चांद मदीने का अर्श का सितारा है।
जो कुरान लाया है वो नबी हमारा है
आशिक़ ए मोहम्मद नें फुरकते मोहम्मद में
रो कर रात काटी है हंस के दिन गुजारा है
जो कुरान पड़ता है बा खुदा ये कहता है
नाम कमली वाले का जिंदगी से प्यारा है
दूर गम् हुए सारे हर खुशी मिली उसकी
जिसने भी मुसीबत में आपको पुकारा है
तू ही मेरा जलवा है मुझसे क्या पर्दा है
मै तेरा नज़ारा हूं तू मेरा नज़ारा है
खोल कर क़ुरान देखो साफ रब ने फरमाया है
जो भी है मोहम्मद का बही बस हमारा है
आप ही कि फुरकत में रो के कहता है साकिब रज़ा
अब तो तैबा बुलबा लो यह भी गुलाम तुम्हारा है