Ya Nabi Sab Karam Hai Tumhara Naat Lyrics
Ya Nabi Sub Karam Hai Tumhara Ye Jo Ware Nayara Hue Hain
Ab Kami Ka Tasawoor Bhi Kesa Jb Se Mangte Tumhare Hue Hain
Koi Munh Na Lagata Tha Hamko Paas Tk Na Bithata Tha Ham Ko
Jab Se Thama Tha Daman Tumhara Ye Duniya Wala Hamara Hue Hain
Unke Dar bar Se Jab Bhi Mena Panjtan Ke Wasila Se Manga
Mujko Kharaat Foran Mili Hai Khoob Mera Guzara Hue Hain
Dekh Kr Unke Roza Ke Jalwa Mujh Ko Mehsoos Ye Ho Rha Hai
Jesa Manzer Ye Sara Ke Sara Aasman Se Utara Hua Hain
Door Hone Ko Hia Ab Ye Doori Un Ke Chokhat Pe Ho Ge Huzoori
Khawab Me Mujh Ko Aaqa Ke Dar Se Hazri Ke Ishara Hue Hain
Chahta Hai Agar Nake Nami To Aale Athaar Ke Kr Ghulami
Unke Sadqe Se Zahid Nayazi Pur Saqoon Gham Ke Mare Hue Hain
Ya Nabi Sab Karam Hai Tumhara, Ye Jo Waare-Nyaare Hue Hain
या नबी सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे-न्यारे हुए हैं
अब कमी का तसव्वुर भी कैसा, जब से मँगते तुम्हारे हुए हैं
कोई मुँह न लगाता था हम को, पास तक न बिठाता था हम को
जब से थामा है दामन तुम्हारा, दुनिया वाले हमारे हुए है
दूर होने को है अब ये दूरी, उन की चौखट पे होगी हुज़ूरी
ख़्वाब में मुझ को आक़ा के दर से हाज़री के इशारे हुए है
देख कर उन के रोज़े के जल्वे, मुझ को महसूस ये हो रहा था
जैसे मंज़र ये सारे के सारे आसमाँ से उतारे हुए हैं
उन के दरबार से जब भी मैंने, पंजतन के वसीले से माँगा
मुझ को ख़ैरात फ़ौरन मिली है, ख़ूब मेरे गुज़ारे हुए हैं
हश्र के रोज़ जब मेरे आक़ा उम्मती की शफ़ाअ’त करेंगे
रब कहेगा, उन्हें मैंने बख़्शा, जो दीवाने तुम्हारे हुए हैं
चाहते हो अगर नेक-नामी, आल-ए-ज़हरा की कर लो ग़ुलामी
उन के सदक़े से ज़ाहिद नियाज़ी ! पुर-सुकूँ ग़म के मारे हुए हैं
शायर:
ज़ाहिद नियाज़ी