नज़र से जाम पिलाना हुजूर जानते है।
नज़र से जाम पिलाना हुजूर जानते है ।
नसीब सोया जगाना हुजूर जानते हैं ।
जलाई रब ने जहन्नम की आग को लेकिन
बहा के अश्क बुझाना हुजूर जानते है ।
ऐ नादां दर पे तुझे उनको क्या बताना है
हर एक दिल का फसाना हुज़ूर जानते हैं ।
जहां में आया था कौन व आएगा कौन
हर एक दौर , ज़माना हुजूर जानते हैं ।
पहुंच के सिदरा पे बोले ये जिब्रइल अमीं
कि आगे किसको जाना हुजूर जानते हैं ।
इशारा उंगली का कर आसमान की जानिब
कमर को तोड़ दिखाना हुजूर जानते हैं ।
जो कत्ल करने को लेकर के तेग़ आए थे
उसे भी कलमा पढ़ना हुजूर जानते हैं ।
गुनहगार ये उम्मत को बख्शवाने पर
है रब को केसे मनाना हुजूर जानते हैं ।
दहकती धूप में जलने से आशिकों को वो
बरोजे हश्र बचाना हुजूर जानते है ।
है नज्दियों का जहन्नम, है सुन्नी का जन्नत
कहां हे किसका ठिकाना हुजूर जानते हैं ।
जमा है कितने ही आशिक यहां मगर उनमें
है कौन मेरा दिवाना ? हुजूर जानते हैं ।
यह जाने कोई ना लेकिन यह जान ले बेखुद
सुना रहा तू तराना हुजूर जानते हैं ।
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