पार बेड़े को लगा देते हैं गौस ए आजम ।
डूबी नाव को तिरा देते हैं गौस ए आजम
मेरे सरकार की मुट्ठी में हैं आलम के कूलूब।
दम में रोतो को हंसा देते हैं गौस ए आज़म।
चोर चोरी करे अब्दाल का रुतबा पाए।
शान बंदे की बढ़ा देते हैं गौस ए आजम।
बाखुदा ऐसी हिमायत तो ना देखी न सुनी।
पांव फिसले तो जमा देते हैं गौसे आजम।
नाम लेवा जो कोई कब्र में घबराता है।
थपकियां दे के सुला देते हैं गौस ए आजम।