Bul Hawas Sun Seem O Zar Ki Bandagi Achhi Nahi Lyrics

Bul Hawas Sun Seem O Zar Ki Bandagi Achhi Nahi Lyrics

 

BUL HAWAS SUN SIMO ZAR KI
Bul hawas sun simo zar ki bandagi achi nahi,
Unke dar ki bheek achi sarwari achi nahi.

Aamina ke laal ka chehra helaale eid hai,
Chaudahvi ke chand teri chandni achi nahi.

Mod de har zulm ki badh kar kalai mod de,
Tu gulaame mustafa hai buzdili achi nahi.

Taj ko kasa banakar taajwar kehte hai yu,
Unke dar ki bheek achi sarwari achi nahi.

Jo junune khuld mai kawwo ko de bethe dharam,
Aise andhe sheikh ji ki perwi achi nahi.

Akkall chopayo ko de bethe hakime thaanwi,
Mai na kehta tha k sohbat dev ki achi nahi.

Muftiye azam yake az mardamane mustafa,
Us raza a mustafa se dushmani achi nahi.

Jo piya ko bhaye AKHTAR wo suhana raag hai,
Jisse na khus ho piya wo ragini achi nahi.

 

 

बुल-हवस ! सुन सीम-ओ-ज़र की बंदगी अच्छी नहीं
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

सरवरी क्या चीज़ है उन की गदाई के हुज़ूर
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

उन की चौखट चूम कर ख़ुद कह रही है सरवरी
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

सरवरी ख़ुद है भिकारन बंदगान-ए-शाह की
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

सरवरी पा कर भी कहते हैं गदायान-ए-हुज़ूर
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

ताज ख़ुद रा कासा कर्दा गोयद ईं जा ताजवर
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

ताज को कासा बना कर ताजवर कहते हैं यूँ
उन के दर की भीक अच्छी, सरवरी अच्छी नहीं

मुफ़्ती-ए-आ’ज़म यके अज़ मर्दमान-ए-मुस्तफ़ा
इस रज़ा-ए-मुस्तफ़ा से दुश्मनी अच्छी नहीं

हुज्जतुल-इस्लाम ऐ हामिद रज़ा बाबा-ए-मन !
तुम को बिन देखे हमारी ज़िंदगी अच्छी नहीं

ख़ाक-ए-तयबा की तलब में ख़ाक हो ये ज़िंदगी
ख़ाक-ए-तयबा अच्छी, अपनी ज़िंदगी अच्छी नहीं

आरज़ूमंदान-ए-गुल काँटों से बचते हैं कहीं
ख़ार-ए-तयबा से तेरी पहलू-तही अच्छी नहीं

दश्त-ए-तयबा के फ़िदाई से जिनाँ का तज़्किरा
जो रुला दे ख़ून ऐसी दिल-लगी अच्छी नहीं

दश्त-ए-तयबा छोड़ कर मैं सैर-ए-जन्नत को चलूँ
रहने दीजे, शैख़ जी ! दीवानगी अच्छी नहीं

जो जुनून-ए-ख़ुल्द में कव्वों को दे बैठे धरम
ऐसे अँधे शैख़ जी की पैरवी अच्छी नहीं

‘अक़्ल चौ-पायों को दे बैठे हकीम-ए-थानवी
मैं न कहता था कि सोहबत देव की अच्छी नहीं

याद-ए-जानाँ में म’आज़ल्लाह हस्ती की ख़बर
याद-ए-जानाँ में किसी से आगही अच्छी नहीं

शाम-ए-हिज्राँ में हमें है जुस्तुजू उस मेहर की
चौदवीं के चाँद ! तेरी चाँदनी अच्छी नहीं

तौक़-ए-तहज़ीब-ए-फ़िरंगी तोड़ डालो, मोमिनो !
तीरगी अंजाम है ये रौशनी अच्छी नहीं

शाख़-ए-गुल पर ही बनाएँगे ‘अनादिल आशियाँ
बर्क़ से कह दो कि हम से ज़िद तेरी अच्छी नहीं

जो पिया को भाए, अख़्तर ! वो सुहाना राग है
जिस से नाख़ुश हों पिया वो रागनी अच्छी नहीं

शायर:
मुफ़्ती अख़्तर रज़ा ख़ान क़ादरी अज़हरी

ना’त-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी
सय्यिद कैफ़ी अली क़ादरी रज़वी

 

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