Saba Madine Me Mustafa Se Hum Bekason Ka Salam Kehna Lyrics

Saba Madine Me Mustafa Se Hum Bekason Ka Salam Kehna Lyrics

 

ऐ सबा मुस्तफा से केह देना गम के मारे सलाम कहते हैं
याद करते हैं तुमको शामो सहर दिल हमारे सलाम कहते हैं

अल्लाह अल्लाह हुजूर की बातें मरहबा रंग नूर की बातें
चांद जिनकी बलाएं लेता है और सितारे सलाम कहते हैं

अल्लाह अल्लाह हुजूर के गेसू भीनी भीनी महकती वह खुश्बू
जिससे मामूर है फज़ा हर सू वह नज़ारे सलाम कहते हैं

जब मुहम्मद का नाम आता है रहमतों का पयाम आता है लब हमारे दुरुद पढ़ते है दिल हमारे सलाम कहते हैं

जाइरे काबा तु मदीने में प्यारे आका से इतना कह देना आपकी गर्दे राह को आका बे सहारे सलाम कहते है

जिक्र था आखरी महीने का तज्किरा छिड़ गया मदीने का हाजियों मुस्तफा से कह देना गम के मारे सलाम कहते हैं

ऐ खुदा के हबीब प्यारे रसूल यह हमारा सलाम कीजिए कुबूल
आज महफिल में जितने हाजिर हैं मिलके सारे सलाम कहते है

 

huzoor ! dard ke maare salaam kehte hai.n
dil-o-nigaah hamaare salaam kehte hai.n

shafi’-e-roz-e-jaza tum ho, ya rasoolallah !
gunaahgaar tumhaare salaam kehte hai.n

ham bekaso.n ka, shaah-e-madina ! salaam lo
aaqa ! salaam lo, shah-e-bat.ha ! salaam lo

ham bekaso.n ka, shaah-e-madina ! salaam lo

wallah ! saare nabiyo.n ke sartaaj ho tumhi
mehboob-e-haq ho, saahib-e-me’raaj ho tumhi
pyaare rasool, ‘arsh ke dulha ! salaam lo

ham bekaso.n ka, shaah-e-madina ! salaam lo

tum se hi deen mil gaya, imaan mil gaya
rehmat mili, karam mila, qur.aan mil gaya
sab kuchh tumhi.n se paaya hai, daata ! salaam lo

ham bekaso.n ka, shaah-e-madina ! salaam lo

tum bin nahi.n hai koi madadgaar, ya nabi !
toofaan-e-Gam se kar do hame.n paar, ya nabi !
majboor Gamzado.n ka KHuda-ra salaam lo

ham bekaso.n ka, shaah-e-madina ! salaam lo

Naat-Khwaan:
Majid Shola Qawwal

 

हुज़ूर ! दर्द के मारे सलाम कहते हैं
दिल-ओ-निगाह हमारे सलाम कहते हैं

शफ़ी’-ए-रोज़-ए-जज़ा तुम हो, या रसूलल्लाह !
गुनाहगार तुम्हारे सलाम कहते हैं

हम बेकसों का, शाह-ए-मदीना ! सलाम लो
आक़ा ! सलाम लो, शह-ए-बतहा ! सलाम लो

हम बेकसों का, शाह-ए-मदीना ! सलाम लो

वल्लाह ! सारे नबियों के सरताज हो तुम्ही
महबूब-ए-हक़ हो, साहिब-ए-मे’राज हो तुम्ही
प्यारे रसूल, ‘अर्श के दूल्हा ! सलाम लो

हम बेकसों का, शाह-ए-मदीना ! सलाम लो

तुम से ही दीन मिल गया, ईमान मिल गया
रहमत मिली, करम मिला, क़ुरआन मिल गया
सब कुछ तुम्हीं से पाया है, दाता ! सलाम लो

हम बेकसों का, शाह-ए-मदीना ! सलाम लो

तुम बिन नहीं है कोई मददगार, या नबी !
तूफ़ान-ए-ग़म से कर दो हमें पार, या नबी !
मजबूर ग़मज़दों का ख़ुदा-रा सलाम लो

हम बेकसों का, शाह-ए-मदीना ! सलाम लो

ना’त-ख़्वाँ:
मजीद शोला क़व्वाल

 

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