Muhammad Ke Shaher Mein Naat Lyrics

Muhammad Ke Shaher Mein Naat Lyrics

 

Mohammad Ke Shaher Mein Lyrics

Ya nabi aapke jalwon mein wo ranaayi hai

Dekhne par bhi meri aankh tamannayi hai

Haq-taala bhi kareem, aur Mohammed bhi kareem

Do kareemon mein gunahgaar ki bann aayi hai

 

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Dukh dard-o-alam gham katt-tay hain

Hasnain ke sadqay batt-tay hain

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Khaday huwe hain sar-e-rehguzar madinay mein

Hazaaron shamme hazaaron qamar madinay mein

Sataale jitna sataaye mujhe gham-e-doori

Nikaal dhoop mein saari kasar, Mohammed ke shaher mein

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Kuch aisi bheed lagjaati hai shah-e-deen ke rozay par

Hawaa ko raasta mushkil se milta hai

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Hawaayen bhi adab ke saath chalti hain

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Ghamon se jab bhi tabiyet malool hoti hai

Toh shaabgaam banaam-e-rasool hoti hai

Khud is duwa mein Mohammed ka waasta shaamil

Huzoor-e-haq mein yakeenan qubool hoti hai

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Haath mein tasbeeh baghal mein musalla

Lab pe jaari Allah Allah

Kehti hui pohunchi Baitullah

Aur pukaari aye mere Allah

Too gada ko jo nawaaze toh shahenshah banay

Aur yateemon ko jo chahe toh payyambar karde

Aye mere Allah

 

(Toh sadaa parde se aayi)

 

Mere parde mein wehdat ke siwa kya hai

Jo toh tujhe lena hai lay

Mohammed ke shaher mein, Mohammed ke shaher mein

 

Kyun aa ke ro raha hai, Mohammed ke shaher mein

Kyun aa ke ro raha hai, Mohammed ke shaher mein

Har dard ki dawaa hai, Mohammed ke shaher mein

Har dard ki dawaa hai, Mohammed ke shaher mein

 

Aao gunahgaaron chalo sarr ke ball chalen

Chalo sarr ke ball chalen

Wo bargaah-e-naaz-e-rasool-e-arabi hain

Palkon ka jhapakna bhi wahan pe adab hi hai

Chalo sarr ke ball chalen

Wahan sarr jhukaate hain Auliya

Wahan paon rakhna rawaan nahi

Nazaan hai jis pe husn wo husn-e-rasool hai

Ye kehkashaan toh aapke kadmon ki dhool hai

Taiba ke raaste ka toh kaanta bhi phool hai

Aye rehrawaan-e-shaukh chalo sarr ke ball chalen

Chalo sarr ke ball chalen

Begaana-e-irfaan ko haqeeqat ki khabar kya

Jo aapse waakif na ho, wo ahl-e-nazar kya

Manzoor-e-nazar kaun hua iski khabar kya

Wo fazl pe ajaye toh phir aib-o-hunar kya

Taamil ko darr-e-yaar ke sajdon se na roko

Qurbaan jahan dil ho, wahan keemat-e-sarr kya

Chalo sarr ke ball chalen

 

Aao gunahgaaron chalo sarr ke ball chalen

Tauba ka darr khula hai, Mohammed ke shaher mein

Tauba ka darr khula hai, Mohammed ke shaher mein

Tauba ka darr khula hai, Mohammed ke shaher mein

 

Kadmon ne unke khaak ko kundan banadiya

Kadmon ne unke khaak ko kundan banadiya

Teri nigaah se jalwe bhi mehr-o-maah banay

Jagaye besar-o-samaan jahan panaah banay

Huzoor hi ki karam mein diye tasalli bhi

Huzoor hi mere gham mein meri panaah bane

Wohi maqaam mohabbat ke jalwa-gaah banay

Jahaan jahaan se wo guzre jahan jahan pohunchay

Kadmon ne unke khaak ko kundan banadiya

Kadmon ne unke khaak ko kundan banadiya

Mitti bhi Keeniya hai, Mohammed ke shaher mein

Mitti bhi Keeniya hai, Mohammed ke shaher mein

 

Sadqa lutaa raha hai, Khuda unke naam ka

Sona nikal raha hai, Mohammed ke shaher mein

Sona nikal raha hai, Mohammed ke shaher mein

 

Sab toh jhuke hain khana-e-kaaba ke saamne

Kaaba jhuka hua hai, Mohammed ke shaher mein

 

Hajiyon aao shahenshaah ka roza dekho

Kaaba ko dekh chuke kaabe ka kaaba dekho

Madina wo hai ke ye ja ja ke sajda karta hai

Kaaba jhuka hua hai, Mohammed ke shaher mein

 

Phool gulaab ka aapke chehre jaisa lagta hai

Aur chamakta chaand nabi ka talwa lagta hai

Kaaba khud taiba ki jaanib jhukta lagta hai

Kaabe ke kaaba sarkaar ka roza lagta hai

Kaaba jhuka hua hai, Mohammed ke shaher mein

 

Saaya nahi hai gumbad-e-khizra ka abidi

Khicha kuch is milaal-i-shaan se naksha Mohammed ka

Ke naqqash-e-azal bhi hogaya shaida Mohammed ka

Koi kya dekhta aks-e-kadd-e-wala Mohammed ka

Saraapa noor tha wo kaamat-e-sebaa Mohammed ka

Kisi waaiz nazar aata na tha sayaa Mohammed ka

Saaya nahi hai gumbad-e-khizra ka abidi

Zinda y

 

Writer(s): Aslam Sabri<br>

 

 

 

मोहम्मद के शहर में लिरिक्स इन हिंदी

 

 

 

 

 

मोहम्मद के शहर में लिरिक्स इन हिंदी

 

 

 

जब मेरा जज्बे जुनू

ओज का जीना होगा

फेलने और सिमटने का करीना होगा

या मदीने में समा जाएगी

सारी दुनिया

या ज़माने में मदीना ही मदीना होगा

 

या नबी आपके जलवो में वो रानाई हे

देखने पर भी मेरी आन्ख्ज तमन्नाई हे

हक ता आलाह भी करीम और मोहम्मद भी करीम

दो करीमो में गुनाहगारों की बन आई हे

मोहम्मद के सेहर में

 

क्यूँ आके रो रहा हे मोहम्मद के सेहर में

हर दर्द की दावा हे मोहम्मद के सेहर में

हर दर्द की दावा हे मोहम्मद के सेहर में

 

दुःख दर्द ओ आलम ग़म कटते हैं

हंसने के सदके बटते हैं

मोहम्मद के सेहर में

 

कुछ ऐसे भीड़ लग जाती हे

साह ऐ दीं के रोज़े पर

हवा को रास्ता मुश्किल से मिलता हे

मोहम्मद के सेहर में

 

ग़मों से जब भी तबियुअत मलूल होती हे

तो शाद काम ऐ बनाम ऐ रसूल होती हे

हो जिस दुआ में मोहम्मद का बास्ता शामिल

हुज़ूर ऐ हक वो यकीनन कबूल होती हे

 

हवाएं भी अदब के साथ चलती हैं

मोहम्मद के सेहर में

 

 

हाथ में तस्बीह बग़ल में मुसल्लाह

लब पे जारी अल्लाह अल्लाह

कहती हुई पहुंची बेतुल्लाह

और पुकारी ऐ मेरे अल्लाह

तू गदा को जो नवाजे तो सहंसाह बने

और यतीमों को जो चाहे तो पयम्बर करदे ऐ मेरे अल्लाह

तो आवाज आई पगली

मेरे परदे में वेहदत के सिवा क्या हे

जा जो तुझे लेना हे ले

मोहम्मद के सेहर में

 

दुआओं का मुल्ताज़ी हूँ

ये चार मिसरे जो पेश कर रहा हूँ

ये सुनकर मेरे हक में भी दुआ करें की ऐसा हो जाए

 

मेरे बारे में कुछ इरशाद किया जायेगा

दिल ऐ नाशाद को फिर शाद किया जायेगा

मैं ये उम्मीद लगाये हुए बेठा हूँ हुज़ूर

एक बार और मुझे याद किया जायेगा

मोहम्मद के सेहर में

 

आओ गुनाहगारों चलो सर के बल चलें

चालों सर के बल चलें

वहाँ सर झुकाते हैं औलिया

वहाँ पाओं रखना रवां नहीं

चलो सर के बल चलें

 

नाजान हे जिसपे हुस्न

वो हुस्न ऐ रसूल हे

ये कहकशां तो आपके क़दमों की धूल हे

ऐ रह रवां ऐ शौक़

चलो सर के बल चलें

 

बेगाना ऐ इरफ़ान को हकीकत की खबर क्या

जो आपसे वाकिफ न हो वो अहल ऐ नजर क्या

मंज़ूर ऐ नजर कोन हुआ इसकी खबर क्या

वो फजल पे आ जाये तो एब औ हुनर क्या

कामिल को दर ऐ यार के सजदों से न रोको

कुर्बान जहां दिल हो वहाँ कीमत ऐ सर क्या

चलो सर के बल चलें

आओ गुनाहगारों चालों सर के बल चलें

तौबाह का दर खुला हे

मोहम्मद के सेहर में

 

क़दमों ने उनके ख़ाक को कुंदन बना दिया

 

तेरी निगाह से ज़र्रे भी मेहरमा बने

गदा ऐ बेशर्मो समा जहां पनाह बने

हुज़ूर ही के करम ने मुझे तसल्ली दी

हुज़ूर ही मेरे ग़म में मेरी पनाह बने

 

ज़माना बसद ओ गुनाह

अब भी उ’नकेतौक में हे

जो कूह ऐ दस्त कभी तेरी जलवागाह बने

वही मकाम मोहब्बत के जल्वागाह बने

जहां जहां से वो चले जहां जहां पहुंचे

कदमो ने उनके ख़ाक को कुंदन बना दिया

 

मिटटी भी कीमियां हे

मोहम्मद के सेहर में

 

 

सदका लुटा रहा हे खुदा उनके नाम का

सोना निकल रहा हे

मोहम्मद के सेहर में

 

सब तो झुके हैं खाना ऐ काबा के सामने

हाजियों आओ सहंसाह का रोज़ा देखो

काबा तो देख चुके

काबे का काबा देखो

मदीना वो हे के काबाह भी सज्दाह करता हे

कबाह खुद तैबा के जानिब झुकता लगता हे

काबेह का काबह सरकार का रोजाह लगता हे

फूल गुलाब का आपके चेहरे जेसा लगता हे

और चमकता चाँद नबी का तलवा लगता हे

सब तो झुके हैं खाना ऐ काबह के सामने

काबा झुका हुआ हे

मोहम्मद के सेहर में

 

साया नहीं हे गुम्बद ऐ खिजरा का आज भी

खिंचा कुछ इस निराली शान से नक्सा मोहम्मद का

की नक्काश ऐ अज़ल भी हो गया सैदाह मोहम्मद का

कोई क्या देखता अक्से कदे बाला मोहम्मद का

सरापा नूर था वो कामत ऐ ज़ेबा मोहम्मद का

इसी वाइस नजर आता न था साया मोहम्मद का

साया नहीं हे गुम्बद ऐ खिजरा का आज भी

मैं तुझे आलम ऐ आशियाँ में भी पा लेता हूँ

लोग कहते हिं की हे आलम ऐ बाला तेरा

एक बार और भी असरब से फलस्तीन में आ

रास्ता देखती हैं मस्जिद ऐ अक्सा तेरा

पूरे कद से मैं खड़ा हूँ ये करम हे तेरा

मुझको झुकने नहीं देता हे सहारा तेरा

लोग कहते हैं की साया तेरे पैकर का न था

मैं तो कहता हूँ के जहां भर पे है साया तेरा

यहाँ तक की शौक़ ऐ दीदार ऐ नबी था हक ता आलाह को

उन्हें भेजा यहाँ वहाँ रख लिया साया

साया नहीं हे गुम्बद ऐ खिजरा का आज भी

जिन्दान ये मौजिजाह हे

मोहम्मद के सेहर में

ढूंढा खुदा को ढूँढने वालों ने हर जगह

लेकिन खुदा मिला हे

मोहम्मद के सेहर में

 

 

खुदा अज़ल से हुआ ऐसा मुक्ताला ऐ रसूल

के काएनात को पैदा किया बराए रसूल

दिलों को भा गयी कुछ इस तरह अदा ऐ रसूल

 

 

की जान ओ दिल से सहा बा हुए फ़िदा ऐ रसूल

दिल औ निगाह की दुनिया में ऐसे छाए सूल

की काएनात की हर शय में जगमगाए रसूल

अगर हुज़ूर नहीं होते तो कुछ नहीं होता

ये कायेनाथ बांयी गयी बरा ऐ रसूल

मलूँ जबीं पे बसाऊँ अपनी आँखों में

मिले नसीब से मुझको जो ख़ाक ऐ पा ऐ रसूल

मोहम्मद के सेहर में

 

बाब ऐ असर खुला हे

मोहम्मद के सेहर में

मकबूल हर दुआ हे

मोहम्मद के सेहर में

खुशियों का दर खुला हे

मोहम्मद के सेहर में

क्यूँ गमजदाह खड़ा हे

मोहम्मद के सेहर में

धोका फरेब कोई नहीं जानता

मोहम्मद के सेहर में

बहर ऐ सलाम आते हैं हरदम अलाएका

ज़ारी ये सिलसिला हे

मोहम्मद के सेहर में

 

हर सुबह खुशनुमा हे

मोहम्मद के सेहर में

हर शाम दिलरुबा हे ‘

मोहम्मद के सेहर में

दिल का सुकून रूह की तस्कीन नजर का नूर

बिखरा हुआ पड़ा हे

मोहम्मद के सेहर में

अल्लाह रे ये मस्जिद ऐ नकबी की रौनकें

जन्नत का दर खुला हे

मोहम्मद के सेहर में

हर ज़ख्म के लिए यहाँ मरहम हे दस्तयाब

हर दर्द की दवा हे

मोहम्मद के सेहर में

बल्कि यूं कहूं

हर दर्द के लिए यहाँ मरहम हे दस्तयाब

हर दर्द खुद दावा हे मोहमाद के सेहर में

मोहम्मद के सेहर में

मोहम्मद के सेहर में

 

इस सर ज़मीन के खार भी फूलों से कम नहीं

कांटे भी गुल्नुमा हे

मोहम्मद के सेहर में

दुनिया में देख ली उसने जन्नत व चश्मे खुद जो रह के आ गया हे

मोहम्मद के सेहर में

सेहर ऐ नबी की हद्द का तायुम ये हाल हे

आलम वसा हुआ हे

मोहम्मद के सेहर में

बेपर्दा सबके सामने चमका खुदा का नूर

अबू जेहल फिर भी देख न पाया खुदा का नूर

अर्शे ऐ बरीं से कम नहीं तैबह की सर ज़मीन

जिसकी गोद में सिमट आया खुदा का नूर

तारीफ क्या बयान हो जमाल इ रसूल की

शक्ल ऐ बसर में वो हैं खुदा का नूर

ऐ नाज तू तो हिन्द में मौजूद हे मगर

दिन नात पढ़ रहा हे मोहम्मद के सेहर में

मैं क्या कहूं के क्या हे

मोहम्मद के सेहर में

बेपर्दा खुद खुदा हे

मोहम्मद के सेहर में

असलम वो दिन भी आये के

सब लोग ये कहें के

बिस्मिल भी जा रहा हे

मोहम्मद के सेहर में मोहम्मद के सेहर में

 

 

 

 

 

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