SUNNIYO KA PESHWA MERA RAZA MERA RAZA NAAT LYRICS

SUNNIYO KA PESHWA MERA RAZA MERA RAZA NAAT LYRICS

 

Sunniyo Ka Peshwa…….Mera Raza Mera Mera Raza
Ashik O Ka rahnuma…….Mera Raza Mera Mera Raza
Khaaif E Kibriya…….Mera Raza Mera Mera Raza
Ba Kamal O Ba Haya…….Mera Raza Mera Mera Raza

Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai
Machi Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

Har Zabaaa N Pe Hain Tarane Bas mere Raza
Gaa Rahe Hai gun Tere Jahan K Peshwa
Shaan Teri Waaah Waaah Kis Qadar Bardhi
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai
Machi Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

Hoga Tere Ghar me Ek Wali Ka ab Zu hoor
Pehle SE Hi Mil Chuki Bisharat E huzoor
Tehniyyat Hai pesh Apko Naqi Ali
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai
Machi Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

Wakhf Zindagi Rahi Bara E Mustafa
Meethe meethe Mustafa Ka Tu Hai Ladla
Chahte hai Tujhko Dil Se saare Ummati
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai
Machi Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

Hamid o Hasan Raza o Mustafa Raza
Amjad o Muhammad o zafar ki Baat kya
Kaisi kaisi Hasti Tune Hamko Di
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai
Machi Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

Tera faani kis Trah SE Kar sake bayan
Jis Qadar badai Rab ne Pyaare Teri shaan
Aur banaya Tujhko Rab ne Apna Wali
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Har taraf Raza Raza ki Dhoom Hai Machi
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai
Saw Saaalaa Urse Ala Hazrat hai

 

अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा !

अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा ! अहमद रज़ा !

 

जो क़ुद्सी हश्र में पूछेंगे मुझ से किस का पैरो था

कहूँगा कर के सर ऊँचा इमाम अहमद रज़ा खाँ का

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

दीन का जो पासबाँ है और हमारा रहनुमा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

सुन्नियों का पेशवा ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

‘इल्म-ओ-फ़न का बादशा ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

है मदीने की ज़िया ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

ग़ौस-ए-‘आज़म की ‘अता ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जिस का सीना है अमीं मौला ‘अली के ‘इल्म का

अहल-ए-सुन्नत को मिली जिस से फ़तावा-रज़विया

जिस का हम पर बिल-यक़ीं एहसान है बे-इंतिहा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ज़माने का यक़ीनन आ’ला हज़रत बन गया

फ़िक़्ह में जो बू-हनीफ़ा भी था अपने वक़्त का

जो है सरकार-ए-दो-‘आलम का यक़ीनन मो’जिज़ा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

मश’अल-ए-राह-ए-तरीक़त जिस की हर तहरीर है

दुश्मनों के वास्ते जिस का क़लम शमशीर है

जिस की हैबत से अभी तक नज्द में है ज़लज़ला

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

अहल-ए-‘इल्म-ओ-फ़िक़्ह में जिस की अलग पहचान है

जिस की ‘इल्मी शान-ओ-शौक़त पर जहाँ क़ुर्बान है

जिस के फ़न की चार-सू फ़ैली ज़माने में ज़िया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जिस की हैं सारी अदाएँ सुन्नत-ए-ख़ैरुल-बशर

रात-दिन ज़िक्र-ए-नबी में ही किए जिस ने बसर

हो गया फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से जो हबीब-ए-मुस्तफ़ा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

‘इल्म-ओ-फ़ैज़ान-ए-रज़ा की जो निरी तस्वीर है

ख़ुद वो सर से पा तलक तनवीर ही तनवीर है

गुलशन-ए-अहमद-रज़ा का फूल वो अख़्तर रज़ा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

पैकर-ए-हक़-ओ-सदाक़त जिस की है ज़ात-ए-मुबीं

क़ल्ब पर जिस के हुआ ता’मीर ‘इश्क़-ए-शाह-ए-दीं

है दिल-ओ-जाँ से ये तफ़्सीर-ए-रज़ा जिस पर फ़िदा

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

जो ‘अता-ए-मुस्तफ़ा है और रज़ा-ए-किब्रिया

वो इमाम अहमद रज़ा है, वो इमाम अहमद रज़ा

 

सुन्नियों का पेशवा ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

‘इल्म-ओ-फ़न का बादशा ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

है मदीने की ज़िया ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

ग़ौस-ए-‘आज़म की ‘अता ! मेरा रज़ा, मेरा रज़ा !

 

 

नात-ख़्वाँ:

डॉ. निसार अहमद मार्फ़ानी

 

Sharing Is Caring:

Leave a Comment