Madine Ka Safar Hai Aur Main Namdeda Namdeda Naat Lyrics
MADINE KA SAFAR HAI AUR MAIN NAMDEDA NAMDEDA NAAT LYRICS
Madine Ka Safar Hai Aur Main Namdeda Namdeeda
Jabeen Afsurda Afsurda Qadam Laghzeda Laghzeeda
Chala Hoon Eik Mujrim Ki Tarha Mey Janib E Taiba
Nazar Sharminda Sharminda Badan Larzeda Larzeeda
Kise Key Hath Ney Mujh Ko Sahara Dey Diya Warna
Kahan Mey Aur Kahan Ye Rasty Pechida Pechida
Kahan Mey Aur Kahan Us Roza E Aqdas Ka Nazara
Nazar Us Samat Uthti He Magar Duzdeeda Duzdeeda
Ghulaman E Mohammad Dur Se Pehchane Jate Hein
Dil E Girweeda Girweeda Sare Shoreeda Shoreeda
Madine Jaa Ke Hum Samjhe Taqadus Kis Ko Kehte Hein
Hawa Pakeeza Pakeeza Faza Sanjeeda Sanjeeda
Basarat Kho Gai Lekin Basirat To Salamat Hein
Madina Hum Ne Dekha He Magar Nadeeda Nadeeda
Wohi Iqbal Jis Ko Naaz Tha Kal Khush Meezaji Par
Firaq E Taiba Me Rehta He Aab Ranjida Ranjida
Madine Ka Safar Hey Aur Mey Namdeeda Namdeeda
Jabeen Afsurda Afsurda Qadam Laghzeda Laghzeda
Submit By Munir Vora
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मदीने का सफ़र है और मैं नम-दीदा नम-दीदा
ज़बीं अफ़सुर्दा अफ़सुर्दा, क़दम लग़्ज़ीदा लग़्ज़ीदा
चला हूँ एक मुजरिम की तरह मैं जानिब-ए-तयबा
नज़र शर्मिंदा शर्मिंदा, बदन लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा
किसी के हाथ ने मुझ को सहारा दे दिया वर्ना
कहाँ मैं और कहाँ ये रास्ते पेचीदा पेचीदा
ग़ुलामान-ए-मुहम्मद दूर से पहचाने जाते हैं
दिल गिरवीदा गिरवीदा, सर शोरीदा शोरीदा
कहाँ मैं और कहाँ उस रौज़-ए-अक़्दस का नज़्ज़ारा
नज़र उस सम्त उठती है मगर दुज़्दीदा दुज़्दीदा
मदीने जा के हम समझे तक़द्दुस किस को कहते हैं
हवा पाकीज़ा पाकीज़ा, फ़ज़ा संजीदा संजीदा
बसारत खो गई लेकिन बसीरत तो सलामत है
मदीना हम ने देखा है मगर नादीदा नादीदा
वही इक़बाल जिस को नाज़ था कल ख़ुश-मिज़ाजी पर
फ़िराक़-ए-तयबा में रहता है अब रंजीदा रंजीदा
मदीने का सफ़र है और मैं नम-दीदा नम-दीदा
ज़बीं अफ़सुर्दा अफ़सुर्दा, क़दम लग़्ज़ीदा लग़्ज़ीदा
चला हूँ एक मुजरिम की तरह मैं जानिब-ए-तयबा
नज़र शर्मिंदा शर्मिंदा, बदन लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा
किसी के हाथ ने मुझ को सहारा दे दिया वर्ना
कहाँ मैं और कहाँ ये रास्ते पेचीदा पेचीदा
ग़ुलामान-ए-मुहम्मद दूर से पहचाने जाते हैं
दिल गिरवीदा गिरवीदा, सर शोरीदा शोरीदा
कहाँ मैं और कहाँ उस रौज़-ए-अक़्दस का नज़्ज़ारा
नज़र उस सम्त उठती है मगर दुज़्दीदा दुज़्दीदा
मदीने जा के हम समझे तक़द्दुस किस को कहते हैं
हवा पाकीज़ा पाकीज़ा, फ़ज़ा संजीदा संजीदा
बसारत खो गई लेकिन बसीरत तो सलामत है
मदीना हम ने देखा है मगर नादीदा नादीदा
वही इक़बाल जिस को नाज़ था कल ख़ुश-मिज़ाजी पर
फ़िराक़-ए-तयबा में रहता है अब रंजीदा रंजीदा
शायर:
सय्यिद इक़बाल अज़ीम
ना’त-ख़्वाँ:
सिद्दीक़ इस्माइल
ओवैस रज़ा क़ादरी
अब्दुल हबीब अत्तारी