कहीं पे भाई कहीं पे भांजा
कहीं पे भाई, कहीं पे भांजा,
कहीं पे बेटा लुटा दिया है।
हुसैन ने सर कटा के दीने,
नबी की अज़मत बचा लिया है।।
तू मुझको पानी क्या देगा ज़ालिम,
में जामे कौसर को ही पियूंगा।
ये कहके असगर ने करबला में,
यज़ीदियों को हिला दिया है।।
लहू मुसल्ला बना हुआ है,
नमाज़ फिर भी अदा किया है।
बुझा न पायेगी जिसको दुनिया,
चिराग ऐसा जला दिया है।।
अजीब कुदरत का फैसला है,
मिना नहीं है ये करबला है।
किया था वादा जो बचपने में,
वो करबला में निभा दिया है।।
नबीﷺ के कांधे पे उम्मती है,
यही मदीने की वो गली है।
हुसैन पुष्ते रसूलﷺ पर हैं,
नबीﷺ ने सजदा बढ़ा दिया है।।