Lut Gaya Fatima Ka Chaman Lyrics in Hindi
Lut Gaya Fatima Ka Chaman Lyrics लुट गया फ़ातिमा का चमन ज़ालिमों
लुट गया फ़ातिमा का चमन ज़ालिमों
लाश-ए-शब्बीर है बे-कफ़न ज़ालिमों
यूं रिवायत है के हज़रत शहरबानो ने वहां
ख़्वाब में देखा कि इक बीबी है बा गर्द-ओ-फुगां
हैं कमर चादर से वोह बांधे हुए अंदोहगीं
करबला की झाड़ती थीं सर के बालों से ज़मीं
शहरबानो ने कहा तुम कौन हो फ़रमाईये
क्यूँ ज़मीं झाड़ो हो सर के बालों से बतलाईये
बोलीं वो मैं फ़तिमा हूँ बिनते शाहे मशरीकैन
सुब्हा इस मकतल में लेटेगा मेरा प्यारा हुसैन
इसलिए मैं झाड़ती हूँ करबला की ये ज़मीं
उसके तन ज़ख़्मों में न चुभ जाए कल कंकर कोई
दोपहर में सारे लश्कर की शहादत हो गई
पहुंची ये नौबत के अकबर की शहादत हो गई
ख़ुदा के शेर की तलवार जब के चलती थी
तो ख़ंजरों से भी आवाज़ ये निकलती थी
लाशे शब्बीर घोड़ों से कुचली गई
ख़ाक़-ओ-खूं में हैं सेरे की लड़ियाँ पड़ी
आज बेवा हुई इक सुहागन चली
ज़िन्दगी भर के रोने की घड़ियां मिलीं
चूड़ियां तोड़ती है दुल्हन ज़ालिमों
लाश-ए-शब्बीर है बे-कफ़न ज़ालिमों
लुट गया फ़ातिमा का चमन ज़ालिमों
लाश-ए-शब्बीर है बे-कफ़न ज़ालिमों
शाह को करबला में बुलबाया
शाह को करबला में बुलबाया कूफ़ियों ने बड़ा सितम ढाया
शर्त बैयत की सामने रक्खी और देने लगे उन्हें धमकी
फिर तो शब्बीर ने भी लब खोले
जोश में आये और ये बोले
तुम नहीं जानते के मैं क्या हूँ
मैं अ़ली मुर्तजा का बेटा हूँ
मेरी अम्मी हैं फ़ातिहा ज़हरा
मैं नवासा हूँ कमली वाले का
जिस वक़्त नमूदार हुए सुबहा के आसार
दरिया पे चला लेके य़तीमों को सितमगार
चिल्लातीं चली पीछे ज़ईफ़ा जिगर अफ़गार
बिन बाप के बच्चे हैं न जलिम तू इन्हें मार
क्यूँ फ़ातिमा ज़हरा को रुलाता है कफ़न में
दो फूल तो रहने दे मुह़म्मद के चमन
मासूम की सूखी गर्दन पर क्या ज़ुल्म ये ढाये जाते हैं
कल जिनको मुह़म्मद चूमते थे आज तीर चलाये जाते हैं
ये कहके जनाज़ा सौंप दिया
सरबर ने ज़मीन-ए-मकतल को
क्या कहके?
लेके असग़र को हाथों में शब्बीर ने
दी सदा देखो औलाद वालों इधर
सिर्फ़ इक घूंट पानी पिला दो इसे
तीन दिन का है प्यासा ये नूरे नज़र
मर न जाये नाज़ुक बदन ज़ालिमों
लाश-ए-शब्बीर है बे-कफ़न ज़ालिमों
लुट गया फ़ातिमा का चमन ज़ालिमों
लाश-ए-शब्बीर है बे-कफ़न ज़ालिमों