Azan ke Baad Dua

Azan ke Baad Dua

 

आजान का इस्लाम में महत्वपूर्ण स्थान है, ये वह कुछ शब्द हैं जो हम पूरे दिन के दौरान पाँच बार सुनते हैं। यदि दुनिया में कोई सबसे गूंजने वाली आवाज़ है, तो वह सिर्फ़ आजान की है।

चाहे जंगल हो या शहर, दुनिया के किसी भी कोने में, नमाज़ की दावत के लिए सबसे पहले आजान दी जाती है। आजान का तर्जुमा है कि इसे अल्लाह की इबादत (नमाज) के लिए लोगों को मस्जिद में बुलाने की दावत दी जाती है और लोग मस्जिद में पहुँचते हैं आजान की आवाज सुनकर।

आज हम आजान के बाद पढ़ने वाली दुआ की हदीस को जानेंगे, जिसमें इसे पढ़ने की बड़ी फ़ज़ीलत है, और हम सभी को इसे पढ़ने का आमल करना चाहिए। आजान के बाद हर रोज़ पाँच बार हमें आजान सुनने का मौका मिलता है, इस समय बातचीत नहीं करनी चाहिए, और सारे काम छोड़ना चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि अगर हम क़ुरान पाक की तिलावत कर रहे हों तो भी क़ुरान बंद करके अज़ान सुनने का हुक्म है, और आजान का जबाब देने के बाद आजान के बाद की दुआ पढ़नी चाहिए।

यह भी जानिए कि आज ऐसा आलम है कि अज़ान के वक्त टीवी, मोबाइल, बातचीत, हंसी-मजाक, या कोई भी व्यापारिक गतिविधि नहीं करनी चाहिए। हमें इस्लाम में आजान का बड़ा मर्तबा है, और हमें सभी को आजान का इहतराम करना चाहिए। जब हम अज़ान सुनें, तो सबसे पहले मुअज़्ज़िन की आजान का जवाब देना चाहिए, और इसके साथ ही अज़ान का जवाब वैसे ही देना चाहिए जैसे मुअज़्ज़िन कहता है। और इसके बाद Azan Ke Baad Ki Dua भी पढ़नी चाहिए।

आजान के बारे में चंद हादिसें भी हैं, जो बताती हैं कि आजान का महत्व क्या है। हदीस में आया है कि जब तुम मुअज़्ज़िन की आवाज़ सुनो तो तुम्हें उसी तरह जवाब देना चाहिए जैसा मुअज़्ज़िन कहता है, और फिर मुजह पर दुरूद़ भेजना चाहिए, जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति मुझ पर एक बार दुरूद़ पढ़ता है, उस पर अल्लाह तआला दस रहमतें भेजता है। और इसके बाद अल्लाह से मेरे लिए वसीले की मांग करो क्योंकि जन्नत में एक मक़ाम है जिस पर अल्लाह का एक बन्दा फ़ाइज़ होगा, और मैं उम्मीद करता हूं कि वह में हूँ, तो जिसने मेरे लिए वसीला तलब किया, उसके लिए मेरी शिफ़ाअत हलाल हो गई। (रवाह मुस्लिम)

हैय्य अलस-सलाह और हैय्य अलल् फ़लाह का जवाब “ला हौ ल व ला क़ुव्वत इल्ला बिल्लाह” देना है, और अस–सलातु ख़ैरुम् मिनन् नौम का जवाब अस–सलातु ख़ैरुम् मिनन् नौम ही दिया जाएगा क्योंकि इसका अलग से जवाब वारिद नहीं है।

आजान के तर्जुमा और इसकी महत्वपूर्ण हादिसों के साथ यह बताया गया है कि हमें अज़ान का सम्मान कैसे करना चाहिए और इसके बाद की दुआ कैसे पढ़नी चाहिए। अल्लाह हमें सभी को नमाज़ का इहतराम करने की तौफीक दे और हमें सबको सही राह दिखाए। आमीन।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment