धूम हर जानिब मची है आप के मीलाद की

धूम हर जानिब मची है आप के मीलाद की

धूम हर जानिब मची है आप के मीलाद की
हर मुसलमां को ख़ुशी है आप के मीलाद की

जिन के अमलों में है सब कुछ, पर नहीं चेहरे पे नूर
उनके दामन में कमी है आप के मीलाद की

बेशुमार उस पर बरसती हैं ख़ुदा की रेहमतें
बज़्म जिस घर में सजी है आप के मीलाद की

ना कोई जन्नत का लालच, ना कोई दोज़ख का ख़ौफ
क्यूँ के निस्बत मिल गई है आप के मीलाद की

जिस के सदके में मिला है सारी दुनिया को वुजूद
क्या ही पुर-अज़मत गड़ी है आपके मीलाद की

नूर को आक़ा मिले दीदार की ख़ैरात अब
चाकरी जो इसने की है आप के मीलाद की

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