नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
जिनके आने से सारे आलम में नूर छाया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
साया जिनका ना किसीको नज़र आया उम्र भर
ये भी सच है के जहाँ भर में उन्हीं का साया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
कह गए हैं मेरे हादी, सुनलो ला-नबीया बाअ़दी
है मेरा ईमान, उन सा आएगा न आया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
मरहबा या मुस्तफ़ा, मरहबा या मुस्तफ़ा
जल गया शैतान, आशिक़ झूम उठा, ख़ुश हो गया
या रसूलल्लाह का नारा जब किसीने लगाया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
शजर सज्दे को झुके और कलमा पत्थर भी पढ़े
आप का पा कर इशारा शम्स वापस आया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
ला-मकां तक है रसाई, जिन की जग में बादशाही
उनके जैसा ना ख़ुदा ने और कोई बनाया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
मिदह़ते-सरकार में कट जाए अफ़ज़ल की उमर
ये भी कहने वाला हो के पास कोई सरमाया है
नूर वाले आक़ा का जश्ने-विलादत आया है
जिनके आने से सारे आलम में नूर छाया है