद होंगे जो सज़ा वो जहन्नुम की पायेंगे

Voice: Haji Tasleem Arif
Lyrics: Nairang Sambali

Shabe baraat Special 2022

Shabe Barat Ka Ejaz lyrics

Shabe Barat Ka Ejaz lyrics hindi

Shabe Barat Ka Ejaz hindi lyrics

Ilahi Gunahgar Banda Hun Main Dua Lyrics

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Gunahgar Banda Hun Main

Sarapa Bura Aur Ganda Hun Main

Bahot Sakht Mujrim Kamina Hun Main

Gunahon Ka Goya Khazina Hun Main

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Na Quwwat Gunahon Se Bachne Ki Hai

Na Himmat Amal Nek Karne Ki Hai

Tera Ho Irada Agar Ae Karim

To Ho Paak Pal Me Ye Banda Laiin

Ilahi Gunahrar Banda Hun Main

Sarapa Bura Aur Ganda Hun Main

Tu Hi Ghaib Se Koi Saman Kar

Gunhon Se Bachne Ko Aasaan Kar

Irade Mere Nek Aamaal Ke

Hawale Huye Nafs Ki Chaal Ke

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Agar Teri Taufeeq Ho Chara Gar

To Fir Nafs O Shaita.n Se Kya Mujhko Dar

Main Banda Tera Hun Mahaz Naam Ka

Bana De Karam Se Mujhe Kaam Ka

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Talwwun Mizaji Meri Khatm Kar

Mere Azm Ko Tu Ata Jazm Kar

Ata Kar Mujhe Zarra-E-Dard-E-Dil

Tera Dard Ho Jaye Ye Aab-O-Gul

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Rah-e-Ghaib Se Kar Meri Rahbari

Teri Bandagi Se Ho Izzat Meri

Dikha Ghaib Se Mujhko Rahe Nijaat

Pila Apne Murde Ko Aabe Hayaat

Ilahi Gunahrar Banda Hun Main

Sarapa Bura Aur Ganda Hun Main

Bahot Sakht Mujrim Kamina Hun Main

Gunahon Ka Goya Khazina Hun Main

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Ilahi Karam, Ilahi Karam

Recited By: Hafiz Gufran

Lyrics: Maulana Hakeem Akhtar

Ilahi Gunahgar Banda Hun Main Dua Lyrics Hindi

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

इलाही गुनाहगार बन्दा हूं मैं

सरापा बुरा और गंदा हूं मैं

बहुत सख़्त मुजरिम कमीना हूं मैं

गुनाहों का गोया ख़ज़ीना हूं मैं

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

ना क़ुव्वत गुनाहों से बचने की है

ना हिम्मत अमल नेक करने की है

तेरा हो इरादा अगर ऐ करीम

तो हो पाक पल में ये बन्दा लईन

इलाही गुनाहगार बन्दा हूं मैं

सरापा बुरा और गंदा हूं मैं

तू ही ग़ैब से कोई सामान कर

गुनाहों से बचने को आसान कर

इरादे मेरे नेक आमाल के

हवाले हुए नफ़्श की चाल के

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

अगर तेरी तौफ़ीक़ हो चारागर

तो फिर नफ़्स-ओ-शैतां से क्या मुझको डर

मैं बंदा तेरा हूं महज़ नाम का

बना दे करम से मुझे काम का

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

तलव्वुन मिज़ाजी मेरी ख़त्म कर

मेरे अज़्म को तू अ़ता जज़्म कर

अ़ता कर मुझे ज़र्रा-ए-दर्द-ए-दिल

तेरा दर्द हो जाए ये आब-ओ-गुल

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

राह-ए-ग़ैब से कर मेरी रहबरी

तेरी बन्दगी से हो इज़्ज़त मेरी

दिखा ग़ैब से मुझको राहे निजात

पिला अपने मुर्दे को आबे ह़यात

इलाही गुनाहगार बन्दा हूं मैं

सरापा बुरा और गंदा हूं मैं

बहुत सख़्त मुजरिम कमीना हूं मैं

गुनाहों का गोया ख़ज़ीना हूं मैं

इलाही करम, इलाही करम

इलाही करम, इलाही करम

Shab e Qadar Kalam Lyrics

Hazar Maah Se Bhi Hai Ye Bartar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Utara Rab Ne Isi Me Qur’aañ
Jo Isko Zaya Kare Hai Nadañ
Bas Iski Dil Se Karo Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Ye Taaq Ratoñ Ki Roushani Hai
Ye Qalb e Momin Taazgi Hai
Tu Isme Rab Ko Talash Kar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Miteñge Tere Gunah Sare
Agarche Inke Na Hoñ Kinare
Tu Isme Tauba Khuda Se Kar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Jahañ Ka Ik Badnaseeb Hai Wo
Jo Fazl e Rab Ko Na Pa Saka Wo
Ye Rab Se Qurbat Ka Ik Hai Gauhar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

MalaiKa Sab Utar Rahe Haiñ
Wo Rahmateñ Saath La Rahe Haiñ
Ruhul Amiñ Bhi Aaye Utar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Tulu Fajar Tak Ye Rahti Hai
Salamati He Salamati Hai
Khuda Se Mango Tum Raat Bhar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Mustafa Ko Naseeb Karna
Raat Isme Qayam Karna
Payega Wo Bhi Ali Achr
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Hazar Maah Se Bhi Hai Ye Bartar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar
Shab-e-Qadar, Shab-e-Qadar

Ya Rab Main Gunahgar Hu Tauba Qubool Ho Lyrics Hindi

या रब मैं गुनहगार हूं तौबा क़ुबूल हो
इस्याँ पे शर्मसार हूँ तौबा क़ुबूल हो
जां-सोज ओ दिल-फ़िगार हूं तौबा क़ुबूल हो
सर-ता-पा इन्क़िसार हूं तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो, मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो, मेरी तौबा क़ुबूल हो

ग़ुज़री तमाम उम्र मेरी लहव-ओ-ल’अब में
नेकी नहीं है कोई अमल की किताब में
स्वालेह अमल भी कोई नहीं है हिसाब में
दस्ते दुआ बुलन्द है तेरी जनाब में

तौबा क़ुबूल हो, मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो, मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो, मेरी तौबा क़ुबूल हो

ऐश-ओ-निशात ही में गुज़ारी है ज़िन्दगी
हर ज़ाविये से अपनी संवारी है ज़िन्दगी
मेरा खयाल ये था के जारी है ज़िन्दगी
लेकिन ये हाल अब है कि भारी है ज़िन्दगी

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तेरे करम को तेरी अता को भुला दिया
आमाल की जज़ा ओ सज़ा को भुला दिया
ताकत मिली तो कर्ब-व-बला को भुला दिया
हर ना’तबां की आह-ए-रसा को भुला दिया

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

मैं तो समझ रहा था कि दौलत है जिसके पास
उसको ना कोई ख़ौफ़ है उसको ना कुछ हरास
होगा न ज़िन्दगी में किसी वक़्त वो उदास
लेकिन ये मेरी भूल थी अब मैं हूँ महव-ए-यास

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

मैं हूँ गुनाहगार मगर तू तो है करीम
मैं हूँ सियाहकार मगर तू तो है रहीम
मैं हूँ फ़ना-पज़ीर मगर तू तो है क़दीम
मैं अदना ओ हकीर सही तू तो है अज़ीम

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो
तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

या रब तेरे करम तेरी रह़मत का वास्ता
या रब तेरी अत़ा तेरी ने’मत का वास्ता
या रब तेरे जलाल ओ जलालत का वास्ता
या रब रसूले ह़क़ की रिसालत का वास्ता

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

मैं ऐतराफ़ करता हूं अपने कुसूर का

मैं हो गया था ऐसे गुनाहों में मुब्तला

जिनकी है आख़िरत में कड़ी से कड़ी सज़ा

लेकिन मुझे तो तेरे करम से है आसरा

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

अब तेरी बन्दगी में बसर होगी ज़िन्दगी

मोड़ूंगा मुंह ना तेरी इबादत से अब कभी

अब ऐतबा करूंगा मैं तेरे रसूल की

ता-ज़िन्दगी करूंगा शरीअ़त की पैरवी

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

या रब मैं गुनहगार हूं तौबा क़ुबूल हो

इस्यां पे शर्मसार हूँ तौबा क़ुबूल हो

जां सोज-ओ-दिल फ़िगार हूं तौबा क़ुबूल हो

सरताबा इन्क़िसार हूं तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

तौबा क़ुबूल हो मेरी तौबा क़ुबूल हो

Bakhsh De Lyrics – Owais Raza Qadri

Adal Karen te thar-thar kanbar unchiyan shana wale

Fazl Karen te bakhshe jawan main warge muh kaale

Behad zaleel-o-khwar hun mola tu bakhsh de

Tauba,meri tauba, meri tauba, tu bakhsh de

Main aaj be-qarar hun mola tu bakhsh de

Isyan ke zer-e-baar hun, mola tu bakhsh de

Maghmoom o dil figaar hun mula tu bakhsh de

Sharminda kirdgar hun mola tu bakhsh de

Main zaar hun, nizaar hun mola tu bakhsh de

Main zaar hun, nizaar hun mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, Tauba meri tauba

Maine bhula diya mujhe marna hai ek din

Mar kar andheri qabr me jana hai ek din

Aamaal ka hisaab bhi dena hai ek din

Han ! Pul-siraat se bhi guzarna hai ek din

Muzrim hun, na bakar hun mola tu bakhsh de

Muzrim hun, na bakar hun mola tu bakhsh de

Behad zaleel-o-khwar hun mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, meri tauba, tu bakhsh de

Kuchh rakh saka lihaaj bhi na mamnu’aat ka

Kya kya na irtikaab kiya munkaraat ka

Haasil na ho saka mujhe irfan zaat ka

Afsos ! main ghulam raha khwahishaat ka

Nadan hu gawar hu mola tu bakhsh de

Nadan hu gawar hu mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, tauba meri tauba

Is darza badh gayi mere dik ki ye murdagi

Main la saka na apne amal me bhi umdagi

Aur kar saka na bhi ada haq-e-bandagi

barbad kar gaya hun khuda apni zindagi

Zahir me deen-daar hun mola tu bakhsh de

Zahir me deen-daar hun mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, meri tauba, tu bakhsh de

koi na dekh le yehi dhadka mujhe laga

Tu dekhta rah mujhe ahsaah na raha

Main bad-lihaaj afw pe bhoola raha sada

Be-sharm ban gaya mujhe aayi na kuchh haya

Main wo siyah kar hun mola tu bakhsh de

Main wo siyah kar hun mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, Tauba meri tauba

Iqraar hai mujhe mere mola main hun layeen

Mayoos par nahin teri rahmat se ae rahim

Khaali na bhej dar se tere ae mere karim

Mere gunah bhi bakhsh teri shan hai azim

Main bhi ummidwar hun mola tu bakhsh de

Main bhi ummidwar hun mola tu bakhsh de

Behad zaleel-o-khwar hun mola tu bakhsh de

Tauba meri tauba, meri tauba, tu bakhsh de

Kartoot dekhta hun to uthta hai dil me haul

Rahmat pukarti hai ki mus’haf zara tu khol

La-takna tu bhi tujh ko milega khuda ka qaul

Sare gunah dhulenge bas ik baar ubaid bol

Ya rab main sharmshar hun mula tu bakhsh de

Ya rab main sharmshar hun mula tu bakhsh de

Tauba meri tauba, tauba meri tauba

Tauba meri tauba, tauba meri tauba

Shayar: Owais Raza Qadri

Naat Khwan: Owais Raza Qadri

Khuda Banda Tera Banda Tere Darbar Hazir Hai Lyrics

Khuda Banda Tera Banda

Tere Darbar Hazir Hai !!

Ke Aajiz Aur Sharminda Hai

Khuchh Kahne Se Qaasir Hai !!

Allah Allah Allah Allah

Allah Allah Allah Allah

Na Neki Paas Hai Koi

Na Heela Saath Laya Hun !!

Bas Ik Mahboob Tere Ka,

Wasila Saath Laya Hun !!

Allah Allah Allah Allah

Allah Allah Allah Allah

Main Tauba Kar Raha Hun

Bakhsh De Meri Khataon Ko !!

Rahe Ima.N Salamat

Hukm De Apni Ataon Ko !!

Allah Allah Allah Allah

Allah Allah Allah Allah

Nabi Ki Aal Ke Sadqe Me

Rahmat Aam Ho Jaye !!

Tere Bakhshe Huye Bandon Me

Mera Naam Ho Jaye !!

Allah Allah Allah Allah

Allah Allah Allah Allah

Main Apni Ghaflaton Ka

Barmala Itraaf Karta Hun !!

Tu Farma Main Saeed E Be-Nawa

Ko Muaaf Karta Hun !!

Allah Allah Allah Allah

Allah Allah Allah Allah

Recited By: Qari Shahid Mehmood Qadri

More Shabe Barat Kalam
Khuda Banda Tera Banda Lyrics In Hindi

ख़ुदा बन्दा तेरा बन्दा तेरे दरबार हाज़िर है
कि आजिज़ और शर्मिंदा है कुछ कहने से क़ासिर है

अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह

ना नेकी पास है कोई ना हीला साथ लाया हूं
बस एक महबूब तेरे का, वसीला साथ लाया हूं

अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह

मैं तौबा कर रहा हूं बख़्श दे मेरी ख़ताओं को
रहे इमां सलामत हुक्म दे अपनी अताओं को

अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह

नबी की आल के सदक़े में रह़मत आम हो जाए
तेरे बख़्शे हुए बन्दों में मेरा नाम हो जाए

अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह

मैं अपनी ग़फ़लतों का बरमला इतराफ़ करता हूं
तू फ़रमां मैं सईदे बे-नवा को माफ़ करता हूं

अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह
अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह

Mujhe khudaya muaf kar de lyrics

Maula … mere Maula
Maula …mere Maula

Tauba qubool kar le
Tauba qubool kar le
Tauba qubool kar le
Tauba qubool kar le

Mera amal hai siyaha naama
Mujh khudaya muaf karde,
Main janta hun tu bakhsh dega
Mujhe khudaya muaf kar de!!

Pahaad jaisi meri khatayein
Magar bahut hain teri ataayein

(Pahaad jaisi meri khatayein)
(Magar bahut hain teri ataayein)

Muaf karna Shi’aar tera
(Muaf karna Shi’aar tera)
Mujh khudaya muaf karde

Ya rab tere karam teri rahmat ka wasta
Ya rab teri ata teri nemat ka wasta
Ya rab tere jalaal-o-jalalat ka wasta
Ya rab rasool e haq ki risalat ka wasta

Ajaab de kar tu kya karega
karim hai tu karam hi farma

(Ajaab de kar tu kya karega)
(karim hai tu karam hi farma)

Suwaal kaisa, jawaab kaisa
(Suwaal kaisa, jawaaab kaisa)
Mujh khudaya muaf karde

Mera amal hai siyaha naama
Mujh khudaya muaf karde,
Main janta hun tu bakhsh dega
Mujhe khudaya muaf kar de!!

Andhere shab ke kiye hain ruswa
Ujale din ke kiye hain gehna
(Andhere shab ke kiye hain ruswa)
(Ujale din ke kiye hain gehna)

Sarapa zurm o khata hun maula
(Sarapa zurm o khata hun maula)
Mujhe khudaya muaf kar de

Mera amal hai siyaha naama
Mujh khudaya muaf karde,
Main janta hun tu bakhsh dega
Mujhe khudaya muaf kar de!!

Ye haath bandhe ye sar jhukaye
Khada UJGAR dar e haram par
(Ye haath bandhe ye sar jhukaye)
(Khada UJGAR dar e haram par)

Naveed-e-Bakhshish ka de Ishara
(Naveed-e-Bakhshish ka de Ishara)
Mujh khudaya muaf karde

Ya rab tere karam teri rahmat ka wasta
Ya rab teri ata teri nemat ka wasta
Ya rab tere jalaal-o-jalalat ka wasta
Ya rab rasool e haq ki risalat ka wasta

Voice: Hafiz Tahir Qadri
Lyrics: Allama Nisar Ali Ujagar

मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे हिन्दी में
मौला … मेरे मौला
मौला … मेरे मौला

तौबा क़ुबूल कर ले
तौबा क़ुबूल कर ले
तौबा क़ुबूल कर ले
तौबा क़ुबूल कर ले

मेरा अमल है सियाह नामा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे,
मैं जानता हूँ तछ बख़्श देगा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे!!

पहाड़ जैसी मेरी ख़तायें
मगर बहुत हैं तेरी अ़तायें

(पहाड़ जैसी मेरी ख़तायें)
(मगर बहुत हैं तेरी अ़तायें)

मुआ़फ़ करना शिआ़र तेरा
(मुआ़फ़ करना शिआ़र तेरा)
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे

या रब तेरे करम तेरी रह़मत का वास्ता
या रब तेरी अ़ता तेरी नेमत का वास्ता
या रब तेरे जलाल-ओ-जलालत का वास्ता
या रब रसूल-ए-ह़क़ की रिसालत का वास्ता

अजाब देकर तछ क्या करेगा
करीम है तू करम ही फ़रमा

(अजाब देकर तछ क्या करेगा)
(करीम है तू करम ही फ़रमा)

सुवाल कैसा जबाव कैसा
(सुवाल कैसा जबाव कैसा)
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे

मेरा अमल है सियाह नामा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे,
मैं जानता हूँ तछ बख़्श देगा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे!!

अन्धेरे शब के किए हैं रुस्वा
उजाले दिन के किये हैं गहना
(अन्धेरे शब के किए हैं रुस्वा)
(उजाले दिन के किये हैं गहना)

सरापा ज़ुर्मों खता हूँ मौला
(सरापा ज़ुर्मों खता हूँ मौला)
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे

मेरा अमल है सियाह नामा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे,
मैं जानता हूँ तछ बख़्श देगा
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे!!

ये हाथ बांधे ये सर झुकाए
खड़ा उजागर दरे हरम पर
(ये हाथ बांधे ये सर झुकाए)
(खड़ा उजागर दरे हरम पर)

नवीद-ए-बख़्शिश दे इशारा
(नवीद-ए-बख़्शिश दे इशारा)
मुझे ख़ुदाया मुआ़फ़ कर दे

या रब तेरे करम तेरी रह़मत का वास्ता
या रब तेरी अ़ता तेरी नेमत का वास्ता
या रब तेरे जलाल-ओ-जलालत का वास्ता
या रब रसूल-ए-ह़क़ की रिसालत का वास्ता

Rahmat-o-noor ki barsat shabe barat ki raat lyrics

Rahmat-o-noor ki barsat shabe barat ki raat
Mahke mahke sabhi baghaat shabe barat ki raat

रहमत-ओ-नूर की बरसात शबे बरात की रात
महके-महके सभी बाग़ात शबे बरात की रात

Ho na mayoos ke tu bhi muraden apni
Maang le rab se utha haath shabe barat ki raat

हो ना मायूस के तू भी मुरादें अपनी
मांग ले रब से उठा हाथ शबे बरात की रात

Apne mahboob ke dar ka utar kar sadqa
Rab lutata hai ina’maat shabe barat ki raat

अपने महबूब के दर का उतार कर सदक़ा
रब लुटाता है इनामात शबे बरात की रात

Aasiyon aao chalen rab ke karam me ham sab
Rab bulata hai hamen aaj shabe barat ki raat

आसियों आओ चलें रब के करम में हम सब
रब बुलाता है हमें आज शबे बरात की रात

Rab ka wada hai jo chaho maang lo Ahil
Maango taiba me ho wafaat shabe barat ki raat

रब का वादा है ! जो चाहो मांग लो आहिल
मांगो तैबा में हो वफ़ात शबे बरात की रात

Naat Khwan: Wajahat Waasti
Lyrics: Sharif Ahil Noor

Rahmat-o-noor ki barsat shabe baraat ki raat naat lyrics

Aaj ki raat maula hamen bakhsh de lyrics

Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
hamen bakhsh de ….

Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de

Sarey Jurm-o- kusoor-o-khata bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de

Tu khata posh hai mai khata kaar hun
Mujhko ikraar hai mai gunahgar hun

aaj ki rat mola hame bakhsh de hindi lyrics
Aaj Ki Raat Maula Hamen Bakhsh De
(Tu khata posh hai mai khata kaar hun)
(Mujhko ikraar hai mai gunahgar hun)

Tujhko mahboob ka wasta bakhsh de
Tujhko mahboob ka wasta bakhsh de

Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de

Aaj ki raat hai tere ikraam ki
Tere judo ata tere in’aam ki

Aaj ki raat hai tere ikraam ki
Tere judo ata tere in’aam ki

Manta hun ke main hun bura bakhsh de
Manta hun ke main hun bura bakhsh de

Aaj ki raat mola hamen bakhsh de
Aaj ki raat mola hamen bakhsh de

Haath bandhe khada hun mai tere samne
Mai sarapa dua hun tere samne

Haath bandhe khada hun mai tere samne
Mai sarapa dua hun tere samne

Tu hai ghaffar meri khata bakhsh de
Tu hai ghaffar meri khata bakhsh de

Aaj ki raat mola hamen bakhsh de
Aaj ki raat mola hamen bakhsh de

Ye jo qabren nazar aa rahi hain hamen
Aakhirat yaad karwa rahin hain hamen

Ye jo qabren nazar aa rahi hain hamen
Aakhirat yaad karwa rahin hain hamen

Khouf se hai wadan kaanpta bakhsh de
Khouf se hai wadan kaanpta bakhsh de

Aaj ki raat mola hamen bakhsh de
Aaj ki raat mola hamen bakhsh de

Jo pareshan hain bachhon se tu nek kar
Unki aulad ko ya khuda ek kar

Jo pareshan hain bachhon se tu nek kar
Unki aulad ko ya khuda ek kar

Saari maaon ki sun le dua bakhsh de
Saari maaon ki sun le dua bakhsh de

Aaj ki raat mola hamen bakhsh de
Aaj ki raat mola hamen bakhsh de

Sarey Jurm-o- kusoor-o-khata bakhsh de
Aaj ki raat maula hamen bakhsh de
Aaj ki raat mola hamen bakhsh de

Artist: Talha Qadri

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka Lyrics

Sare La Makan Se Talab Hui

Sooye Muntaha Wo Chale Nabi

Koi Had Hai Unke Urooj Ki

Blaghal Ula Be Kamale Hi

Meraj E Mustafa – Mustafa, Mustafa

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Aasam Koun-o-Maka.n Me Barish E Anwar Hai

Noori Jalwon Se Muzaiyan Raasta Meraj Ka

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Kaise Ho Sakta Hai Saani Aapka Ya Mustafa

Han Ke Tu hai ! Deedar Ka Tohfa Mila Meraj Me

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Ruk Gaya Tha Ek Lamhe Me Nizam E Qayant

Jis Ghadi – Jis Shab Hua Tha Silsila Meraj Ka

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Saari Khalqat Ko Dikhana Tha Nabi Ka Martaba

Pahle Walon Ne Dekha Ye Falsafa Meraj Ka

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Saarey Nabiyon Me Faqat Hai Ek Hasti Aapki

Haq Ta’aala Se Jise Muzda Mila Meraj Ka

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Qadri Irfan Har Su Dhoom Hai Meraj Ki

Mahfilon Me Har Jagah Hai Tazkira Meraj Ka

Hai Azim-Ush-Shan Wallah Mojza Meraj Ka

Munfarid Sabse Nirala Mojza Meraj Ka

Naat Khwan: Muhammad Hasna Raza, Ghulam Mustafa, Ayan Attari & Ali Raza

Mojza Meraj Ka Lyrics In Hindi
सरे ला मकां से तलब हुई

सूए मुन्त़हा वो चले नबी

कोई हद है उनके उरुज की

बलाग़ल उला-बे-कमाले ही

मेराज ए मुस्त़फ़ा, मुस्त़फ़ा मुस्त़फ़ा

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

आस्मां कौनो मकां में बारिश ए अनवार है

नूरी जल्वों से मुज़ईय्यन रास्ता मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

कैसे हो सकता है सानी आपका या मुस्त़फ़ा

हां के तू है! दीदार का तोहफ़ा मिला मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

रुक गया था एक लम्हे में निज़ाम ए क़ायनात

जिस घड़ी जिस शब हुआ था सिलसिला मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

सारी ख़लक़त को दिखाना था नबी का मर्तबा

पहले वालों ने देखा ये फलसफ़ा मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

सारे नबियों में फ़क़त है एक हस्ती आपकी

ह़क़ ता’आला से जिसे मुज़दा मिला मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

क़ादरी इरफ़ान हर सू धूम है मेराज की

महफ़िलों में हर जगह है तज़किरा मेराज का

है अज़ीमुश्शान वल्लाह मोजज़ा मेराज का

मुनफ़रिद सबसे निराला मोजज़ा मेराज का

Mustafa Aaj Dula Bane Hain Naat Lyrics

Mustafa Aaj Dula Bane Hain Naat Lyrics

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Josh Par Rahmat E Kibriya Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Har Taraf Noor Chhaya Hua Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Bheeni-Bheeni Hawa Chaar Su Hai

Mahki-Mahki Faza Chaar Su Hai

Aur Mausam Suhana Hua Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Aaj Jibreel Ne Bhi Labon Se

Mere Aaqa Ke Talwon Ko Chooma

Allah Allah Kya Martaba Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Jaa Ke Sidra Pe Jibreenl Bole

Aage Jaunga To Par Jalenge

Ya Nabi Ye Meri Inteha Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Yun Hua Arsh Par Unka Jana

Ek Lamhe Me Hi Laut Aana

Kitna Dilchashp Ye Waqya Hai

Mustafa Aaj Dulha Bane Hain

Naat Khwan: Ahmadul Fattah Faizabaad

Mustafa Aaj Dula Bane Hain Lyrics In Hindi
जोश पर रह़मत ए किबरिया है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

हर तरफ़ नूर छाया हुआ है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

भीनी-भीनी हवा चार सू है

महकी-महकी फ़ज़ा चार सू है

और मौसम सुहाना हुआ है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

आज जिब्रील ने भी लबों से

मेरे आक़ा के तल्वों को चूम्मा

अल्लाह-अल्लाह क्या मर्तबा है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

जाके सिदरा पे जिब्रील बोले

आगे जाऊंगा तो पर जलेंगे

या नबी ये मेरी इन्तहा है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

यूं हुआ अ़र्श पे उनका जाना

एक लम्हे में ही लौट आना

कितना दिलचस्प ये वाक़या है

मुस्त़फ़ा आज दूला बने हैं

Mustafa Aaj Dula Bane Naat Lyrics Hindi English

Hudood e Tair e Sidra Huzoor Jante Hain

हुदूद ए तायिर ए सिदरा हुज़ूर जानते हैं

हुदूद ए तायिर ए सिदरा हुज़ूर जानते हैं,
कहां है अर्श ए मुअल्ला हुज़ूर जानते हैं।

हर एक हर्फ़ ए तमन्ना हुज़ूर जानते हैं,
तमाम हाल दिलों का हुज़ूर जानते हैं।

उन्हें ख़बर है कहीं से पढ़ो दुरूद उन पर,
तमाम दह्र का नक़्शा हुज़ूर जानते हैं।

बरोज़ ए हश्र शफ़ाअ़त करेंगे चुन चुन कर,
हर इक ग़ुलाम का चेहरा हुज़ूर जानते हैं।

बरोज़ ए हश्र शफ़ाअ़त करेंगे वो, लेकिन
अगर हुआ ये अक़ीदा “हुज़ूर जानते हैं”।

मैं इस यक़ीन से निकला हूं हाज़िरी के लिए,
मेरे सफ़र का इरादा हुज़ूर जानते हैं।

बुला भी सकते हैं वो और आ भी सकते हैं,
के दूरियों को मिटाना हुजूर जानते हैं।

मैं मांगता हूं उन्हीं से उन्हीं से मांगता हूं,
हुज़ूर पर है भरोसा हुज़ूर जानते हैं।

ख़ुदा ने इसलिए क़ासिम उन्हें बनाया है,
कि बांटने का क़रीना हुजूर जानते हैं।

पहुंच के सिदरा पे रूहुल अमीन कहने लगे
“यहां से आगे का रास्ता हुजूर जानते हैं”।

क़यामत आएगी कब उनको इ़ल्म है ‘सरवर’,
ज़ुहूर-ए-“कुन” का भी लम्हा हुज़ूर जानते हैं।

सिखाई हमको सहाबा ने बात यह ‘सरवर’
के जानता है ख़ुदा या हुज़ूर जानते हैं।

कहेंगे ख़ुल्द में ‘सरवर‘ नबी के दीवाने,
ज़रा वह नात सुनाना “हुजूर जानते हैं”।

नातख्वा : सरवर हुसैन नक़्श बंदी, उवैस क़ादरी, खालिद हसनैन खालिद, क़ारी शाहिद महमूद, राहत फतेह अली खान, ज़ुल्फ़िकार हुसैनी, हाफ़िज़ अहमद रजा कादरी, वगैरह

Hudood e Tair e Sidra Huzoor Jante Hain
Kahañ Hai Arsh e Mualla Huzoor Jante Hain.

Har Ek Harf e Tamanna Huzoor Jante Hain,
Tamam Haal Dilon Ka Huzoor Jante Hain.

Unhein Khabar Hai Kahin Se Padho Durood Un Par,
Tamam Dahr Ka Naqsha Huzoor Jante Hain.

BaRoz e Hashar Shafa’at Kareñge Chun Chun Kar,
Har Ik Ghulam Ka Chehra Huzoor Jante Hain.

Ba Roz e Hashar Shafa’at Karein Ge Wo Lakin,
Agar Hua Ye Aqida “Huzoor Jante Hain”.

Main Is Yaqeen Se Nikla Huñ Hazri Ke Liye,
Mere Safar Ka Irada Huzoor Jante Hain.

Bula Bhi Sakte Hain Wo Aur Aa Bhi Sakte Hain,
Ke Duriyon Ko Mitana Huzoor Jante Hain.

Main Mangta Hun Unhin Se, Unhin Se Mangta Hun,
Huzoor Per Hai Bharosa Huzoor Jante Hain.

Khuda Ne Is Liye Qasim Unheiñ Banaya Hai,
Ke Baañtne Ka Qareena Huzoor Jante Hain.

Pahonch Ke Sidra Pe Roohul Ameen Kahne Lage
Yahan Se Age Ka Rasta Huzoor Jante Hain

Qayamat Ayegi Kab, Unko Ilm Hai ‘Sarwar’
Zuhoor e “Kun” Ka Bhi Lamha Huzoor Jante Hain

Sikhayi hum ko Sahaba ne baat ye ‘Sarwar’
Ke janta hai Khuda ya Huzoor Jante Haiñ.

Kahenge khuld mein ‘Sarwar’ Nabi ke deewane,
Zara wo naat sunana “Huzur Jante Haiñ”.

Urdu Lyrics

حدودِ طائر سدرہ، حضور جانتے ہیں
حدود طائر سدرہ، حضور جانتے ہیں
کہاں ہے عرشِ معلّی، حضور جانتے ہیں

ہر ایک حرفِ تمنّا، حضور جانتے ہیں
تمام حال دلوں کا، حضور جانتے ہیں

انھیں خبر ہے کہیں سے پڑھو درود ان پر
تمام دہر کا نقشہ، حضور جانتے ہیں

بروزِ حشر شفاعت کریں گے چُن چُن کر
ہر اک غلام کا چہرہ، حضور جانتے ہیں

بروزِ حشر شفاعت کریں گے وہ لیکن
اگر ہوا یہ عقیدہ، حضور جانتے ہیں

میں اس یقین سے نکلا ہوں حاضری کے لیئے
مرے سفر کا ارادہ حضور جانتے ہیں

بلا بھی سکتے ہیں وہ اور آ بھی سکتے ہیں
کہ دوریوں کو مٹانا حضور جانتے ہیں

میں مانگتا ہوں انھی سے، انھی سے مانگتا ہوں
حضور پر بھروسہ، حضور جانتے ہیں

خدا نے اس لئے قاسم انھیں بنایا ہے
کہ بانٹنے کا قرینہ حضورﷺ جانتے ہیں

پہنچ کے سدرہ پر روح الامین کہنے لگے
یہاں سے آگے کا رستہ، حضور جانتے ہیں

قیامت آئے گی کب، ان کو علم ہے سرور،
ظہورِ کن کا بھی لمحہ حضور جانتے ہیں

سکھائی بات یہ سرور ہمیں صحابہ نے
کہ جانتا ہے خدا یا، حضور جانتے ہیں

کہیں گے خلد میں سرور، نبی کے دیوانے
ذرا وہ نعت سنانا، حضور جانتے ہیں

naat khwan hazraat: Sarwar Hussain Naqshbandi, Owais Raza Qadri, Khalid Hussain khalid, Qari Shahid Mehmood, Rahat fateh ali khan, Sayed Zabeeb Masood, Hafiz Ahmed Raza Qadri, Zulfiqar Hussaini, Afza Naveed

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki Lyrics

Mustafa Mustafa, Mustafa Mustafa

Mustafa Mustafa, Mustafa Mustafa

Ek Raat Aisi Aayi Doure Muhammdi Me

Jab Tham Gaya Zamana Allah Ki Zamin Me

Hua Aise Aana-Jana Ik Pal Me Is Safar Par

Hilti Hi Rahi Kundi Aur Karm Raha Bistar

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Aaj Hamare Pyare Aaqa

Rab Se Milne Jayenge !!

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge !!

Aaj Sajega Arsh Khuda Ka

Ruk Jayenge Sab Lamhe !!

Allah Ke Mahboob Nabi Ko

Qudsi Lene Aayenge !!

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Allahhumma Salle Ala Sayydna Wa Maulana Muhammadin

Saahibit Taji-Wal Meraji-Wal Buraqi-Wl-Alam

Aqsa Ki Noori Masjid Me

Hukm E Ilaahi Se Logo !!

Sab Nabiyon Ki Aaj Imamat

Mere Nabi Farmayenge !!

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Aaj Hamre Pyare Aaqa ..

Aaj Hamre Pyare Aaqa Rab Se Milne Jayenge

Jashn E Merajunnabi

Jashn E Merajunnabi

Rab Ko Milne Chale Mere Pyare Nabi

Nooriyon Ka Sardar Rukega

Sidra Ki Manzil Par Jab !!

Aage Ham Khud Jayenge

Ab Aaqa Farmayenge !!

Raat Hai Ye Meraj E Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Mere Nabi Mere Nabi

Mere Nabi Mere Nabi

Raaz O Niyaz Ki Baatein Hongi

Arshe Barin Ki Khalwat Me

Paanch Namzon Ka Tohfa Bhi ..

Paanch Namzon Ka Tohfa Bhi Aaqa Lekar Aayenge

Raat Hai Ye Meraj-E-Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Mustafa, Mustafa

Mustafa, Mustafa

De Do Sarey Gunahgaron Ko

Khushkhabri Ye Farooqi !!

Aaj Hamare Waste Aaqa

Apne Rab Ko Manayenge !!

Raat Hai Ye Meraje Nabi Ki

Ham Bhi Jashan Manayenge

Jashn E Merajunnabi

Jashn E Merajunnabi

Rab Ko Milne Chale Mere Pyare Nabi

Woh Sarwar E Kishwar E Risalat Naat Lyrics

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Naat
Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Naat
Woh Sarwar E Kishwar E Risalat Naat Lyrics

Woh Sarwar E Kishwar E Risalat Naat Lyrics

Shayar: Ala Hazrat | Naat e Paak

Naat Khwan: Owais Raza Qadri, Qari Khalil Attari, Asad Attari & Adnan Attari, Qari Muhammad Burhan Ali

Hadaaiqe Bakhshish Part 1

वोह सरवरे किशवर रिसालत जो अ़र्श पर जल्वा-गर हुए थे

नए निराले त़रब के समां अ़रब के मेहमान के लिये थे

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

Naye Niraale Tarab Ke Sama Arab Ke Mehman Ke Liye The

बहार है शादियां मुबारक चमन को आबादियां मुबारक

मलक फ़लक अपनी लै में यह घर अ़नादिल का बोलते थे

Bahaar Hai Shaadiya(N) Mubarak Chaman Ko Aabdiya(N) Mubarak

Malak Falak Apne Lai Me Yeh Ghar Anadil Ka Boltey The

वहां फ़लक पर यहां जमीं में रची थी शादी मची थी धूमें

उधर से अनवार हसते आते इधर से नफ़्ह़ात उठ रहे थे

Wahan Falak Par Yahan Zami Me Rachi Thi Shaadi Machi Thi Dhoome

Udhar Se Anwar Haste Aate Idhar Se Nafhaat Uth Rahe The

यह छूट पड़ती थी उनके रुख़ की कि अ़र्श तक चांदनी थी छटकी

वोह रात क्या जगमगा रही थी जगह जगह नस्ब आईने थे

Yeh Chhoot Padti Thi Unke Rookh Ki Ki Arsh Tak Chandni Thi Chhatki

Woh Raat Kya Jagmaga Rahi Thi Jagah Jagah Nasb Aaine The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

नई दुल्हन की फ़बन में काबा निखर के संवरा संवर के निखरा

ह़जर के सदके कमर के इक तिल में रंग लाखो बनाओ के थे

Naee Dulhan Ki Faban Me Kaaba Nikhar Ke Sanwra Sanwar Ke Nikhra

Hazar Ke Sadqe Kamar Ke Ik Til Me Rang Laakhon Banao Ke The

नज़र में दुल्हा के प्यारे जल्वे ह़या से मेह़राब सर झुकाए

सियाह के पर्दे के मुंह पर आंचल तजल्लिये ज़ात बहुत से थे

Nazar Me Dulhan Ke Pyaare Jalwe Se Mehraab Sar Jhukaye

Siyaah Ki Parde Ke Muh Par Aanchal Tajalliye Zaat Bahut Se The

खुशी के बादल उमड़ के आए दिलों के ताऊस रंग लाए

वोह नग़्मए नात का समां था ह़रम को खुद वज्द आ रहे थे

Khushi Ke Badal Umad Kea Aye Dilon Ke Taa’oos Rang Laaye

Woh Nagma-E-Naat Ka Sama Tha Haram Ko Khud Wajd Aa Rahe The

यह झूमा मीज़ाबे ज़र का झूमर कि आ रहा कान पर ढलक

फुहार बरसी तो मोती झड़ कर ह़त़ीम की गोद में भरे थे

Yeh Jhoom Meezab-E-Zar Ka Jhoomar Ki Aa Raha Kaan Par Dhalak

Fuhaar Barsi To Moti Jhad Kar Hateem Ki Goud Me Bharey The

दुल्हन की खुशबू से मस्त कपड़े नसीमें गुस्ताख़ आंचलों से

ग़िलाफ़े मुश्कीं जो उड़ रहा था ग़ज़ाल नाफे़ बसा रहे थे

Dulhan Ki Khushboo Se Mast Kapde Naseemey Gustaakh Aanchlon Se

Ghilaafe Mushki Jo Ud Raha Tha Ghazal Naafe Basa Rahe The

पहाड़ियों का वोह हुस्ने तज़्ई वोह ऊंची चोटी वोह नाज़ो,तम्कीं !

सबा से सब्ज़ा में लहरें आतीं दुपट्टे धानी चुने हुए थे

Pahadiyon Ka Woh Husne Tazaee Woh Oonchi Choti Woh Naazo, Tamki

Saba Se Sabza Me Lahre Aati Dupatte Dhaani Chune Hue The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

नहा के नहरों ने वोह चमकता लिवास आबे रवां का पहना

कि मौजें छड़ियां थी धार लचका ह़बाबे ताबां के थल टके थे

Naha Ke Nahron Ne Woh Chamkta Liwaah Aabe Rawan Ka Pahna

Ki Mouze Chhadiyan Thi Dhaar Lachka Habaab e Taaba(N) Ke Thal Takey The

पुराना पुरदाग़ मल्गजा था दिया फ़र्श चांदनी का

हुजूमे तारे निगह से कोसों क़दम क़दम फ़र्श बादले थे

Purana Purdaagh Malghaja Tha Diya Farsh Chandni Ka

Hujoome Tare Nigah Se Koson Qadam Qadam Farsh Baadley The

गुबार बनकर निसार जाएं कहां अब उस रह गुज़र को पाएं

हमारे दिल हूरियों की आंखें फ़िरिश्तों के पर जहां बिछे थे

Gubaar Banker Nisar Jayen Kaha Ab Us Rah Guzar Ki Paaye

Hamare Dil Hooriyon Ki Aankhe Firishton Ke Par Jaha Bichhe The

खुदा ही दे सब्र जाने पुरग़म दिखाऊं कर तुझे वोह आ़लम

जब उनके झुरमुट में लेके कुदसी जिनां का दूल्हा बना रहे थे

Khuda He De Sabr Jaane Purgham Dikhaun Kar Tujhe Woh Aalam

Jab Unke Jhurmut Me Leke Kudsi Jina Ka Dulha Bana Rahey The

उतार उनके रुख़ का सदक़ा यह नूर का बट रहा था बाड़ा

कि चांद सूरज मचल मचल कर जबीं की ख़ैरात मांगते थे

Utaar Unke Rukh Ka Sadqa Yeh Noor Ka But Raha Tha Baada

Ki Chand Suraj Machal Machal Kar Jabi Ki Khairat Maangte The

वोही तो अब तक छलक रहा है वोही तो जोवन टपक रहा है

नहाने में जो गिरा था पानी कटोरे तारों ने भर लिए थे

Wohi To Ab Tak Chhalak Raha Hai Wohi To Jowan Tapak Raha Hai

Nahaane Me Jo Gira Tha Paani Katore Taaron Ne Bhar Liye The

बचा जो त़ल्वों का उनके धोवन बना वोह जन्नत का रंग रोग़न

जिन्होंने दूल्हा की पाई उतरन वोह फूल गुलज़ारे नूर के थे

Bacha Lo Talwon Ka Unke Dhowan Bana Woh Jannat Ka Rang Roghan

Jinhone Dulha Ki Paai Utran Woh Phool Gulzaare Noor Ke The

ख़वर यह तहवीले मेहर की थी कि रुत सुहानी घड़ी फ़िरेगी

वहां की पोशाक जैबे तन की यहां का जोड़ा बढ़ा चुके थे

Khabar Yeh Tahweeley Mehr Ki Thi Ki Rut Suhaani Ghadi Firegi

Wahan Ki Poshak Jaibe Tan Ki Yaha Ka Joda Bada Chuke The

तजल्लिये ह़क़ का सेहरा सर पर सलातो तस्लीम की निछावर

दो रुया कुदसी परे जमा कर खड़े सलामी के वास्ते थे

Tajlliye Haq Ka Sehra Sar Par Salaato Tasleem Ki Nichhawar

Do Rooya Kudsi Parey Jama Kar Khade Salaami Ke Waste The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

जो हम भी वां होते ख़ाके गुलशन लिपट के क़दमों से लेते उतरन

मगर करें क्या नसीब में तो यह न मुरादी के दिन लिखे थे

Jo Hum Bhi Waan Hote Khaake Gulshan Lipat Ke Qadmo Se Lete Utran

Magar Kare Kya Naseeb Me To Yeh Na Muraadi Ke Din Likhe The

अभी न आए थे पुश्ते ज़ीं तक की सर हुई मग़्फिरत की शल्लक

सदा शफ़ाअ़त ने दी मुबारक ! गुनह मस्ताना झूमते थे

Abhi Na Aaye The Pushte Zee Tak Ki Sar Hui Maghfirat Ki Shallak

Sada Shafa’at Ne Di Mubarak ! Gunah Mastana Jhoomte The

अ़जब न था रख़्शां का चमकना ग़ज़ाले दम खुर्दा सा भड़कना

शुआ़एं बुक्के उड़ा रही थीं तड़पते आंखों पे साइ़क़े थे

Ajab Na Tha Rakhsha(N) Ka Chaman Ghazaal e Dum Khurda Sa Bhadkna

Shuaa’ey Bukke Uda Rahi Thi Tadapte Aankhon Pe Saai’qe The

हुजूमे उम्मीद है घटाओं मुरादें देकर इन्हें हटाओ

अदब कि बागें लिए बढाओ मलाइका में यह गुलगुले थे

Hujoome Ummid Hai Ghatao(N) Murade Dekar Inhe Hataao

Adab Ki Baaghe Liye Badao Malaika Me Yeh Gulgule The

उठी जो गर्दे रहे मुनव्वर वोह नूर बरसा कि रास्ते भर

घिरे थे बादल भरे थे जल थल उमंड के जंगल उबल रहे थे

Uthi Jo Garde Rahe Munawwar Woh Noor Barsa Ki Raaste Bhar

Ghire The Badal Bhare The Jal Thal Umad Ke Jangal Ubal Rahe The

सित़म किया था कैसी मत कटी थी क़मर ! वोह ख़ाक उन के रह गुजर की

उठा न लाया कि मलते मलते यह दाग़ सब देखता मिटे थे

Sitam Kiya Tha Kaisi Mat Kati Thi Qamar ! Woh Khaak Unke Rah Gujar Ki

Utha Na Laya Ki Malte Malte Yeh Daagh Sub Dekhta Mitey The

वुराक़ के नक़शे सुम के सदक़े वोह गुल खिलाए कि सारे रस्ते

महकते गुलबुन लहकते गुलशन हरे भरे लहलहा रहे थे

Wuraq Ke Naqshe Sum Ke Sadqe Woh Gul Khilaaye Ki Saare Raste

Mahakte Gulbun Lahakte Gulshan Harey Bharey Lahlaha Rahe The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

नमाज़े अक़्सा में था यही सिर्र इ़यां हों मानिये अव्वल आख़िर

कि दस्त बस्ता हैं पीछे ह़ाज़िर जो सलतनत आगे कर गये थे

Namze Aqsa Me Tha Yahi Sirr Eeyan Hon Maaniye Awwal Aakhir

Ki Dastbasta Hein Peechhe Haazir Jo Saltanat Aage Kar Gaye The

यह उनकी आमद का दबदबा था निखार हर शै का हो रहा था

नुजूमे अफ़लाक जामो मीना उजालते थे खंगालते थे

Yeh Unki Aamad Ka Dabdaba Tha Nikhaar Har Shai Ka Ho Raha Tha

Nujoome Aflaak Jaamo Meena Ujaltey The Khangaalte The

निक़ाब उलटे वोह मेहरे अन्वर जलाले रुख़्सार गर्मियों पर

फ़लक को हैबत से तप चढ़ी थी तपकते अंजुम के आबले थे

Niqaab Ultey Woh Mehre Anwar Jalaale Rukhsaar Garmiyon Par

Falak Ko Haibat Se Tup Chadi Thi Tapakte Anjum Ke Aable The

यह जोशिशे नूर का असर था कि आबे गौहर कमर कमर था

सफ़ाए रह से फिसल फिसल कर सितारे क़दमों पे लौटते थे

Yeh Joshish-E-Noor Ka Asar Tha Ki Aabe Gouhar Kamar Kamar Tha

Safa’ey Rah Se Fisal Fisal Kar Sitaare Qadmon Pe Lout’te The

बढ़ा यह लहरा के बह़रे वह़दत कि धुल गया नामे रेग कसरत

फ़लक के टीलों की क्या हक़ीक़त यह अर्शो कुर्सी दो बुलबुले थे

Bada Yeh Lahra Ke Bahre Wahdat Ki Dhul Gaya Naam e Reg Kasrat

Falak Ke Teelon Ki Kya Haqiqat Yeh Arsho Kurshi Do Bulbule The

वोह ज़िल्ले रह़मत वोह रुख़ के जल्वे कि तारे छुपते न खिलने पाते

सुनहरी ज़र बफ़्त ऊदी अत़्लस यह थान सब धूप छाओं के थे

Woh Zilley Rahmat Woh Rukh Ke Jalwe Ki Taarey Chhupte Na Khilne Paatey

Sunhari Zar Baft Oodi Altas Yeh Thaan Sub Dhoop Chhaoon Ke The

चला वोह सर्वे चमां ख़िरामां न रुक सका सिदरा से भी दामां

पलक झपकती रही वोह कब के सब ईनो आं से गुज़र चुके थे

Chala Woh Sarve Chama Khiraama Na Ruk Saka Sidra Se Bhi Daama(N)

Palak Jhapakti Rahi Woh Kab Ke Sub Eeno Aa(N) Se Guzar Chuke The

झलक सी इक कुदसियों पर आई हवा भी दामन की फिर न पाई

सुवारी दूल्हा की दूर पहुंची बरात में होश ही गये थे

Jhalak Si Ik Kudsiyon Par Aai Hawa Bhi Daaman Ki Fir Na Paai

Suwaari Dulha Ki Door Pahunchi Baraat Me Hosh He Gaye The

थके थे रुहुल अमीं के बाज़ू छुटा वोह दामन कहां वोह पहलू

रिकाब छूटी उमीद टूटी निगाहें ह़सरत के वल्वले थे

Thakey The Roohul Ami(N) Ke Baazoo Woh Daman Kaha Woh Pahloo

Rikaab Chhooti Ummid Tooti Nigaahe Hasrat Ke Walwaley The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

रविश की गर्मी को जिसने सोचा दिमाग़ से इक भबूका फूटा

ख़िरद के जंगल में फूल चमका दहर दहर पेड़ जल रहे थे

Rawish Ki Garmi Ko Jisne Socha Deemagh Se Ik Bhabooka Foota

Khirad Ke Jangal Me Phool Chamka Dahar Dahar Ped Jal Rahe The

जिलौ में जो मुर्ग़े अ़क़्ल उड़े थे अ़जब गिरे हालों गिरते पड़ते

वोह सिदरा पर ही रहे थे थक कर चढ़ा था दम तेवर आ गए थे

Jilou Me Jo Murghe Aql Udey The Ajab Girey Haalo(N) Girte Padte

Woh Sidra Par he Rahe The Thak Kar chada tha dum tevar aa gaye the

क़वी थे मुरग़ाने वह़म के पर उड़े तो उड़े को और दम भर

उठाई सीने की ऐसी ठोकर कि ख़ूने अन्देशा थूकते थे

Qawi The Murghane Waham Ke Par Ude Ko Aur Dum Bhar

Uthaai Seene Ki Aisi Thokar Ki Khoone Andesha Thookte The

सुना यह इतने में अ़र्शे ह़क़ ने कि ले मुबारक हों ताज वाले

वोही क़दम ख़ैर से फिर आए जो पहले ताजे शरफ़ तेरे थे

Suna Yeh Itne Me Arshe Haq Ne Ki Le Mubarak Ho(n) Taaj Waale

Wohi Qadam Khair Se Fir Aaye Jo Pahle Taaje Sharaf Tere The

यह सुन के बे खुद पुकार उठ्ठा निसार जाऊं कहां हैं आक़ा

फिर उनके तल्वों का पाऊं बोसा यह मेरी आंखों के दिन फिरे थे

Yeh Sun Ke Be Khud Pukaar Uththa Nisaar Jaaun Kahan Hein Aaqa

Fir Unke Talwon Ka Paaun Bosha Yeh Meri Aankhon Ke Din Firey The

झुका था मुजरे को अ़र्श आला गिरे थे सज्दे में बज़्में बाला

यह आंखें क़दमों से मल रहा था वोह गिर्द कुरबान हो रहे थे

Jhuka Tha Mujre Ko Arsh Aala Girey The Sajde Me Bazme Baala

Yeh Aankhe Qadmo(N) Se Mal Raha Tha Woh Girde Kurbaan Ho Rahe The

ज़ियाएं कुछ अ़र्श पर यह आईं कि सारी क़िन्दीले झिल मिलाईं

हुज़ूरे ख़ुरशीद क्या चमकते चराग़ मुंह अपना देखते थे

Ziya’ey(N) Kuchh Arsh Par Yeh Aai Ki Saari Qindeeley Jhilmilaai

Huzoore Khurshid Kya Chamakte Charagh Muh Apna Dekhte The

यही समां था कि पैके रह़मत ख़बर यह लाया कि चलिये ह़ज़रत

तुम्हारी ख़ात़िर कुशादा हैं जो कलीम पर बन्द रास्ते थे

Yahi Sama Tha Ki Paike Rahmat Khabar Yeh Laya Ki Chaliye Hazrat

Tumhari Khaatir Kushada Hein Jo Kaleem Par Band Raaste The

बढ़ ऐ मुह़म्मद करीं हो अह़मद क़रीब आ सरवरे मुमज्जद

निसार जाऊं यह क्या निदा थी यह क्या समां था यह क्या मज़े थे

Bud Ey Muhammad Kari(N) Ho Ahmad Qareeb Aa Sarware Mumjjad

Nisar Jaaun Yeh Kya Nida Thi Yeh Kya Sama Tha Yeh Kya Maze The

ख़िरद से कह दो कि सर झुका ले गुमां से गुज़रे गुज़रने वाले

पड़े हैं यां खुद जिहत को लाले किसे बताए किधर गए थे

Khirad Se Kah Do Ki Sar Jhuka Le Guma Se Ghuzre Ghuzrne Waale

Pade Hein Yaa(N) Khud Jihat Ko Laale Kise Bata’ey Kidhar Gaye The

सुराग़े ऐनो मता कहां था निशाने कैफ़ो इला कहां था

न कोई राही न कोई साथी न संगे मन्ज़िल न मरह़ले थे

Suraghe Aino Mata Kahan Tha Nishane Kaifo Ilaa Kaha Tha

Na Koi Raahi Na Koi Saathi Na Sange Manzil Na Marhale The

उधर से पैहम तक़ाज़े आना इधर था मुश्किल क़दम बढ़ाना

जलालो हैबत का सामना था जमालो रह़मत उभारते थे

Udhar Se Paiham Taqaze Aana Idhar Tha Mushkil Qadam Badana

Jalaalo Haibat Ka Saamana Tha Jamaalo Rahmat Ubhaarte The

बढ़े तो लेकिन झिझकते डरते ह़या से झुकते अदब से रुकते

जो कुर्ब उन्हीं की रबिश पे रखते तो लाखों मन्ज़िल के फ़ासिले थे

Bade To Lekin Jhijhakte Darte Haya Se Jhukte Adab Se Ruktey

Jo Kurb Unhi Ki Rabish Pe Rakhtey To Laakhon Manzil Ke Faasiley The

पर इनका बढ़ना तो नाम को था ह़क़ीक़तन फ़ेल था उधर का

तनुज़्ज़लों में तरक़्क़ी अ़फ़ज़ा दना तदल्ला के सिलसिले थे

Par Inka Badna To Naam Ko Tha Haqiqatan Fail Tha Udhar Ka

Tanuzzalo(n) Me Tarqqi Afza Dana Ta’dalla Ke Silsiley The

हुआ न आख़िर कि एक बजरा तमव्वुजे बह़रे हू में उभरा

दना कि गोदी में उनको ले कर फ़ना के लंगर उठा दिये थे

Hua Na Aakhir Ki Ek Bajra Tamawwuje Bahre Hoo Me Ubhra

Dana Ki Godi Me Unko Le Kar Fana Ke Langar Utha Diye The

किसे मिले घाट का किनारा किधर से गुज़रा कहां उतारा

भरा जो मिस्ले तरार वोह अपनी आंखों से खुद छुपे थे

Kise Miley Ghaat Ka Kinara Kidhar Se Guzra Kahan Utara

Bhara Jo Misley Taraar Woh Apni Aankhon Se Khud Chhupe The

उठे जो क़सरे दना के पर्दे कोई ख़बर दे तो क्या ख़बर दे

वहां तो जा ही नहीं दुई की न कह कि वोह भी न थे अरे थे

Uthey Jo Qasrey Dana Ke Parde Koi Khabar De To Kya Khabar De

Waha To Jaa He Nahi Du’ee Ki Na Kah Ki Woh Bhi Na Arey The

Woh Sarwar E Kishwar E Rishalat Jo Arsh Par Jalwa-Gar Hue The

वोह बाग़ कुछ ऐसा रंग लाया कि गुन्चओ गुल का फ़र्क़ उठाया

गिरह में कलियों की बाग़ फ़ूले गुलों के तुक्मे लगे हुए थे

Woh Baagh Kuchh Aisa Rang Laaya Ki Gunchao Gul Ka Farq Uthaaya

Girah Me Kaliyon Ki Baagh Phoole Gulon Ke Tukme Lage Hue The

मुहीत़ो मरक़ज़ में फ़र्क़ मुश्किल रहे न फ़ासिल खुत़ूते वासिल

कमानें ह़ैरत में सर झुकाए अ़जीब चक्कर में दाएरे थे

Muheeto Marqaz Me Farq Mushkil Rahe Na Faasil Khutoone Waasil

Kamane Hairat Sar Jhukaye Ajeeb Chakkar Me Daaye’re The

ह़िजाब में लाखों पर्दे हर एक पर्दे में लाखों जल्वे

अ़जब थी कि वस्लो फुरक़त जनम के बिछड़े गले मिले थे

Hijaab Me Laakhon Pardey Har ek Pardey Me Laakhon Jalwe

Ajab Thi Ki Waslo Furqat Janam Ke Bichchde Gale Miley The

ज़बाने सूखी दिखा के मौजें तड़प रही थीं कि पानी पाएं

भंवर को यह ज़ोफ़े तिश्नगी था कि ह़ल्के़ आंखों में पड गये थे

Zabaane Sookhi Dikha Ke Moujen Tadap Rahi Thi Ki Paani Paayen

Bhabar Ko Yeh Zofe Tishnagi Tha Ki Halke Aankho Me Pad Gaye The

वोही है अव्वल वोही है आख़िर वोही है वात़िन वोही है ज़ाहिर

उसी के जल्वे उसी से मिलने उसी से उसकी त़रफ़ गये थे

Wohi Hai Awwal Wohi Hai Aakhir Wohi Hai Watin Wohi Hai Zaahir

Usi Ke Jalwe Usi Se Milne Usi Se Uski Taraf Gaye The

कमाने इम्कां के झूंटे नुक़्तो तुम अव्वल आख़िर के फेर में हो

मुह़ीत़ की चाल से तो पूछो किधर से आए किधर गए थे

Kamane Imka(N) Ke Jhoote Nukto Tum Awwal Aakhir Ke Fer Me Ho

Muheet Ki Chaal Se To Poochho Kidhar Se Aaye Kidhar Gaye The

इधर से थीं नज़रे शह नमाज़ें उधर से इनआमें खुसरवी में

सलामों रह़मत के हार गुंध कर गुलूए पुरनूर में पड़े थे

Idhar Se Thi Nazre Shah Namaze Udhar Se In’aam E Khusravi Me

Salaamon Rahmat Ke Haar Gundh Kar Guloo-E-Purnoor Me Pade The

ज़बान को इन्तिज़ारे गुफ़्तन तो गोश को ह़सरते शुनी दन

यहां जो कहना था कह लिया था जो बात सुननी थी सुन चुके थे

Zabaan Ko Intizaare Guftan To Gosh Ko Hasratey Shuni dan

Yahan Jo Kahna Tha Kah Liya Tha Jo Baat Sunni Thi Sun Chuke The

वोह बुर्जे बत़्ह़ा का माह पारा बिह़िसश्त की सैर को सिधारा

चमक पे था खुल्द का सितारा कि उस क़मर के क़दम गये थे

Woh Burje Bat’ha Ka Maah Paara Bihisasht Ki Sair Ko Sidhara

Chamak Pe The Khuld Ka Sitara Ki Us Qamar Ke Qadam Gaye The

सुरुरे मक़दम की रोशनी थी कि ताबिशों से महे अ़रब की

जिनां के गुलशन थे झाड़ फ़र्शी जो फूल थे सब कंवल बने थे

Suroore Maqdam Ki Roshni Thi Ki Taabishon Se Mah Arab Ki

Jina(N) Ke Gulshan The Jhaad Farshi Jo Phool The Sub Kanwal Bane The

त़रब की नाज़िश की हां लचक्ये अदब वोह बन्दिश कि हिल न सकिये

यह जोशे ज़िद्दैन था कि पौदे कशा कशे अर्रा के तले थे

Tarab Ki Naazish Ki Han Lachak’ye Adab Woh Bandish Ki Hil Na Sakiye

Yeh Joshe Ziddain Tha Ki Poude Kasha Kashey Arra Ke Taley The

खुदा की कुदरत कि चांद ह़क़ के करोरो मंजिल में जल्वा करके

अभी न तारों की छाओं बदली कि नूर के तड़के आ लिये थे

Khuda Ki Kudrat Ki Chand Haq Ke Karoro Manjil Me Jalwa Kar Ke

Abhi Na Taaron Ki Chhao(N) Badli Ki Noor Ke Tadke Aa Liye The

नबिय्ये रह़मत शफ़ीए उम्मत ! रज़ा पे लिल्लाह हो इ़नायत

इसे भी उन खिल्अतों से ह़िस्सा जो ख़ास रह़मत के वां बटे थे

Nabiyye Rahmat Shafi’ey Ummat ! RAZA Pe Lillah Ho Inayat

Ise Bhi Un Khil’ato(N) Se Hissa Jo Khaas Rahmat Ke Waa(N) Batey The

सनाए सरकार है वज़ीफ़ा क़बूले सरकार है तमन्ना

न शाइ़री की हवस न परवा रवी थी क्या कैसे क़फ़िये थे

Sana-E-Sarkar Hai Wazifa Qaboole Sarkar Hai Tamanna

Na Shayeri Ki Hawas Na Parwa Rawi Thi Kya Kaise Qaafiye The

Hind And English Naat lyrics

Soye hain woh Bazahir Dil unka jaagta hai naat lyrics

Shayar:Ajmal Sultanpuri | Naat e Paak

सोए हैं वह बज़ाहिर दिल उनका जागता है
तलवे से उनके क़ुदसी पेशानी मल रहा है

Soye Hain Wah Bazahir Dil Unka Jaagta Hai
Talwe Se Unke Kudsi Peshani Mal Raha Hai

आंखें खुलीं तो पूछा जिबरील कहिये क्या है
जिबरील बोले आक़ा ख़ालिक़ बुला रहा है

Aankhe Khuli To Poochha Jibreel Kahiye Kya Hai
Jibreel Bole Aaqa Khaliq Bula Raha Hai

सरकार हूक्म हो तो हाज़िर करूं सवारी
सज कर बुराक़े अनवर दरवाज़े पर खड़ा है

Sarkar Hukm Ho To Haazir Karu(N) Sawaari
Saj Kar Buraqe Anwar Darwaze Per Khada Hai

नालैने पाक पहने निकले हरम से बाहर
देखो तो क़ुदसियों का मेला लगा हुआ है

Nalainay Paak Pahne Nikle Haram Se Bahar
Dekho To Kudsiyon Ka Mela Laga Hua Hai

तअ़ज़ीम से फ़रिश्ते बोले सलाम अलै-का
सल्ले अल़ा का नग़मा हर सम्त गूंजता है

Taa-Zeem Se Farishte Bole Salam Alay-Ka
Sal-Lay Ala Ka Nagma Har Samt Goonjta Hai

उम्मत को याद करके आक़ा हुए रवाना
और पहुंचे बैते मक़दिस जो खा़नए ख़ुदा है

Ummat Ko Yaad Karke Aaqa Hue Ravana
Aur Pahunche Bai-Tay Maqdis Jo Khana E Khuda Hai

देखा कुल अम्बिया हैं मौजूद बा-जमाअ़त
बाद अज़ सलाम बोले अब इंतजार क्या है

Dekha Kul Ambiya Hain Moujood Ba Jama-At
Baad Az Salam Bole Ab Intijaar Kya Hai

सरकार ने इमामत फ़रमाई अम्बिया की
हर मुक़तदी से अफ़ज़ल रुतबा इमाम का है

Sarkar Ne Imamat Farmai Ambiya Ki
Har Muqtadi Se Afzal Rutba Imaam Ka Hai

फिर हो गए मुहम्मद सूए फ़लक रवाना
अब हो किसी भी शय जुम्बिश मजाल क्या है

Fir Ho-Gay Muhammad Su-A Falak Rawana
Ab Ho Kisi Bhi Shae Jumbish Majal Kya Hai

जन्नत सजी हुई है अफ़लाक है मुज़य्यन
रास्ते में क़ुदसियों का पहरा लगा हुआ है

Jannat Saji Hue Hai Aflaak Hai Muzai-Yan
Raaste Me Qudsiyo(N) Ka Pahra Laga Hua Hai

जिबरील ने भी आख़िर सिदरा से साथ छोड़ा
बोले कि या मुहम्मद यह मेरी मुन्तहा है

Jibreel Ne Bhi Aakhir Sidra Se Saath Chhoda
Bole Ki Ya Muhammad Ye Meri Muntaha Hai

रफ़ रफ़ में बैठ कर के आगे बढे़ मुहम्मद
अर्शे बरीं को देखा क़दमों को चूमता है

Raf Raf Mai Baith Kar Ke Aage Baday Muhammad
Arshe Bari(N) Ko Dekha Qadmo Ko Chomta Hai

वा-रफ़्ता बर समाअ़त आव़ाज़े उद्नु मिन्नी
मेहमान मुस्तफ़ा हैं और मेज़बाँ ख़ुदा है

Wa-Rafta Bar Sma-At Awaze Udnu Minni
Mehmaan Mustafa Hain Aur Mezba(N) Khuda Hai

ये वस्ल दो कमां का या इससे भी कहीं कम
क़ुर्बे खुदा की मन्ज़िल मेराजे मुस्तफ़ा है

Ye Wasl Do Kama(N) Ka Ya Isse Bhi Kahi(N) Kam
Qurbe Khuda Ki Manzil Merajay Mustafa Hai

मेरअ़्राज में नबी को अल्लाह ने बुलाकर
सब कुछ दिखा दिया है सब कुछ बता दिया है

Meraaj Me Nabi Ko Allah Ne Bula Kar
Sab Kuchh Dikha Diya Hai Sab Kuchh Bata Diya Hai

Madina arshe aazam par nahi rooye zami par hai

Shayar:Ajmal Sultanpuri | Naat e Paak

Hindi And english naat Lyrics

मदीना अर्शे आज़म पर नहीं रूए ज़मीं पर है
मग़र उस सरज़मीं को फ़ौक़ियत अर्शे बरीं पर है

Madina arshe aazam par nahi roo-e-zami par hai
Magar us sar zami ko fouqi’at arshe bari(n) par hai

शहे मेंराज का नक्शे क़दम अर्शे बरीं पर है
अब उस मिट्टी का क्या कहना सरापा जिस ज़मीं पर है

Shahe meraj ka nakshe qadam arshe bari(n) par hai
Ab us mitti ka kya kahna sarapa jis zami par hai

मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ले अला का तलवए अक़दस
शबे मेराज सरदारे मलाइक की जबीं पर है

Mohammad mustafa salle ala ka talwa-e-aqdas
Shabe meraj sardaare malaik ki jabi(n) par hai

वहां से साहेबे मेराज तन्हा अर्श पर पहुंचे
जहां सोज़िश का ग़लबा शह परे रूहुल अमीं पर है

Waha se saahibe meraaj tanha arsh par pahu(n)che
Jaha sozish ka Ghalba shah parey roohul ami par hai

हदे इदराक़ से बाला है मेराजे शहे बतहा
मग़र उसकी सदाक़त अहले ईमाँ के यक़ीं पर है

hade idraaq se wala hai meraj-e-shahe but’ha
Magar uski sadaqat ahle imaa(n) ke yaki par hai

अग़र है मुन्किरे मेराज जिस्मानी तो ऐ ज़ाहिद
रियाकारी के सज्दों का निशां तेरी जबीं पर है

Agar hai munkire meraaj jismani to ae zaahid
Riyakaari ke sajdo(n) ka nisha teri jabi(n) par hai

शबे असरा उन्हीं के सर शफ़ाअत का बंधा सेहरा
गुनहगारों की बख्शिश रहमतुललिल आलमीं पर है

Shabe asra unhi ke sar shafa’at ka bandha sehra
Gunahgaaro ki bakhshish rahmattul’lil aalmi(n) par hai

मेरी जन्नत है अजमल वो जहां जन्नत के मालिक हों
यही जन्नत के मालिक हैं, मेरी जन्नत यहीं पर है

Meri jannat hai ajmal wo jaha.n, jannat ke maalik hon
Ye hi jannat ke maalik hain, meri jannat yahin par hai

Naat sharif

Hindi and english lyrics

Main Banda e Aasi Hun Lyrics

Benawaoñ Ki Nawa Sunta Hai
Iltija Sabki Khuda Sunta Hai

Ham ke Bande Haiñ Sana Karte Haiñ
Wo Ke Khaliq Hai Sana Sunta Hai

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Hun Mola
Lekin Teri Rahmat Ka Talawgar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Hun Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Hun Mola

Ya Rahman….
Ya Rahim….

Bawasta Hai Ummid Meri Tere Karam Se
Tera Huñ Faqat Tera Parastar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola

Ya Rahman…
Ya Rahim….

Ik Tera Ishara Ho Aur Aasan Ho Manzil
Ik Lahar Uthe Aur Maiñ Uspar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Hun Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Hun Mola

Ya Rahman….
Ya Rahim….

Jinse Maiñ Guzar Jauñ Wo Dar Khol De Mujh me
Khud Apne He Raste Ki Maiñ Deewar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola

Ya Rahman…
Ya Rahim…

Bahir Ke Ujale Mujhe Kya Raah Sujhayeñ
Andar Ke Andheroñ Me Giraftar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola

Ya Rahman….
Ya Rahim….

Phir Tu Mere Imañ Ko Tawanayi Ata Kar
Barsoñ Nahi Sadiyoñ Se Bimar Huñ Mola

Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola
Maiñ Banda-e-Aasi Huñ Khatakar Huñ Mola

Ya Rahman….
Ya Rahim…

Recited by: Syed Hassan Ullah Hussaini & Khalid Hasnain Khalid

Bakhsh De Lyrics Owais Raza Qadri

Shabe barat new kalam

Kids naat shabe barat

आज की रात मौला हमें बख़्श दे Hindi Lyrics
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
हमें बख़्श दे ….

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

सारे जुर्मों कुसूर-ओ-खता बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

तू खता पोश है मैं खताकार हूँ
मुझको इकरार है मैं गुनाहगार

तुझको महबूब का वास्ता बख़्श दे
तुझको महबूब का वास्ता बख़्श दे

तू खता पोश है मैं खताकार हूँ
मुझको इकरार है मैं गुनाहगार

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

आज की रात है तेरे इकराम की
तेरे जूदो अ़ता तेरे इकराम की

आज की रात है तेरे इकराम की
तेरे जूदो अ़ता तेरे इकराम की

मानता हूँ के मैं हूँ बुरा बख़्श दे
मानता हूँ के मैं हूँ बुरा बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

हाथ बांधे खड़ा हूँ मैं तेरे सामने
मैं सरापा दुआ हूँ तेरे सामने

हाथ बांधे खड़ा हूँ मैं तेरे सामने
मैं सरापा दुआ हूँ तेरे सामने

तू है ग़फ़्फ़ार मेरी ख़ता बख़्श दे
तू है ग़फ़्फ़ार मेरी ख़ता बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

ये जो क़ब्रें नज़र आ रही हैं हमें
आखिरत याद करवा रहीं हैं हमें

ये जो क़ब्रें नज़र आ रही हैं हमें
आखिरत याद करवा रहीं हैं हमें

ख़ौफ़ से है वदन कांपता बख्श दे
ख़ौफ़ से है वदन कांपता बख्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

जो परेशान हैं बच्चों से तू नेक कर
उनकी औलाद को या ख़ुदा एक कर

जो परेशान हैं बच्चों से तू नेक कर
उनकी औलाद को या ख़ुदा एक कर

सारी मांओं की सुन ले दुआ बख़्श दे
सारी मांओं की सुन ले दुआ बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

सारे जुर्मों कुसूर-ओ-खता बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi Lyrics In Hindi And English

Hain Gunahgar Ham, Rabbe Rahman

Hain Magar Mustafa Ke, Sana Khwan

Us Nabi Ki Khudaya ! Himmat

Jinke Bahte Rahe Ask E Rahmat

Unke Sadqe Na Ho Jag Hasayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi … Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Rahmaton Ki Ghata Phir Se Chhayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi … Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Muaf Kar De Hamen Ya Ilaahi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi … Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Raat Din Kar Ke Apni Tawaahi

Naame Par Apne Daale Siyahi

Ab Nadamt Se Sar Ko Jhukaye

Aas Tere Karam Se Lagaye

Dete Hain Ro Ke Ham Sab Duhaayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi.. Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Tune Har Aan Ki Hain Ataaein

Ki Magar, Haye ! Hamne Khatayen

Tune Daala Hai Aibon Pe Parda

Hamko Hone Diya Hai Na Ruswa

Aaye Hain Leke Ham Sharm-Saari

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi .. Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Tere Bande Jo Tujh Se Na Maangen

Phir Bata Ham Kahan Aur Jayen

Har Ghadi Be-Nawaon Ki Khatir

Mere Mola Tera Dar Khula Hai

Muaf Kar De Khataein Hamari

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi .. Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Ye Ghulam E Shahe Ambiya Hai

Banda E Mola Mushkil Kusha Hai

Sab Sahaba Pe Rashid Fida Hai

Aur Aale Nabi Ka Gada Hai

Ho Na Barbad Is Ki Kamaayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi .. Raat Aayi

Phir Bara’at Ki Hai Raat Aayi

Naat Khwan: Imran Shaikh Attari

हैं गुनाहगार हम, रब्बे रहमान
हैं मगर मुस्तफ़ा के, सना-खां
उस नबी की ख़ुदाया ! हिम्मत
जिनके बहते रहे अश्के रह़मत
उनके सदक़े, ना हो जग हसाई

फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

रह़मतों की घटा फिर से छाई
फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

माफ़ कर दे हमें या इलाही
फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

रात दिन करके अपनी तबाही
नामें पर अपने डाले सिहाई
अब नदामत से सर को झुकाए
आस तेरे करम से लगाए
देते हैं रो के हम सब दुहाई

फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

तूने हर आन की हैं अताएं
कीं मगर ! हाय, हमने ख़ताएं
तूने डाला है ऐबों पे पर्दा
हमको होने दिया है ना रुसवा
आए हैं लेके हम शर्म-सारी

फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

तेरे बन्दे जो तुझसे ना मांगे
फिर बता हम कहां और जाएं
हर घड़ी बे-नवाओं की ख़ातिर
मेरे मौला तेरा दर खुला है
माफ़ कर दे ख़ताएं हमारी

फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

ये ग़ुलाम-ए-शहे अम्बिया है
बन्दा-ए-मौला मुश्किल कुशा है
सब सहाबा पे राशिद फ़िदा है
और आले नबी का गदा है
हो ना बर्बाद इसकी कमाई

फिर बराअ़त की है रात आई … रात आई
फिर बराअ़त की है रात आई

Aaj hi apne rab ko mana lo lyrics hindi

Aaj hi apne rab ko mana lo
zindagi ka bharosa nahin hai
Naare dozakh se khud ko bacha lo
zindagi ka bharosa nahin hai

आज ही अपने रब को मना लो
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है
नारे दोज़ख़ से खुद को बचा लो
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है

Chandni chaar din hai logo
Ye jawani bhi faani hai sun lo
Aakibat bas apni achhi bana lo
zindagi ka bharosa nahin hai

चांदनी चार दिन है ऐ लोगो
ये जवानी भी फ़ानी है सुन लो
आकिबत बस अपनी अच्छी बना लो
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है

Qabr me jaa ke rona padega
Khaak par tumko sona padega
Mout se pahle khud ko sambhalo
zindagi ka bharosa nahin hai

क़ब्र में जा के रोना पढ़ेगा
ख़ाक़ पर तुझको सोना पढ़ेगा
मौत से पहले खुद को सम्भालो
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है

Chahiye gar nabi ki shafa’at
Mat karo phir nabi ki ihanat
Unki ulfat dilon me basa lo
zindagi ka bharosa nahin hai

चाहिए गर नबी की शफ़ाअ़त
मत करो फिर नबी की इहानत
उनकी उल्फ़त दिलों में बसा लो
ज़िन्दगी का भरोसा नहीं है

Naat Khwan: Azmat Raza BhagalPuri

Bakhsh De Lyrics By Owais Raza Qadri New Kalam

Aaj hi apne rab ko mana lo in hindi
Aaj hi apne rab ko mana lo in english

Teri Yaad Kaam Aayi Naat lyrics

Ye Udaas Raah-E-Manzil, Ye Meri Shikashta Paayi

Mai To Thak Ke Baith Jata, Teri Yaad Kaam Aayi

ये उदास राह-ए-मन्ज़िल ये मेरी शिकस्ता पाई

मैं तो थक के बैठ जाता तेरी याद काम आई

Koi Mere Dil Se Poochhe Teri Shaan-E-Mustafayi

Wahi Mil Gaya Kinara Jahan Naao Dag-Magaai

कोई मेरे दिल से पूछे तेरी शान-ए-मुस्तफ़ाई

वहीं मिल गया किनारा जहां नाओ डगमगाई

Mai Shikashta Haal Raahi Tu Charagh-E-Raah-E-Manzil

Mera Kaam Bhool Jana Tera Kaam Rahnumai

मैं शिकस्ता हाल राही तू चिराग़-ए-राहे मन्ज़िल

मेरा काम भूल जाना तेरा काम रहनुमाई

Jo Khilaf Hai Zamana Mera Kya Bigaad Lega

Mere Saath Hain Muhammad Mere Saath Hai Khudai

जो खिलाफ़ है ज़माना मेरा क्या बिगाड़ लेगा

मेरे साथ हैं मुह़म्मद मेरे साथ है ख़ुदाई

Mere Naam Ki Balandi Teri Naat Se Hai Qaa’im

Teri Naat Ka Hai Sadqa Izzat Jo Maine Paayi

मेरे नाम की बुलन्दी तेरी नात से है क़ाइम

तेरी नात का है सदक़ा इज़्ज़त जो मैंने पाई

Kabhi Mai Jo Lar-Kharaya Kabhi Mai Jo Dag-Magaya

Teri Masti-E-Nazar Hi Mujhe Thaamne Ko Aayi

कभी मैं जो लड़-खड़ाया कभी मैं जो डग-मगाया

तेरी मस्ती-ए-नज़र ही मुझे थामने को आई

Wo Khuda-E-Banda Parwar Mere Jurm Bakhsh Dega

Sarey Hashr Jab Mai Dunga Tere Naam Ki Duhayi

वो ख़ुदा-ए-बन्दा परवर मेरे ज़ुर्म बख्श देखा

सरे ह़श्र जब मैं दूंगा तेरे नाम की दुहाई

Bharosa Zindagi Ka Kalam Lyrics by Sandali Ahmad

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Aye Momino Tum Jaag Lo
Jo Mangna Hai Wo Mang Lo

Karta Hai Sabke Faisle
Han Mola Isi Raat

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Jannat Ke Sab Haiñ Dar Khule
Han Sun Lo Isi Raat

Dozakh Se Rihaayi Mile
Han Sun Lo Isi Raat

Murdoñ Ko Bakhsh Deta Hai
Han Mola Isi Raat

Jo Mangna Hai Mang Lo
Rahmat Ki Hai Ye Raat

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Logoñ Ko Rizq Deta Hai
Han Mola Isi Raat

Auladeiñ Jo Talab Kareñ
Wo Paayeñ Isi Raat

Qarze Se Rihaayi
Han Sun Lo Isi Raat

Ro-Ro Ke Tauba Kar Lo Tum
Bakhshish Ki Hai Ye Raat

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…
Shab-e-Barat… Shab-e-Barat…

Singer: Sandali Ahmad
Lyrics: Shakil Ahmad

Shab e Barat Naat Lyrics source link

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes
Shab-E-Barat Quotes In Urdu
Shabe Barat Quotes And Wishes In Urdu

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes

دعا ہے کہ اللہ تعالیٰ اس رات کے صدقے ہمارے سارے گناہ معاف فرمائے

ہمار ی دعائیں قبول فرمائے

یہ اللہ سے مغفرت ،رحمت اور بخشش طلب کرنے کی رات ہے

۔آئے ہم سب اس مُقدس رات کے دروان غرییوں

بےکسوں اور بے سہارا لوگوں کی مدد اور خدمت خلق کے جذبہ کو مضبوط کریں ۔

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes

یا اللہ شب برات کی مبارک رات کے صدقے ہمیں بخش دے اور ہماری دعائیں قبول فرما

Ya Allah Shabe Baraat Ki Mubarak Raat K Sadke Humain Baksh De Aur Humari Duain Qabool Farma.

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes

اللہ پاک اس مبارک رات کے صدقے اور آقا کریم محمدِ مصطفیٰ ﷺ کے صدقے مسلمانوں کے حال پر رحم فرمائے آمین۔

Ya Allah , Main Tujhse Mangta Hun , Aisi Maafi Jiske Baad Gunah Na Ho ,

Aisi Sehat Jiske Baad Bimari Na Ho , Aisi Raza Jiske Baad Koi Narazgi Na Ho۔

یا الله میں تجھ سے مانگتا ہوں ایسی معافی جس کے بعد کوئی گناہ نہ ہو

ایسی صحت جس کے بعد کوئی بیماری نہ ہو ایسی رضا جس کے بعد ناراضگی نہ ہو…! آمین

Shab-E-Barat Quotes In Urdu

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes

مانگ لو مانگ لو چشم تر مانگ لو !، درد دل اور حسن نظر مانگ لو

، کملی والے ﷺ کی نگری میں گھر مانگ لو، مانگنے کا مزہ آج کی رات ہے

Maang Lo Maang Lo Chashmey Tar Maang Lo, Dard E Dil Aur Husn E Nazar Maang Lo…

KAMLI WALE Ki Nagri Mein Ghar Maang Lo… Maangney Ka Mza Aj Ki Raat Hai

یا اللہ

ہمارے صغیرہ اور کبیرہ گناہوں کو معاف فرما دے

ہمیں حرام سے بچا۔ حلال رزق میں اضافہ کردے۔ برکت ڈال دے

ہمارے وہ مکروہ عمل معاف کردے کہ جو ہماری کے تیرے عرش تک پہنچنے میں رکاوٹ بنتے ہیں

جو جو یہ دعا پڑھ رہا ہے اس اس کی اور میری وہ ساری نیک دعائیں جو کسی وجہ سے زبان پر نہیں لا سکتے لیکن دل ہی دل میں تجھ سے مانگتے رہتے ہیں انہیں بھی پورا فرما دے

آمین یارب العالمین

Shab-E-Barat Quotes In Urdu

Shab-e-Barat Quotes in Urdu | Shabe Barat Quotes and Wishes

اے رحمت کےلامحدود

خزانوں والے”اللّہ”

تیرے کرم اورتیری عطاؤں کا شمار

ناممکن ھے..

جوهمارےلئے بہترهے, وہ همیں عطاء فرما.

ایمان کےساتھ عزت کی زندگی،

وسیع حلال رزق اور

ایمان کی استقامت عطافرما…

آمین یا رب العا لمین

Aayi Müqaddaso Ba barkat Raat

SHABE BARAAT

Duniya ko chhodo Aakhirat ki Socho

RAAHPURKHAARHAIKYAHONAHAI

Raah pur khaar hai kya hona hai Pao n afgaar hai kya hona hai
Dil ! ke teemaar hamara karta Aap beemaar hai kya hona hai
Chhup ke logon se kiye jis ke gunaah Wo khabardaar hai kya hona hai
Arey a mujrim e be parwaa dekh Sar pe taIwaa’r hai kya hona hai
Te re B e e m ar k a me r e I ss a Gash lagatar hai kya hona hai
Nafs e purzor ka wo zor aur dil Zer hai Zaar hai kya hona hai
Kąam zindaañ ke kiye aur humeiñ Shauq e Gulzaar hai kya hona hai
Haa ye re neend musafir te ri Kooch taiyaar hai kya hona hai
Door jaana hai rahaa din thoda Raah dushwaar hai kya hona hai
Ghar bhi jaana hai musafir ke nahiñ Mat pe kya maar hai kya hona hai
Jaan haI ka a n hu wi j a a tÌ hai 8aar sa baar hai kya hona hai
Paar jaana hai nahiñ milti naav Zor par dhaar hai kya hona hai
Raah to teg par aur talwon ko Gila e Kh.aar hai kya hona hai
Roshni ki hamein aadat aur ghar Teera wo taar hai kya hona hai
Beech meiñ aag ka dariya haail Qasde us paar hai kya hona hai

Is kadi dhoop ko kyun kar jheleifi Shqla zan naar hai kya ho,na hai
Haaye bigdi to kahaañ aakar naav Ain mahjdhaar hai kya hona hai
Kai to deedar ka din aur yahaan AanŁh bekaar hai kya hona h’ai
Munfi dikhaane ka nahiñ aur sahr Aam darbaar hai kya hona hai
Un ko rahem ‘ eye to aaye wama’ Wo kadi maar hai kya hona fiai
Le wo haakim ke sipahi a aye Subhe Izhaar hai kÿä hóna hai
Waan nahi. baat banaane ki majáal ’ Chara iqraar hai kya hona Lai
Saath waalon he yahin chhod diya Be kasi yaar fiai ” kÿàhàna”’hai

Aakhri deed hai àao mil ’letfl ‘ ‘ ”’ * ” ^”
Ranj bekaa’r hai kya hona hai
Dil humeiñ tum se lagaana hl na tha
Ab safar baar hai’ Éÿż”’fiöhà”hai laane waloii pe ye rona ka isa ’ ‘ “‘” “‘ ‘ Banda naachaar hai kya hona ’haÌ
Naz’a meÏn dhyaan na bat jaye kahiñ Ye abas pyar hai’ Eya ‘ h0nt ’Raj
Is ka gham hai ke Har êk Iú sootat tïa1-B ka’ háâr ‘ fiai ’Șa ‘łi*èna had

Duniya raah-e-deen ki manzilon mein se ek manzil aur Allah Tabarak wa Ta’ala ki bargah ke musafiron ka raasta hai. Ye musafir ka zaad-e-raah lene ke liye ek aaraasta bazaar hai aur is se maqsood Tosh-e-Aakhirat hai. Aur hoshiyar aur zeerak musafir raaste ki rangeeniyon mein kabhi bhi nahin khota, balki hamesha manzil-e-maqsood us ke pesh-e-nazar hoti hai. Aur wo har qadam girda-pesh par mazar kiye bagair badhta rehta hai, badhta rehta hai, yahaan tak ke no manzil-e-maqsood tak pahunch jaata hai.

Aye pyaare Sunni bhaaiyo! Hum aur aap sabhi hazrat musafir hain aur hamari manzil-e-maqsood Aakhirat hai. Aur hoshiyar aur zeerak musafir raaste ki rangeeniyon mein kabhi bhi nahin khota, balki hamesha manzil-e-maqsood us ke pesh-e-nazar hoti hai. Aur wo har qadam girda-pesh par mazar kiye bagair badhta rehta hai, badhta rehta hai, yahaan tak ke no manzil-e-maqsood tak pahunch jaata hai.

Aye pyaare Sunni bhaaiyo! Hum aur aap sabhi hazrat musafir hain aur hamari manzil-e-maqsood Aakhirat hai. Aur hoshiyar aur zeerak musafir raaste ki rangeeniyon mein kabhi bhi nahin khota, balki hamesha manzil-e-maqsood us ke pesh-e-nazar hoti hai. Aur wo har qadam girda-pesh par mazar kiye bagair badhta rehta hai, badhta rehta hai, yahaan tak ke no manzil-e-maqsood tak pahunch jaata hai.

Allah aur uske Rasool Jallallah Ta’ala Alaihi Wasallam ki raza mandi aur khushkoodi mein hai. Aur Allah aur Rasool Jallallah Ta’ala Alaihi Wasallam ki raza mandi aur khushkoodi hasil karne mein shari’ah-e-Islamiya ke awaamir par amal karne aur nawahi se bachne mein hai.

To aaiye hum apna muhasba karein ke kya awaamir (ahkaam) par hamara amal hai? Kya nawaahi (na Jayaz Umoor) se hum bachte hain? Sab se pehle aqaaid o imaan ki sahet wa durustagi aur pukhtagi laazim o zuroori hai. To kya hamare aqaaid o imaan durust aur sahi aur kaamil aur mykammal hain? Kya hamara uthna baithna, mel milaap, salaam kalaam, rishta naata gustaakhaane Allah wa Rasool se‘ to nahin? Agar hai to hash ke naakhun lein. Un se door o nufoor la )aayei‹\, un se bezaari wa qata-e-taálluq karlein. Dekho hamare turnhaare Aaqa One -kya farmaaya hai. Sarkaar-e-Yaainat Rasoole Aazam wa Aa’la mine farmaaya hai. “Bad mazhab agar beemar padein to un ki ayaadat na karo. Agar mar jaayein to un ke janaaza mein shareek na ho. Un se mulaqaat ho to unhein salaam na karo. Un ke paas na baitho. Un ke saath paani na piÿo. Un ke saath khaana na khao. Un ke saath shaadi biyaah na karo. Un ke janaaza ki namaaz na padho aur naun ke saath n’amaaz padho’. Kya Allah wa Rasool se hum waisi mohabbat karte hain jaisi mohabbat karne ka hum par haq hai? Kya waisa maante hain jaisa ke maanne ka hum par haq hai: Allah Waajibul Wajood hai. Allah hamesha sae hai aur hamesha rahega. Saare kamaalaat raari khuoiyan saaritaareetein ‘Allah hi ke liye hain. Allah har kamaal’o ki jame’ hai: Us ka koi shareek nahin. Us ka koi nazeer nahin. Us ka koi maseel nahin. Wo Wahdahu la shareek hai. Woh be aib hai. Wo haraib a nuqs.se Daak nai’. wahi ek akela zaat hai jo ibaadat ke laaiq hai. Wahi ma’abood e Haqeeqi aur masjood e tehqeeqi. Aur dekh pyare Aaqa ne farmaya “Koi shakhs us waqt tak momin nahi ho sakta jab tak ke main us ke nana, baap, bete aur tamaam logon se zyada mehboob na ho jaun”. Leukhari wa Musalman Yaani momin e kaamil ki nishaani ye hai ke momin ke nazdeek Rasool e khuda Itamaar cheezon aur tamaam logon se zyada mehboob aur mu’azzar hon.

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Hum par Namaaz farz hai to kya hum namaazon ko un’ke waqtan par waise hi ada karte hain jaisi ki ada’ karne ka haq hai? Kya hamare zimmedari qazaa namaazein bhi hain? Agar qataa namaazein hamaare zimme hain to un ki adaigi ke liye hum ne kya socha hai? Maloom nahi zindagi kab tak wafa kare. Is liye aaye din ho ya raat badal jaye, nawaafil mehnat se pehle jald se jald qaza namaazein poori kar lein, kyunki farz ki adaayegi nawaafil se zyada ahem hai. Dekho, Imaam-e-Ahlesunnat, Aala Hazrat Imam Ahmed Raza Khan Qaadri, Muhaddis-e-Bareilvi, “Ai Waateefatul Kareema” mein farmaate hain, “Azkaar aur mashghalaat mein mashgooli se pehle agar qazaa namaazein ya raze ho, unka ada karna jitna mumkin ho nihaayat zaroori hai. Jis par farz baaki ho, uska kuch aamal-e-mustahab kaam nahi dete balki qubool nahi hoti jab tak farz adaa na kiya jaye”.

Aur hum par Rozay-e-Mubarak ke farz hain, to farz roze hamaare zimme to nahi? Agar kisi wajah se roze zimme mein reh gaye hain to unhein jald az jald poora kar lein. Allah Tabarak wa Ta’ala ne daulat ata farmayi hai, to kya aapne uska haq adaa kar diya? Kya poori poori zakaat nikaal di gayi hai? Nahi to ab bhi waqt hai poori poori zakaat ada kar dein. Aur Hajj-e-Farz zimme mein liya to imsaal ke adaa kar lein. Saare Huqooqullah ki adaayegi mukammal taur par karein. Saath hi huqooqul ibaad ki paasdaari aur adaayegi lazim aur zaroori hai.

Har Sunni Sahihul Aqeeda Musalman aapas mein bhai bhai hai. Agar ek ko takleef pahunchti hai to doosra bechain aur pareshaan hota hai. Is liye ek doosre ko chain aur sukoon bantna chahiye. Doosre ka qaraar aur sukoon na chheena jaye. Duniya ke chakkar mein apni aakhirat na bigaadein. Dekho, Aala Hazrat Imam Ahlesunnat Imam Ahmed Raza Qadri, tumhein kya darsata farma rahe hain, “Duniya ko tu kya jaane ye bisi ki gaanth hai haraamafa. Surat dekho zaalim to kaisi bholi bhaali hai, Shahed dikhaaye zafir pilaaye, qaatil daayein shoharkush. Is murdaar pe kya lalachaya, duniya dekhi bhaali hai”.

Hazrat Isa ne mukaashifah mein duniya ko budhiya avrat ki soorat mein dekha, poochha tune kitne khaawind kiye. Karta is kasrat se ke ginti mein nahi aa sakte. Poocha mar gaye ya talaaq di, karta nahi maine sab ko maar daala. Hazrat Isa ne farmaaya in ahmaqon par ta’ajjub hai jo dekhte hain ke aur ke saath tune kya kiya uske bawajood ten raghbat karte hain. Ibrat nahin pakadte.

Isliye aye Sunni bhaiyo, ibrat pakdo, naseehat hasil karo. Duniya to chaar din ki chaandni hai aur phir andheri raat hai. Duniya ko chhodo, aakhirat ki socho. Duniya ke liye aapas mein ladte, bhidte ho. Ek doosre ke jaani dushman ban jaate ho. Rishte naate kaat dete ho. Ek doosre se dushmani mollete huye sab chhod do. Dekho Qateye Rahem (rishta kaatne waala) ke liye kis qadar sakht wa’eed hai. Huzoor-e-Aqdas ne farmaya “Rishta kaatne waala jannat mein nahi jayega”. (Sunan Tirmizi, Sunan Abu Dawood).

Pyaare! Bugz o hasad o keena se apna apne seena paak karlo. Dekho, dekho, Aaqa-e-Kaaynaat ki hadees shareef padho, “Hasad nekiyon ko is tarah kha jaata hai jaise aag lakdi ko khaati hai” (Ibn-e-Maja). Aur aage padho “Hasad imaan ka aisa bigaadta hai jaise shahed ka asal badhta hai”.

Final Imam Ahmed aur Tirmizi ne Zuber bin Adam se riwayat ki ke Rasoolullah ne farmaya “Agli ummat ki bimari tumhari taraf bhi aayi, woh bimari hasad o bugz hai, woh moondne wala hai, woh deen ko moondta hai. Baelon ka nahin moondta. Qasam hai uski ke jiske haath mein Muhammad ki jaan hai, jannat mein nahi jaoge jab tak imaan na laao. Aur momin nahi hoge jab tak aapas mein mohabbat na karo. Main tumhe aisi cheez nahi bataata ke jab ise karoge to aapas mein mohabbat karne lago ge. Aapas mein salaam ko phailao”. (Sahih Bukhari). Abu Hurairah se riwayat hai ke Rasoolullah ne farmaya: Aapas mein na hasad karo, na bugz karo, na peeth peechhe burayi karo aur Allah ke bande burai se bhalai kar rahe. (Sahih Bukhari, Sahih Muslim).

Pyaare Sunni Bhaaiyo, Zulm aur istam karna, gussa aur takabbur se bacho. Kyunki Bukhari aur Muslim ki hadees hai ki “Zulm qayamat ke din taareekiyaan hai, yaani zulm karne wala qayamat ke din sakht musibaton aur taareekiyon mein ghira hoga.” Dekho, qawi woh nahi hai jo sirf pahelwaan ho, doosron ka pachhad de. Asli qawi woh hai jo gusse ke waqt apne aapko qaabu mein rakhe. Bukhari aur Muslim ki hadees mein hai ki “Gussa imaan ko aisa kharab kar deta hai jaise ki sharab kharab kar deti hai.” Dekho pyaare, Hadees padho, “Jis kisi ke dil mein raayi baraabar imaan hoga, woh jahannam mein nahin jaayega, aur jis ke dil mein raayi baraabar takabbur hoga, woh jannat mein nahin aayega.” (Muslim)

“Mutakabbireen ka hashr qayamat ke din untiyon ke baraabar jismon mein hoga, aur unki soortain aadmi ki hongi. Har taraf se unpar zillat chhayi hogi. Unko kheench kar jahannam ke qaid khaane ki taraf le jaayenge jis ka naam boolas hai. Un ke oopar aag ki jalti hogi. Jahannamiyon ka nichod unhein pilaaya jaayega, jis ko Teenatul Khabaal kehte hain.” (Tirmizi)

Pyaare Sunni Bhaaiyo, Hirs aur tamaa se bacho aur Allah par tawakkal karo. Sabre na bano, Sabr aur Raza ka daaman pakdo. Dekho, tawakkal aur Sabr ka phal meetha hota hai. Huzoor ka farmaan hai, “Agar tum saheeh ma’non mein Allah par tawakkal karte ho to Allah tumhein parindo ki tarah rizq deta hai jo subah bhooke nikalte aur shaam ko sair kar aate hain.”

“Allah ki taraf se tamaam makhlooq ki taraf tajalli farmaaya hai, aur sab ko bakhsh deta hai, magar kaafir aur adaawat waale ko.” (Tibraani)

Pyaare Sunni Bhaaiyo, Dekho, Shabe Baraat aane waali hai, is mubarak raat mein Allah sab ko bakhsh deta hai, magar kaafir aur adaawat waale ko nahi. Un ki taraf nazr e rehmat nahin farmaata. Rasoolullah ﷺ ka farmaan hai, “Shabaan ki pandrahveen shab mein Allah tamaam makhlooq ki taraf tajalli farmaata hai, aur sab ko bakhsh deta hai, magar kaafir aur adaawat waale ko.”

“Jo banda masaaib mein mujh se sawaal karta hai, main use maangne se pehle de deta hoon, aur us ki dua ko maqbool kar leta hoon, aur jo banda masaaib ke waqt meri makhlooq se madad maangta hai, main us par aasmaanon ke darwaaze band kar deta hoon.”

Fazail-o-Maamulaat Sha’baan-o-Shabe Baraat

Hazrat e Abu Hurairah (RA) ke Rasoolullah (SAW) ne farmaya: “Sha’baan mera mahina hai, Rajab Allah ka aur Ramzan meri ummat ka. Sha’baan gunahon ko door karne wala hai aur Ramzan bilkul paak kar dene wala hai.”

Nasaayi ki hadees mein Hazrat Usamah (RA) se marvi hai ke maine Huzoor (SAW) se arz kiya ke aap ko saal ke kisi maheene mein (Ramzan ke farz rozon ke siwa) Sha’baan ke zyada roze rakhte nahi dekha. Aap ne farmaya ki Rajab aur Ramzan ke darmiyan is mahine se ghafil hote hain. Halanki ye aisa mahina hai jisme Allah ke huzoor amaal laaye jate hain. Isliye main is baat ko pasand karta hoon ke ab, majmaI Ummah ki bargah mein laaya jaye.

Aur Ibn Maaja se marvi hai ke jab Shaabaan ki pandrahveen shab aati hai to malakul maut ko har us shakhs ka naam likhwa diya jata hai jo is Shaabaan se aayinda Shaabaan tak marne wala hota hai. Aadmi paude lagaata hai, aurton se nikaah karta hai, imaartein banata hai. Halanki us ka naam murdon mein hota hai aur malakul maut is intezar mein hota hai ke usey kab hukm mile aur wo us ki rooh qabz kare.

Hazrat Sayyidatina Aa’isha Siddiqa (RA) farmati hain ke Huzoor (SAW) ne farmaaya: “Aye Aa’isha, kya tum jaanti ho ke is raat (yaani pandrahveen Shaabaan mein) kya hota hai? To Huzoor Anwar ne irshaad farmaaya ke is shab mein poore saal jo paida hote hain wo likh diye jaate hain aur saal bhar mein jitne halaak hone wale hain woh bhi likh diye jaate hain. Aur isi shabe bafaat mein un ke aamaal buland kiye jaate hain aur isi mein un ke rizq utaare jaate hain.

Ibn Maaja se marvi hai ke Huzeor Aqdas (SAW) ne irshaad farmaaya: Jo shakhs is raat (pandrahveen Shaab) mein sau (100) rakaat padhega to Allah Ta’ala ke paas sau (100) farishte bhejega, jin mein se tees (30) izzat denge aur tees (30) duniya ki aafaton aur balaaon ka us se door karenge. Aur dus (10) farishte Iblees ke makr aur fareb se bachayenge.

Miftahul Jinaan mein hai ke jo shakhs 14 Shabaan ka guroob aane ke qareeb chalees (40) martaba aur sau (100) martaba Durood Shareef padhega to Allah Ta’ala us ke chalis (40) saal ke gunah maaf karega aur jannat mein chalis (40) hoorain us ki khidmat ke liye muqarrar karega.

Ulma e Kiram farmaate hain jo shakhs is raat mein ghusl kar ke dono aankhon mein teen teen sataai surma lagaaye aur surma lagate waqt ye noori durood sharif padhta rahe to poore saal mein us ki aankh na dukhegi aur ibadat e ilahi mein susti na karegi aur nazr tez ho jaayegi.

Allah Ta’ala apne Habeeb o Mehboob Ala Hazrat, Maula Huzoor Ahmed-e-Mujtaba Muhammad Mustafa (SAW) kesadqo tufail hum sab ko shar’ate Islamiya raah mukammal aur amal par laane ki taufeeq ata farmaaye. Shab e Baraat ki barkaton se maalamaal kare, aur hum sab ki maqbulat o bakhshish farmaaye aur dunya mein amaan o aabru ki salaamti ki, saath rakhe, aur jab dunya se uthaye, khairataan farmaaye.

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