मेरे दिल में है अरमान
मैं भी मदरसे जाऊंगा
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
सुना है हाफ़िज़-ए-क़ुरआं के
माँ-बाप को जन्नत मिलती है
ताज-ए-फ़ख़र उनके सर पर
शान और इज़्ज़त मिलती है
मुझे भी ऐसा मौक़ा दें
जल्दी दाख़िला दिलवा दें
बनूँगा मैं भी अज़ीम इन्सान
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
ऐ मेरे प्यारे बाबाजान
मेरे दिल में है अरमान
मैं भी मदरसे जाऊंगा
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
एक एक आया पड़ूंगा मैं
दर्जे पे दर्जा चढ़ूंगा मैं
मंज़िल मेरी वही होगी
ख़त्म जहाँ पे करूँगा मैं
रब की नवाज़िश पाउँगा
हक़ की सिफ़ारिश पाउँगा
बनूँगा नबी का मैं मेहमान
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
ऐ मेरे प्यारे बाबाजान
मेरे दिल में है अरमान
मैं भी मदरसे जाऊंगा
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
माँ-बाप हैं उनके अज़ीम बहुत
अल्लाह भी है जिन पे करीम बहुत
बच्चों को पढ़ा के कलाम-ए-ख़ुदा
दी है हसीं तालीम बहुत
बच्चा क़ुरआन सुनाएगा
क़ब्र में एलां आएगा
बाप को जन्नत होगी दान
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
ऐ मेरे प्यारे बाबाजान
मेरे दिल में है अरमान
मैं भी मदरसे जाऊंगा
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
हिफ़्ज़-ए-क़ुरआन सआदत है
दोनों जहाँ की राहत है
लेकिन बच्चो याद रखो
असल तो इस की इताअत है
इस के मुताबिक़ जीवन हो
वर्ना आग का ईंधन हो
याद रखो रूहानी बयान
बनोगे तुम हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
ऐ मेरे प्यारे बाबाजान
मेरे दिल में है अरमान
मैं भी मदरसे जाऊंगा
बनूँगा मैं हाफ़िज़-ए-क़ुरआन
शायर:
मुफ़्ती कौसर रूहानी