Muhammad Hamare Bari Shan Wale Lyrics

Muhammad Hamare Bari Shan Wale Lyrics

 

 

Mohammad hamare badi shaanwale
– Nadeem Sarwar (2013)

Muhammad hamare badi shaan wale 3

Woh nabiyo me rehmat laqab paane wale

Khuda jiske seene pe qura utare
Mudassir kahe aur muzammil pukare
Woh noore khuda do jaha ke ujale

Jab aaye zami par muhammad hamare
Falak ne zami par bichaae sitare
Uthe sar zameene arab se yeh naare

Nawase jo roye to roye muhammad
Woh jab tak na soye na soye muhammad
Do aakhe nabi ki the dono nawase

nawasa mazare muhammad pe aaya
Kaha pyaare nana yeh wada hai mera
Hai islam ab karbala ke hawale

sada aye kabre muhammad se beta
Dua ko hai nana ali aur zehra
Chale gazi abbas parcham sambhaale

Woh aashur ka din muhammad ka qunba
Jo maqtal me dee ko lahu de raha tha
Yeh keh keh ke seeno pe khaae hai bhaale

Rehan o ali jee azadare sarwar
Ghulamaane haider ghulame payambar
Sada is sada se zamana milale

 

 

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले / Muhammad Hamaare Badi Shaan Waale

 

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

चाँद टुकड़े हुआ, वाह क्या बात है !
डूबा सूरज फिरा, वाह क्या बात है !
है ज़माना फ़िदा, वाह क्या बात है !
आप की, मुस्तफ़ा ! वाह क्या बात है !

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

है भला कोई तुझ सा हसीन-ओ-जमील
देख कर तुझ को हैराँ हैं नूह-ओ-ख़लील
थक गए ढूँढते ढूँढते जिब्रईल
पर न तुझ सा मिला, वाह क्या बात है !

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

जब हबीब-ए-ख़ुदा की विलादत हुई
रब के फ़ज़्ल-ओ-करम की ‘इनायत हुई
का’बे को आप की जब ज़ियारत हुई
का’बा भी झूम उठा, वाह क्या बात है !

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

धूम है अब भी उस क़िस्सा-ए-पाक की
‘अक़्ल हैरान है माह-ओ-अफ़्लाक की
उँगलियों से, मेरे मुस्तफ़ा ! आप की
आब-ए-रहमत बहा, वाह क्या बात है !

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

उन की मिदहत का रब ने दिया वो सिला
‘इज़्ज़तें मिल गईं, ‘अज़मतें पा गया
ना’त लिखने के सदक़े ही, ‘आसिम ! तेरा
दिल भी रौशन हुआ, वाह क्या बात है !

मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले
मुहम्मद हमारे बड़ी शान वाले

शायर:
मुहम्मद आसिम-उल-क़ादरी मुरादाबादी

ना’त-ख़्वाँ:
हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी

 

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