Tum Apna Daman Bicha Ke Mango Naat Lyrics

Tum Apna Daman Bicha Ke Mango Naat Lyrics

 

तुम अपना दामन बिछा के माँगो | हुज़ूर देंगे ज़रूर देंगे / Tum Apna Daaman Bichha Ke Maango | Huzoor Denge Zaroor Denge

तुम अपना दामन बिछा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

दिलों को कासा बना के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

जहाँ से मौला ‘अली ने माँगा, जहाँ से हर इक वली ने माँगा

उन्हीं की चौखट पे जा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

करीम दाता, ‘अज़ीम आक़ा के दर पे कोई कमी नहीं है

तो आओ आँसू बहा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

करीम दाता, रहीम आक़ा के दर पे कोई कमी नहीं है

ग़ुलामो ! आँसू बहा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

रसूल-ए-अकरम के आस्ताने से माँगने का उसूल ये है

दुरूद लब पर सजा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

उन्हीं से मज़बूत कर लो नाते, जो दे के एहसाँ नहीं जताते

उन्हीं को दिल में बसा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

मुझे ये महसूस हो रहा है, सदा मदीने से आ रही है

मदीने डेरे जमा के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

रसूल-ए-अकरम की ना’त, नासिर ! ज़माने भर को सुना चुके हो

हुज़ूर को भी सुना के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

रसूल-ए-अकरम की ना’त, ख़ालिद ! ज़माने भर को सुना चुके हो

हुज़ूर को भी सुना के माँगो, हुज़ूर देंगे, ज़रूर देंगे

 

 

ना’त-ख़्वाँ:

सबीह रहमानी

अहमदुल फ़त्ताह

अल्लामा हाफ़िज़ बिलाल क़ादरी

 

 

 

 

tum apna daaman bichha ke maango, huzoor denge, zaroor denge

dilo.n ko kaasa bana ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

jahaa.n se maula ‘ali ne maanga, jahaa.n se har ik wali ne maanga

unhi.n ki chaukhaT pe jaa ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

kareem daata, ‘azeem aaqa ke dar pe koi kami nahi.n hai

to aao aansoo baha ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

kareem daata, raheem aaqa ke dar pe koi kami nahi.n hai

Gulaamo ! aansoo baha ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

rasool-e-akram ke aastaane se maangne ka usool ye hai

durood lab par saja ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

unhi.n se mazboot kar lo naate, jo de ke ehsaan.n nahi.n jataate

unhi.n ko dil me.n basa ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

mujhe ye mahsoos ho raha hai, sada madine se aa rahi hai

madine Dere jama ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

rasool-e-akram ki naa’t, Naasir ! zamaane bhar ko suna chuke ho

huzoor ko bhi suna ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

rasool-e-akram ki naa’t, KHaalid ! zamaane bhar ko suna chuke ho

huzoor ko bhi suna ke maango, huzoor denge, zaroor denge

 

 

Naat-Khwaan:

Sabih Rehmani

Ahmadul Fattah

Allama Hafiz Bilal Qadri

 

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