Na Dolat De Na Shohrat De Naat Lyrics

Na Dolat De Na Shohrat De Naat Lyrics

 

NA DOLAT DE NA SHOHRAT DE NAAT LYRICS

 

 

Na Dolat De Na Shohrat De,

Mujhe Bus Yeh Sah’adat De

Tere Qadmon Mein Mar Jaaoon

Main Ro Ro Kar Madine Mein

Bulalo Phir Mujhe Ae Sahe Mehrobar Madine Main

 

Madina Isliye Hamko Hain Lagta Jan Se Pyara ..2

Ke Rahte Hain Mere Aaka Mere Rahbar Madine Main ..2

Bulalo Phir Mujhe Ae Sahe Mehrobar Madine Main

 

Madine Jane Valo Jao, Jao Fi Amanillah ..2

Kabhi To Apna Bhi Lag Jayega Bistar Madine Main

 

Na Dolat De Na Shohrat De,

Mujhe Bus Yeh Sah’adat De

Tere Qadmon Mein Mar Jaaoon

Main Ro Ro Kar Madine Mein

 

बुला लो फिर मुझे, ऐ शाह-ए-बहर-ओ-बर ! मदीने में

मैं फिर रोता हुवा आऊँ तेरे दर पर मदीने में

 

मैं पहुँचूँ कू-ए-जानाँ में गिरेबाँ-चाक, सीना-चाक

गिरा दे काश ! मुझ को शौक़ तड़पा कर मदीने में

 

मदीने जाने वालो ! जाओ जाओ, फ़ी-अमानिल्लाह

कभी तो अपना भी लग जाएगा बिस्तर मदीने में

 

सलाम-ए-शौक़ कहना, हाजियो ! मेरा भी रो रो कर

तुम्हें आए नज़र जब रौज़-ए-अनवर मदीने में

 

पयाम-ए-शौक़ लेते जाओ मेरा, क़ाफ़िले वालो !

सुनाना दास्तान-ए-ग़म मेरी रो कर मदीने में

 

मेरा ग़म भी तो देखो, मैं पड़ा हूँ दूर तयबा से

सुकूँ पाएगा बस मेरा दिल-ए-मुज़्तर मदीने में

 

न हो मायूस, दीवानो ! पुकारे जाओ तुम उन को

बुलाएँगे तुम्हें भी एक दिन सरवर मदीने में

 

बुला लो हम ग़रीबों को बुला लो, या रसूलल्लाह !

प-ए-शब्बीर-ओ-शब्बर-फ़ातिमा-हैदर मदीने में

 

ख़ुदाया ! वासिता देता हूँ मेरे ग़ौस-ए-आ’ज़म का

दिखा दे सब्ज़-गुंबद का हसीं मंज़र मदीने में

 

वसीला तुझ को बू-बक्र-ओ-‘उमर, ‘उस्मान-ओ-हैदर का

इलाही ! तू ‘अता कर दे हमें भी घर मदीने में

 

मदीने जब मैं पहुँचू काश ! ऐसा कैफ़ तारी हो

कि रोते रोते गिर जाऊँ मैं ग़श खा कर मदीने में

 

निकाब-ए-रुख़ उलट जाए, तेरा जल्वा नज़र आए

जब आए काश ! तेरा साइल-ए-बे-पर मदीने में

 

जो तेरी दीद हो जाए तो मेरी ‘ईद हो जाए

ग़म अपना दे मुझे ‘ईदी में बुलवा कर मदीने में

 

मदीने जूँ ही पहुँचा अश्क जारी हो गए मेरे

दम-ए-रुख़्सत भी रोया हिचकियाँ भर कर मदीने में

 

मदीने की जुदाई ‘आशिक़ों पर शाक़ होती है

वो रोते हैं तड़प कर, हिचकियाँ भर कर मदीने में

 

कहीं भी सोज़ है दुनिया के गुलज़ारों में बाग़ों में ?

फ़ज़ा पुर-कैफ़ है लो देख लो आ कर मदीने में

 

वहाँ इक साँस मिल जाए येही है ज़ीस्त का हासिल

वो क़िस्मत का धनी है जो गया दम भर मदीने में

 

मदीना जन्नतुल-फ़िरदौस से भी औला-ओ-आ’ला

रसूल-ए-पाक का है रौज़ा-ए-अनवर मदीने में

 

चलो चौखट पे उन की रख के सर क़ुर्बान हो जाएँ

हयात-ए-जावेदानी पाएँगे मर कर मदीने में

 

मदीना मेरा सीना हो, मेरा सीना मदीना हो

मदीना दिल के अंदर हो, दिल-ए-मुज़्तर मदीने में

 

मुझे नेकी की दा’वत के लिए रख्खो जहाँ भी काश !

मैं ख़्वाबों में पहुँचता ही रहूँ अक्सर मदीने में

 

न दौलत दे, न सरवत दे, मुझे बस ये स’आदत दे

तेरे क़दमों में मर जाऊँ मैं रो रो कर मदीने में

 

‘अता कर दो, ‘अता कर दो बक़ी’-ए-पाक में मदफ़न

मेरी बन जाए तुर्बत, या शह-ए-कौसर ! मदीने में

 

मदीना इस लिए, ‘अत्तार ! जान-ओ-दिल से है प्यारा

कि रहते हैं मेरे आक़ा, मेरे सरवर मदीने में

 

 

शायर:

मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी

 

ना’त-ख़्वाँ:

ओवैस रज़ा क़ादरी

 

 

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