Ruhani ilaj o istikhara
बुज़ुर्गोँ ने फरमाया है कि जो शख्स हर शबे जुम्मा (यानी जुम्मा और जुमेरात की दरमियानी रात) इस दुरूद शरीफ को पाबंदी से कम से कम एक बार पढ़ेगा मौत के वक़्त सरकार ए मदीनाﷺ की ज़ियारत करेगा और क़ब्र में दाखिल होते वक़्त भी, यहाँ तक की वह देखेगा की सरकार ए मदीनाﷺ उसे क़ब्र में अपने रह़मत भरे हाथों से रहें हैं۔
साल भर बलावों से हिफाज़त
जो सफर उल मुज़्ज़फ्फर के आखिरी बुध को चार रकअत इस तरह पढ़े के हर रकअत में सुरह फ़ातिहा के बाद सतरह (17) बार सुरह कौसर और पाँच पाँच बार सुरह ईख्लास सुरह फ़लक़ और सुरह नास पढ़े और सलाम के बाद यह दुआ पढ़े, अल्लाह पाक उसे अगले साल तक तमाम बलावों से महफूज़ रखेगा۔
Whoever reads Surah Almansharh, Surah Wattin, Surah Nasr, and Surah Ikhlas eighty times on the last Wednesday of the month journey, Insha ء الل ّه عليه وسلم, it will become Ghani,
His age will be drawn,
Ye Dua Subah o Shaam 3 3 baar Padhne Se Jaan, Maal, Bachhe Sab Mehfooz Rahenge ان شاء اللّٰہ تعالیٰ
जिस तरह जिस्मानी बीमारियों के अलग अलग किस्में हैं वैसे ही रुहानी बीमारियाँ हैं आज कल लोग तमाम परेशानियों को जादू ही समझते हैं जो बिलकुल गलत है,
हम इस पोस्ट में रुहानी बीमारियों के अक़साम बयान किऐ हैं,
रुहानी बीमारियों के धै कि़समें हैं,
(1)नज़रे बद (2) जादू (3) शयाति़न (4) नहूसत–ए–सियारगान (5) रजअत (6)शामते आमाल
जब तक हमें बिमारी का सही इल्म नहीं होगा तब तक इलाज भी मुमकिन नहीं,
सही इलाज के लिए बिमारी की सही मालूमात होना ज़रूरी है,