चमकने लगा सुन्नियत का सितारा बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

 

 

 

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

उधर कुफ्र की सारी तन्ज़ीमे शामिल, इधर अहले-सुन्नत अकेले मुक़ाबिल
मगर सुन्नियों ने ही मैदान मारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

गो उर्दू में पहले भी थी नात-गोई, मगर काबिले-तज़्किरा थी न कोई
फलक छू गया शायरी का मिनारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

फ़तावे में इतनी हदीसें सजाई, के जिस पे करे फ़ख्र रूहे-बुखारी
बरेली बना सुन्नियों का बुखारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

बहुत ही मुनज़्ज़म थे नजदी-वहाबी, थी हरसु ख़राबी ख़राबी ख़राबी
हुवा इत्तेहाद उसका कुल पारा-पारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

पच्चास-सो उलूम एक सीने में मख़्फ़ी, फ़साना नहीं ये हक़ीक़त है फ़ैज़ी
मगर ये हक़ीक़त हुई आशकारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

चमकने लगा सुन्नियत का सितारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये
हुवा सर्द फ़ितनों का हर इक शरारा, बरेली में अहमद रज़ा जब से आये

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