आया रमजान का महीना काफिला चला सूए मदीना

आया रमजान का महीना काफिला चला सूए मदीना

 

आया रमज़ान का महीना काफिला चला सूए मदीना
मुझे भी दो इज्न मदीने आने की सरकारे मदीना

मुझे ना आया बुलावा दिल में कितनी हे तमन्ना
काश आका मै देख लेता बहारे रमज़ाने मदीना

मेरी किस्मत को भी खुदारा तुम सजाना
हसनैन के सदके में दिखाना बार बार मदीना

कहां जाऊं कहां दामन पसारुं
मै मालिके मदीना
आस लगाई हमने तुम्हारे दर से ऐ शहंशाहे मदीना

कहीं ऐसा ना हो सीने में दफन कर के गमे मदीना
में दुनिया से चला जाऊं बिन देखे ही मदीना

गमो के सैलाब में डूबा जा रहा हूं
सुलताने मदीना
लिल्लाह इमदाद को आवों मेरी सरवरे मदीना

इस साल ज़रूर मुझ आसी को सरकार बुलाना
रोजा ए अनवर और गुंबदे खजरा दिखाना

चमका कर मेरी आंखों को जलवा दिखा देना
देख लूं आंख भर के तुमको शाहे मदीना

दुनिया की मोहब्बत दिल से निकल जाये आकाये मदीना
राहें चश्मे नम दिल में बस गमें मदीना

माना के काबिल नहीं हूं जो देखूं तुम्हारा मदीना
फिर लाऊं कहा से वो आमाल मै सरकारे मदीना

नहीं जाबिर के पास कोई जर जो देखे प्यारा मदीना
इतना तो हो करम ख्वाबों मे उसे दिखा दो मदीना

नहीं मालो ज़र तो किया हे में गरीब हूं यहीं ना
मेरे इश्क़ मुझको ले चल मुझे जानीबे मदीना

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d