नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

मीठा मदीना, मीठा मदीना

जब गुम्बदे-ख़ज़रा पे वो पहली नज़र गई
आँखों के रास्ते मेरे दिल में उतर गई

हिज्रे-नबी मे आह, कहाँ बे-असर गई
तड़पे जो हम यहाँ तो मदीने ख़बर गई

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

सदक़ा-ए-ज़हरा ! बुलालें या नबी ! दर पर मुझे
प्यास मैं दिल की बुझाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

माँगते हैं जिस जगह से आ के सारे ताजदार

लब वा हैं आंखें बन्द हैं फैली हैं झोलियां
कितने मज़े की भीक तेरे पाक दर की है

मांगेंगे मांगे जाएंगे मुंह मांगी पाएंगे
सरकार में न “ला” है न ह़ाजत “अगर” की है

माँगते हैं जिस जगह से आ के सारे ताजदार
मैं भी झोली को बिछाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

उनके दर पर हो मयस्सर, मुस्तक़िल यूं हाज़री
ज़िन्दगी सारी बिताऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

टिक टिकी बांधे मैं देखूं रोज़ा-ए-ख़ैरुल-बशर
हर घड़ी अपनी सजाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

मेरे होंटो पर दुरूदो के हो नग़्मे हर घड़ी
नूर की ख़ैरात पाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

लिल्लाह ! अब इमरान आजिज़ को बुला लीजे हुज़ूर
अपना ग़म रो कर सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
नाते-पाक उनको सुनाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर
इश्क़ में आँसू बहाऊँ सब्ज़ गुम्बद देख कर

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: