सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं
सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं
दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैंबोले हुसैन, मौला ! तेरी रिज़ा की खातिर
एक एक कर के मैंने हीरे लुटा दिये हैंदीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं
दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैंबोले हुसैन, मौला ! तेरी रिज़ा की खातिर
एक एक कर के मैंने हीरे लुटा दिये हैंदीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं
ज़हरा के नाज़-पाले, फूलों पे सोने वाले
करबल की ख़ाक पर वो हीरे लुटा दिये हैं
दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं
ज़ैनब के बाग़ में भी दो फूल थे महकते
ज़ैनब ने वो भी दोनों राहे-ख़ुदा दिये हैं
दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं
दीने-नबी पे वारी, अकबर ने भी जवानी
अब्बास ने भी अपने बाज़ू कटा दिये हैं
सय्यिद ने करबला में वा’दे निभा दिये हैं
दीने-मुहम्मदी के गुलशन ख़िला दिये हैं