शहीदों में बड़ा ऊँचा है रुत्बा इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
कोई कैसे घटा पाएगा उन की शान-ए-आली को
ख़ुदा-ए-पाक ने रुत्बा बढ़ाया इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
जहाँ की रिफ़अ’तें क़ुर्बान जाएं उन के क़दमों पर
शब-ए-मेअ’राज का दूल्हा है नाना इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
हुसैनी नौ-जवाँ आता रहेगा हर ज़माने में
मेरी नस्लों में गूँजेगा तराना इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
कोई भटका नहीं सकता, कोई बहका नहीं सकता
के अपनाया है दिल से हम ने रस्ता इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
यज़ीदी गर्दनें झुकती रहेंगी ता-अबद, मेहदी !
क़यामत तक रहेगा बोल-बाला इब्न-ए-हैदर का
क़लम लिख इश्क़ में खो कर क़सीदा इब्न-ए-हैदर का
शायर:
मसूद मेहदी क़ादरी मिस्बाही
नातख्वां:
मसूद मेहदी क़ादरी मिस्बाही