Ali Ke Ghar Ki Taraf Hai Nazar Zamane Ki Lyrics
अली के घर की तरफ़ है नज़र ज़माने की
अली के घर की त़रफ है नज़र ज़माने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
मुरीद हो गई शब्बर की जुल्फिक़ार-ए-अली
अदाएं देखी हैं जब से क़लम चलाने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
वोह आए ज़ोहर में और मां के साथ अश्र पढ़ी
खुदा के सज्दे में आदत थी सर झुकाने की
ख़़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
अभी इमामे हसन पुश्त पर हैं बैठे हुए
रसूल कीजिए ज़हमत ना सर उठाने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
है ज़िक्रे मौला हसन पंजतन की आमद है
बदल रही हैं फज़ाएं ग़रीब खाने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
अभी मैं जश्ने इमामे हसन में आया हूं
ऐ मौत जा अभी फुर्सत नहीं है आने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
है इनकी टूटी हुई कब्र से भी खौफ उनको
वो कैसे दे दे इजाज़त हरम बनाने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
है हमको रोज़े में आदत तकल्लुमो फ़रहान
मय सना-ए-हसन पीने और पिलाने की
ख़बर जो पाई है मौला हसन के आने की
अली के घर की त़रफ़ है नज़र ज़माने की
Ali Ke Ghar Ki Taraf Hai Nazar Zamane Ki Lyrics